कट्टरपंथी विचारधारा को लाइक शेयर से बचकर, जनता ने पुलिस और नीति निर्धारकों का सहयोग करना जरूरी

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तरपर आंधी से तेज गति से बढ़ती हुई सूचना प्रौद्योगिकी से जितनी अधिक सहूलियतों से लाभ मिल रहे हैं तो, हानियां भी कुछ काम नहीं हो रही है जिसको रेखांकित करना हम सबका काम है क्योंकि,हमारी जीवन शैली, राष्ट्र के लिए विकास और दुनियां हमारी मुट्ठी और उंगलियों पर आ गई है, तो उतनी ही हमारी मानवीय जिंदगी भी खतरे की ओर अग्रसर हो रही है, क्योंकि अब इस सूचनाप्रौद्यो गिकी के विभिन्न प्लेटफार्म्स को आतंकवाद और आॅनलाइन कट्टरपंथी के लिए भी उपयोग होने से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसी कुछ अनेक ऑनलाइन साइट्स आ गई है जो आॅनलाइन कट्टरपंथ को तेजी से बढ़ावा देकर अपने आतंकवाद के लिए नए रास्तों को बनाया जा रहा है, जो के ह्यूमन कार्य से कहीं बहुत अधिक सरल आसान व सुरक्षित भी उनके लिए है तो कई मेल क्लिप सूचनाओं कोडवर्ड में भी कार्य होता है जिसे हम गहराई से न लेकर मजाकिया व हंसीमजाक के लेहज में लेकर उसे लाइक व शेयर भी करते रहते हैं, परंतु अब समय आ गया है कि हम इस विषय पर गंभीरता से ध्यान दें क्योंकि, कट्टरपंथी आख्यानों को समझने का कठिन कार्य जनता पर आता है, जिन्हें जानकारी का विश्ले षण करना चाहिए और लाइक, शेयर के माध्यम से इसकी पहुंच को बनाए रखने से बचना चाहिए कभी-कभी बिना सोचे -समझे हम सामग्री साझा करते हैं क्योंकि हमें लगता है कि यह हास्यास्पद या बेतुका है, अनजाने में कथा का प्रचार करते हैं और इसे किसी अधिक कमजोर व्यक्ति तक पहुंचने की अनुमति देते हैं। आतंकवादी इंटरनेट का उपयोग कट्टरपंथी बनाने, भर्ती करने और आतंकवादी हमलों को अंजाम देने में सुविधा प्रदान करने के लिए करते हैं। यूरो पीय आयोग ने इसे रोकने में मदद के लिए स्वैच्छिक और विधायी उपायों और पहलों की एक श्रृंखला सामने रखी है। अभी हाल ही में फ्रांस के लियोन शहर में संपन्न हुई इंटर पोल की महासभा का समापन हुआ जिसमें 136 देश के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो जो भारत में सीबीआई है ने भाग लिया जिसमें भारत ने अपने रुक वैश्विक सुरक्षा के लिए ऑनलाइन कट्टरपंत महत्वपूर्ण चुनौती है का आकाश किया इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सह योग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, प्रौद्यो गिकी युग में अब आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पुलिस और नीति निर्धारकों के साथ हम सबकी उंगलियों के नीचे है, इसलिए लाइक शेयर सोच समझकर करना है।
साथियों बात अगर हम फ्रांस के लियोन शहर में समाप्त हुई इंटरपोल महासभा की करें तो, महासभा में भार तीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबी आई) निदेशक ने किया। भार तीय प्रतिनिधिमंडल ने संगठित अपराध, आतंकवाद और चरम पंथी विचारधाराओं के बीच सांठगांठ से उत्पन्न चुनौतियों पर बात की, कहा कि आॅनलाइन कट्टरपंथ वैश्विक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। इसके अलावा, आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की और कहा कि अच्छे आतंक वाद, बुरे आतंकवाद के बीच कोई अंतर नहीं किया जा सकता। भारत में सीबीआई नोडल एजेंसीप्रत्येक देश में राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (एनसीबी) इंटरपोल के साथ समन्वय के लिए जिम्मेदार नोडल संग ठन है। इंटरपोल में सभी सदस्य देश एक