108 व 786 अंकों का आध्यात्मिक आस्था, धार्मिक व तार्किक महत्व है

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तरपर सर्वविदित है कि दुनियां के करीब करीब सभी देशों में भारत ही एक ऐसा अकेला देश है जहां कई सदियों से या यू कहीं कि हजारों वर्षों से आध्यात्मिकता आस्था व तार्किक महत्व रहा है। उसमें भी 108 व 786 अंकों का विशेष महत्व रहा है जो हिंदू व मुस्लिम समुदाय की गहरी आस्था के प्रतीक है। वैसे तो हम पीढ़ियों से इन अंको को जानते हैं, परंतु आज 108 अंक की चर्चा पूरे विश्व में हो रही है क्योंकि आज दिनांक 31 दिसंबर 2023 वर्ष के अंतिम दिन माननीय पीएम के मन की बात की 108 वीं कड़ी के प्रसारण में उन्होंने द्दार्मिक आस्था के प्रतीक अंक 108 के बारे में कुछ बातें व चर्चाएं की और पूरी दुनियां का ध्यान इस अंक पर आ गया और फिर मीडिया में द्दार्मिक आस्था के प्रति अंकों 108 व 786 की चर्चाएं चल पड़ी। चूंकि भारत में खुश हाली के प्रति 108 व 786 अंकों का गणित हमको समझना है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे मानवीय गहरी धार्मिक आस्था के प्रति के विश्वसनीय अंकों 108 व 786 पर मानवीय गहरे विश्वास को रेखांकित करना समय की मांग है।
साथियों बात अगर हम दिनांक 31 दिसंबर 2023 को माननीय पीएम द्वारा मन की बात की 108वीं कड़ी में 108 के बारे में चर्चा करने की करें तो उन्होने कहा मन की बात यानें आपके साथ मिलने का एक शुभ अवसर, और अपने परिवारजनों के साथ जब मिलते हैं, तो वो, कितना सुखद होता है, कितना संतोष दायी होता है। मन की बात के द्वारा आपसे मिलकर, मैं, यही अनुभुति करता हूँ, और आज तो, हमारी साझा यात्रा का ये 108 वाँ एपिसोड है। हमारे यहाँ 108 अंक का महत्व, उसकी पवित्रता, एक गहन अध्ययन का विषय है। माला में 108 मनके, 108 बार जप, 108 दिव्य क्षेत्र, मंदिरों में 108 सीढ़ियाँ, 108 घंटियाँ, 108 का ये अंक असीम आस्था से जुड़ा हुआ है। इसलिए मन की बात का 108वाँ एपिसोड मेरे लिए और खास हो गया है।
इन 108 एपिसोड्स में हमने जनभागीदारी के कितने ही उदाहरण देखे हैं, उनसे प्रेरणा पाई है। अब इस पड़ाव पर पहुँचने के बाद, हमें नए सिरे से, नई ऊर्जा के साथ और तेजगति से, बढ़ने का, संकल्प लेना है। और ये कितना सुखद संयोग है कि कल का सूर्योदय, 2024 का, प्रथम सूर्योदय होगा – हम वर्ष 2024 में प्रवेश कर चुके होंगे। आप सभी को 2024 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
साथियों बात अगर हम अंक 108 के बारे में जानने की करें तो, विभिन्न धर्मों में कुछ खास अंकों को शुभ या अशुभ माना गया है। इसके पीछे कारण भी दिए गए हैं। आज पीएम ने 108 वीं बार देश की जनता से अपने मन की बात की। हर महीने के आखिरी रविवार को पीएम मन की बात कार्यक्रम करते हैं और इस पर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं। साल 2023 के आखिरी दिन मन की बात कार्यक्रम का 108 वां ऐपिसोड प्रसारित किया गया। इस मौके पर उन्होने 108 अंक पर भी चर्चा की और बताया कि 108 अंक का बड़ा महत्व है। मंत्र जपने वाली माला में भी 108 मोती ही होते हैं। हिन्दू धर्म में 108 एक ऐसा अंक है जो अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। रूद्राक्ष की माला में 108 मनके होते हैं, मंत्रों का जाप 108 बार किया जाता है, आखिर क्या कारण है कि 108 के अंक को हिन्दू धर्म में इतना महत्व हासिल है। 108 को शिव का अंक माना गया है। इसके पीछे वजह यह है कि मुख्य शिवांगों की संख्या 108 होती है। सभी शैव संप्रदायों खासतौर से लिंगायत संप्रदाय में रुद्राक्ष की माला में कुल 108 मनके होते हैं, जिनका जाप किया जाता है। गौड़ीय वैष्णव धर्म के तहत वृंदावन में कुल 108 गोपियों का वर्णन आता है। अगर 108 मनकों के साथ गोपियों के नाम का जाप किया जाए तो इसे बहुत शुभ माना जाता है। श्रीवैष्णव धर्म के तहत भी विष्णु के 108 दिव्य क्षेत्रों का जिक्र मिलता है, जिसे 108 दिव्यदेशम कहते हैं। कम्बोडिया के प्रसिद्ध अंग कोरवाट मंदिर की नक्काशी में भी समुद्र मंथन की घटना को दर्शाया गया है।
