आखिर क्यों है ग्रामीण इलाकों के लोगो को झोलाछाप डाक्टरों पर भरोसा

RAJNITIK BULLET
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-ग्रामीण इलाकों में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार पैसे के लिए कर देते सारे शरीर का चेकप जबकि नही है कोई जानकारी’
-’महिला मरीज को इंजेक्शन लगाता झोलाछाप डाक्टर

(मोनू शर्मा) पिरौना (जालौन)। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है इसकी वजह से उनका धंधा धड़ल्ले से चल रहा है झोलाछाप डॉक्टरों के हौंसले बुलंद मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे है। इनमें से किसी भी चिकित्सक की मौके पर पहुंचकर न तो जांच की जाती और न ही उनके प्रमाणपत्रों की पड़ताल की जाती है जालौन जिले में गांव-गांव में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। चाय की गुमटियों जैसी दुकानों में झोलाछाप डाक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डाक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप डाक्टरों की उम्र 15 से 25 साल के बीच है। मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन फानन में जिला अस्पताल भेज दिया जाता है जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है ग्रामीण क्षेत्र पिरौना, जखौली, पिण्डारी, विरगुवा खुर्द, चमारी, हिनहुना, चैतरहाई, जमरोही कला, जमरोहीखुर्द, धमसेनी, विरासनी, मबई, द्दुरट, सला, छिरावली, गुमावली सहित दर्जनों गांव ऐसे हैं।
जहां सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद भी झोलाछाप डाक्टरों की भरमार हैं। वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर सुविधाएं नहीं हैं। इसका फायदा सीद्दे तौर पर झोलाछाप डाक्टर उठा रहे हैं गांव के लोगो के अनुसार गांव में सरकारी इलाज की सुविधा नहीं है बीमार होने पर झोलाछाप डाक्टरों से ही इलाज कराना पड़ता है बिना लाइसेंस के दवाओं का भंडारण भी करते हैं। डाक्टर झोलाछाप चिकित् सकों द्वारा बिना पंजीयन के एलोपैथी चिकित्सा व्यवसाय ही नहीं किया जा रहा है। बल्कि बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण व विक्रय भी अवैध रूप से किया जा रहा है।
दुकानों के भीतर कार्टून में दवाओं का अवैध तरीके से भंडारण रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई सालों से अवैध रूप से चिकित्सा व्यवसाय कर रहे लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। इन दिनों मौसमी बीमारियों जैसे बुखार, डेंगू, कोरोना जैसी बीमारी का कहर है। झोलाछाप डाक्टरों की दुकानें मरीजों से भरी पड़ी हैं। गर्मी व तपन बढ़ने के कारण इन दिनो उल्टी, दस्त, बुखार जैसी बीमारियां ज्यादा पनप रही हैं। झोला छाप इन मर्जों का इलाज ग्लूकोज की बोतलें लगाने से शुरू करते हैं। एक बोतल चढ़ाने के लिए इनकी फीस 150 से 250 रुपए तक होती है।
’स्वास्थ्य विभाग नही करता कोई कार्यवाही’
झोलाछाप डाक्टरों की वजह से अब तक कई लोगों की असमय जान चली गई है लेकिन अभी तक स्वास्थ्य विभाग ने स्थाई तौर पर झोला छाप डाक्टरों पर कार्रवाई नहीं की झोलाछाप डाक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और प्रशासन दूर से ही इन्हें देख रहा है।

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