प्लेटफॉर्म अपने देश में मौजूद बड़े अपराधियों की जानकारी एक -दूसरे के साथ शेयर करते हैं। भारत में सीबीआई ऐसे मामलों में इंटरपोल के संपर्क में रहती है। सीबीआई ही इंटरपोल और अन्य जांच एजें सियों के बीच नोडल एजेंसी का काम करती है। भारत से जब भी कोई अपराधी विदेश भाग जाता है या उसके विदेश भागने की आशंका होती है तो उसके खिलाफ लुकआउट या रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जाता है। भारत ने आतंकवाद आॅनलाइन कट्टर पंथ और साइबर सक्षम वित्तीय द्दोखा धड़ी जैसे अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने और उन्हें रोकने के लिए इंटरपोल चैनलों के जरिए ठोस कार्रवाई की मांग की है। साथ ही अच्छे आतंकवाद और बुरे आतंक वाद के बीच कोई अंतर नहीं होने की बात पर जोर दिया और कहा कि आॅनलाइन कट्टरपंथ वैश्विक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बना हुआ है। सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा कि अपराध और अपराधियों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर इंटरपोल चैनलों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ संबं धों का भारत ने भी लाभ उठाया है। पिछले साल 29 अपरा द्दियों और भगोड़ों को वापस लाया गया है, जो एक साल में सबसे अधिक है। प्रवक्ता ने कहा कि कई देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ चर्चा के दौरान भारत ने संगठित अपराध, आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, द्दन शोधन, आनलाइन कट्टर पंथ, साइबर सक्षम वित्तीय अपराधों से निपटने और रियल -टाइम के आधार पर इन अपराधों को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई के उद्देश्य से इंटरपोल के जरिए समन्वय बढ़ाने की मांग की। तीन सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधि मंडल ने अमेरिका, ब्रिटेन और सऊदी अरब सहित कई देशों के साथ चर्चा के दौरान इंटर पोल के जरिए सूचना साझा करने,परस्परकानूनी सहायता भेजने और प्रत्यर्पण अनुरोध में तेजी लाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।भारत ने अंतरराष्ट्रीयसंगठित अपराध के खतरे से निपटने के लिए एनसीबी के नेटवर्क को मज बूत करने, साइबर-सक्षम वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक सहयोगात् मक प्रयासों को बढ़ाने, इंटर पोल नेटवर्क और वैश्विक पुलिस डेटाबेस के उपयोग को बढ़ावा देने, बाल यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई में और इंटरपोल के भीतर डेटा संरक्षण उपायों में सुधार करने जैसे प्रमुख निष्कर्षों का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा भारत की कानून-प्रवर्तन एजें सियों के अनुरोध परपूर्व में इंटरपोल द्वारा 100 रेड नोटिस प्रकाशित किए गए थे।
साथियों बात अगर हम इंटरपोल महासभा में अच्छे और बुरे आतंकवाद में कोई अंतर नहीं होने की बात को रेखांकित करें तो, भारत ने अच्छे आतंकवाद और बुरे आतंकवाद के बीच कोई अंतर नहीं होने की बात को रेखां कित करते हुए कहा है कि आॅनलाइन कट्टरपंथ वैश्विक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। उन्होने संगठित अपराध, आतंकवाद और चरम पंथी विचारधाराओं के बीच साठगांठ से उत्पन्न चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि आॅनलाइन कट्टरपंथ वैश्विक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है।उन्होंने स्पष्ट रूप से सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा की और कहा कि अच्छे आतंकवाद, बुरे आतंकवाद के बीच कोई अंतर नहीं किया जा सकता। इस सम्मेलन का उद्देश्य अंतर राष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिए इंटरपोल और एनसीबी के बीच सहयोग को मजबूत करना था।
