जयगुरुदेव नाम ध्वनि बोलकर तकलीफों, मुसीबतों में राहत ले लो – बाबा उमाकान्त जी महाराज

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संत सतगुरु जो भी चीज बताते हैं, उसका फल देने में संकोच नहीं करते
(शमशाद सिद्दीकी)
जयपुर। जीवों के कर्मों को काटने के उपाय बता कर दुःख-तकलीफों में भारी राहत दिलाने वाले और आत्म कल्याण के लिए अमोलक द्दन नामदान देने वाले इस समय धरती पर मौजूद पूरे सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 13 अक्टूबर 2021 को जयपुर में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित सन्देश में बताया कि सब लोग जयगुरुदेव नाम ध्वनि बोलने की आदत डालो तभी अपने आप मुंह से जयगुरुदेव नाम निकलेगा। कहते हैं –
’कोटि-कोटि मुनि जतन कराही।’
’अंत नाम मुख आवत नाही।।’
आखरी समय में नाम निकल आए, चाहे ध्वन्यात्मक नाम हो या वर्णात्मक नाम। समय का जागृत नाम बोलने से मालिक तक आवाज पहुंच जाती है फिर वो मदद करता है। यहां तक कि यमराज से भी वह छुड़ा लेते हैं जब उनकी दया हो जाती है तब।
’पहला पाठ पढो, जयगुरुदेव नाम ध्वनि बोलो’
आप लोग अभी साधना में तो सभी पारंगत हुए नहीं। क्योंकि करते नहीं हो, आदत नहीं डाला। तो चलो ठीक है, पहला पाठ पढ़ो, कर्मों की सफाई करो जयगुरुदेव नाम ध्वनि बोल करके।
तरह-तरह से रास्ता निकाला जाता है जीवों के आत्म कल्याण के लिये, भलाई के लिए। समझो यह पहला पाठ है। यही पढ़ो, यही नए लोगों को पढ़ाना शुरू करो, बच्चों को भी आदत डालो। फिर धीरे-धीरे दुनिया की तरफ से मन हट कर के भजन में लगने लगेगा।
’आँख बंद करके गुरु को याद करके नाम ध्वनि बोलो तब आपकी आवाज पहुंचेगी’
लेकिन जयगुरुदेव नाम की ध्वनि जब बोलो तब आप आंख बंद करके याद करो। जयगुरुदेव नाम गुरु का नाम है तो गुरु का ध्यान करना चाहिए। गुरु महाराज तक आपकी आवाज पहुंचेगी चाहे शरीर से वह चले गए। कोई बोलता था तो सब जगह नहीं सुनते थे लेकिन अंदर के कान से सुनते थे। अंतर में गुरु का स्थान जिसे गुरु पद कहते हैं, वहां पर डोर को बाँध करके रखते हैं। वहीं से सम्भाल करते रहते हैं। वहां तक जब आपकी आवाज पहुंच जाएगी, जगाये हुआ नाम से जब मालिक को पुकारोगे तो मालिक मदद कर देगा।
’बार-बार कहा जा रहा है की आदत डालो नहीं तो फंस जाओगे’
ये जय गुरु देव नाम मुसीबतों में तो बचाता ही है, तकलीफों में तो राहत दिलाता है, मानसिक टेंशन में मदद करता ही है लेकिन अंतिम समय में भी यमराज के दूतों से भी रक्षा करने में यह मदद करता है। तो बराबर आदत डालो बोलने की। आदत नहीं डालोगे तो फंस जाओगे। जिस चीज की आदत पड़ जाती है, उसी तरफ यह मन ले जाता है दुनिया के कामों में। फिर धीरे-धीरे भूलते जाओगे, पर्दा मोटा होता जाएगा, मन मुखता आती जाएगी, गुरु मुखता खत्म होती जाएगी, गुरु से दूर, गुरु के रास्ते से दूर तो काल-माया का एजेंट आपको अपनी तरफ खींच कर फंसाने की कोशिश ही करेंगे। फिर आप इस कदर फंस जाओगे कि निकल पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा। इसलिए जो बात बताई जाए उस पर अमल करो। अमल करोगे तो फायदा आपको दिखाई पड़ने लगेगा।
’जितना करोगे, उतना फल मिलता है जैसे एक हाथ दो, दूसरे हाथ लो’
यहां तो आपको ऐसी चीज बताई जाती है कि जैसे एक हाथ से दो कोई चीज और दूसरे हाथ से ले लो। गुरु महाराज ने कहा 5 मिनट, 10 मिनट जितना भी करोगे उसकी तुमको मजदूरी मिल जाएगी। वह ऐसी मजदूरी है सुमिरन, ध्यान, भजन की, मालिक को याद करने की, ऐसी मजदूरी है कि जो उनको याद करता है उनको फल देते ही देते हैं।
’सतगुरु जो भी चीज बताते हैं, उसका फल देने में संकोच नहीं करते’
प्रेमियों! जिस मनुष्य शरीर में पावरफुल आत्मा रहती है, जिसको समरथ गुरु, सच्चा गुरु, संत सतगुरु कहते हो वह जो भी चीज बताते हैं, उसका फल देने में संकोच नहीं करते हैं। गुरु महाराज को जिसने एक गिलास पानी भी पिला दिया, गुरु महाराज ने उनका कर्जा नहीं रखा। जैसी उनकी भावना थी, गुरु महाराज ने वैसा उनके लिए किया।
’नाम ध्वनि बोलते समय गुरु का ही ध्यान लगाओ और दया का अनुभव कर लो’
प्रेमियों बराबर जय गुरु देव नाम ध्वनि बोलने की आदत डालो। एक अगर यह साध ले जाओगे तो देखो। घर से निकलो तब बोल कर निकलो, रास्ते में ट्रेन-बस में बैठे हो तब बोलते रहो लेकिन आंख बंद करके। उस समय पर ध्यान गुरु का करो। इधर-उधर आपका ध्यान नहीं जाना चाहिए। नहीं तो आपकी आवाज वहां तक नहीं पहुंच पाएगी क्योंकि जिस चीज को याद करोगे, बीच में वह चीज आ जाएगी तो रुकावट आ जाएगी। इसलिए नाम ध्वनि बोलते समय गुरु का ही ध्यान लगाओ। फिर देखो आपको दया दे रहे हैं कि नहीं दे रहे हैं। जब आंख बंद करोगे, आप के ऊपर दया जब जारी हो जाएगी तब आपको दया का भी अनुभव होने लगेगा।
’नाम ध्वनि से कर्मों की सफाई होगी लेकिन आत्मा का कल्याण गुरु के दिए पाँच नाम से ही होगा’
इससे सफाई तो होगी, फायदा तो होगा लेकिन आत्मा का कल्याण उन्ही पाँचों नाम से होगा जो जो गुरु महाराज ने बताया। आत्म कल्याण की इच्छा ही नहीं जग रही है सत्संगियों की। उसके बारे में तो कोई सोच ही नहीं रहा है। बस दुनिया की चीजें मांगते हैं। कहते भी हैं दया कर दो, दया कर दो, ध्यान -भजन नहीं बन रहा, मन नहीं लग रहा, यही कहते हैं।
आप देखो आपका मन कहां लग रहा है। मन एक ही है तो कहां-कहां लगेगा? जहां लगाओगे वहीं तो लगेगा। तो आप मन को लगाओ। मन को लगा करके जब करोगे, चाहे यह करो, चाहे वह करो तो दोनों में कामयाबी मिलेगी।

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