साथियों बात अगर हम आॅनलाइन युवा कट्टरवाद की करें तो, आॅनलाइन युवा कट्टर वाद वह क्रिया है जिसमें एक युवा व्यक्ति या लोगों का एक समूह तेजी से चरम राजनी तिक, सामाजिक, या धार्मिक आदर्शों और आकांक्षाओं को अपनाने के लिए आता है जो किसी राज्य की यथास्थिति को अस्वीकार या कमजोर करते हैं या समकालीन विचारों और अभिव्यक्तियों को कम जोर करते हैं, जिसे वे में निवास कर सकते हैं या नहीं भी कर सकते हैं। आॅनलाइन युवा कट्टरपंथ हिंसक या अहिं सक दोनों हो सकता है।यह घटना, जिसे अक्सर हिंसक उग्रवाद के प्रति कट्टरपंथ को उकसाना (या हिंसक कट्टर पंथ) कहा जाता है, विशेष रूप से इंटरनेट और सोशल मीडिया के कारण हाल के वर्षों में बढ़ी है। आॅनलाइन अतिवाद और हिंसा को बढ़ावा देने पर बढ़ते ध्यान के जवाब में , इस घटना को रोकने के प्रयासों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए चुनौतियाँ पैदा की हैं। इनमें अंधाधुंध अवरोधन, सेंसरशिप की अति- पहुंच (पत्रकारों और ब्लॉगर्स दोनों को प्रभावित करना), और गोपनीयता घुसपैठ से लेकर स्वतंत्र विश्वसनीयता की कीमत पर मीडिया के दमन या उपकरणीकरण तक शामिल हैं। आतंकवाद के लिए वर्तमान युद्धक्षेत्र कोई दूर देश नहीं बल्कि हमारे ठीक बगल में मौजूद कंप्यूटर और फोन हैं। आतंकवादियों ने संघर्ष को उसकी भौगो लिक सीमाओं को पार करने की अनुमति देने के लिए इस तकनीक का लाभ उठाया है। लोगों को अपने उद्देश्य की ओर आकर्षित करने के लिए भावनात्मक रूप से प्रेरित प्रचार का उपयोग करते हुए, आतंकवादी आत्म-कट्टरपंथ के माध्यम से मानव व्यवहार को संशोधित करने की उम्मीद करते हैं। वे जानते हैं कि एक सहानुभूतिपूर्ण दर्शक तक पहुंचने से उनके एजेंडे के समर्थन में विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। सोशल नेटवर्क अब एक ऐसा वाता वरण है जहां हर कोई आन लाइन प्रचार या गलत सूचना का सामना करने के प्रति संवेदनशील है, जिससे हर कोई कट्टरपंथ के प्रति संवेदन शील हो जाता है। कमजोर लोगों को कभी भी प्रचार या दुष्प्रचार देखने से रोकना असंभव है, लेकिन उन्हें सही तरीके से प्रतिक्रिया देना सिखाना संभव है। ये मामले आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में प्रौद्योगिकी सुरक्षा और सामु दायिक जागरूकता के बढ़ते महत्व को दर्शाते हैं। दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र की सरकारों और नागरिकों को सोशल मीडिया के दुरुपयोग से उनके समाज पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में पता होना चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अब केवल नीति निर्माताओं और पुलिस के हाथों में नहीं हैय इसके बजाय, यह हम में से प्रत्येक के अंगूठे के नीचे रहता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि इंटरपोल महासभा लियोन फ्रांस में भारत का आगाज-वैश्विक सुरक्षा के लिए आनलाइन कट्टरपंथ महत्वपूर्ण चुनौती है।क
ट्टरपंथी विचारधारा को लाइक शेयर से बचकर,जनता ने पुलिस और नीति निर्धारकों का सहयोग करना जरूरी। प्रौद्योगिकी युग में अब आतंक वाद के खिलाफ लड़ाई पुलिस और नीति निर्धारकों के साथ ,हम सबके उंगलियों के नीचे है, इसलिए लाइक शेयर सोच समझकर करें।

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