इस नक्काशी में दर्शाया गया है कि क्षीर सागर पर मंदार पर्वत पर बंधे वासुकि नाग को 54 देव और 54 राक्षस (108) अपनी-अपनी ओर खींच रहे थे।ज्योतिष में कुल 12 राशियां होती हैं जिनमें 9 ग्रह विचरण करते हैं, इन दोनों संख्याओं को गुणा करेंगे तो आपको 108 अंक मिलेगा। हिंदू धर्म के अलावा और दूसरे कई धर्मों और संस्कृतियों में भी 108 अंक को महत्व हासिल है।
जैसे बौद्ध धर्म की कई शाखाओं में यह माना गया है कि कि व्यक्ति के भीतर 108 प्रकार की भावनाएं जन्म लेती हैं। लंकावत्र सूत्र में भी एक खंड है, जिसमें बोधिसत्व महामती, बुद्ध से 108 सवाल पूछते हैं। एक दूसरे खंड में बौद्ध 108 निषेधों को भी बताते हैं। ऐसा भी देखा गया है कि बहुत से बौद्ध मंदिरों में सीढ़ियां भी 108 रखी गई हैं। वहीं जापानी संस्कृति में बौद्ध धर्म के अनुयायी बीतते साल को अलविदा कहने और नव वर्ष के आगमन के लिए मंदिर की घंटियों को 108 बार बजाते हैं। आखिर क्या कारण है कि 108 के अंक को हिन्दू धर्म में इतना महत्व हासिल है। 108 को शिव का अंक माना गया है. इसके पीछे वजह यह है कि मुख्य शिवांगों की संख्या 108 होती है। 108 बेहद शुभ-हिंदू धर्म में 108 अंक को बेहद शुभ और पवित्र माना गया है। यही वजह है कि जब ईश्वर के नाम का या मंत्र का जप करना हो तो इसकी संख्घ्या 108 बार ही रखी जाती है। यही वजह है कि हिंदुओं की मंत्र जाप करने वाली माला में 108 मनके होते हैं। रुद्राक्ष की माला में भी 108 मनके ही होते हैं। बौद्ध मंदिर में भी 108 सीढ़ियां हैं- हिंदू धर्म के साथ साथ बौद्ध धर्म में भी 108 संख्या को विशेष शुभ माना जाता है। बौद्ध धर्म के अनुसार हर इंसान के मन में 108 प्रकार की भावनाएं होती हैं।
यहां तक कि कई बौद्ध मंदिरों में चढ़ने के लिए बनाई गई सीढ़ियों की संख्या भी 108 होती है। भगवान कृष्ण की 108 गोपियां- पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण की गोपियों की संख्या हजारों में थी, इनमें से भगवान श्रीकृष्ण को 108 गोपियां ही अत्यंत प्रिय थीं।
ये 108 गोपियां भगवान श्रीकृष्ण की परम सखी मानी जाती हैं। भगवान शिव के तांडव में 108 मुद्राएं – भगवान शिव का भी 108 अंक से महत्वपूर्ण कनेक्शन है, जब भगवान शंकर क्रोधित होकर तांडव नृत्य करते हैं तो उसमें 108 मुद्राएं होती हैं।ज्योतिष शास्त्र में 108 अंक का महत्व – ज्योतिष शास्त्र में भी 108 अंक का बड़ा महत्व है, ज्यो तिष में 12 राशियां होती हैं और 9 ग्रह इनमें विचरण करते रहते हैं। 12 और 9 अंक का एक-दूसरे से गुना करने पर 108 आता है संपूर्ण ब्रह्मांड का स्वरूप है 108, वैदिक द्दर्म ग्रंथ एवं शास्त्रों में बताया गया है कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड में कुल 27 तारामंडल हैं, जिन्हें नक्षत्र भी कहा गया है।
इन सभी तारामंडल की चार दिशाएं हैं। इसलिए हम यदि 27 को 4 से गुणा करते हैं तो कुल 108 संख्या आती है। जिसका अर्थ यह निकल कर आता है कि संपूर्ण ब्रह्मांड का स्वरूप 108 अंक है। वेद एवं पुराणों में ऋषि और मुनियों ने बताया है कि सौरमंडल में पृथ्वी के अलावा अन्य कितने ग्रह और तारे हैं। उनके बीच में दूरी कितनी है या उनके व्यास कितनी है इत्यादि।
गणित में व्यास जिसे इंग्लिश में डायामीटर भी कहते हैं, एक चक्र में ऐसी रेखांश होती है जो चक्र के केंद्र से निकलता है और किसी भी अति बिंदु के चक्र पर स्थित होता है। आश्चर्य की बात यह है कि इस बात का आकलन सैकड़ों साल पहले ही ऋषि-मुनियों द्वारा कर लिया गया था। बता दें कि जितनी सूर्य से पृथ्वी की दूरी है वह सूर्य के व्यास से 108 गुना अधिक है। चंद्रमा की जितनी दूरी है, वह चंद्रमा के व्यास से 108 गुना अधिक है। इसके साथ यह भी बताया गया है कि सूर्य का कुल व्यास पृथ्वी के कुल व्यास से 108 गुना अधिक है। विज्ञान में बताया गया है कि सूर्य के कुल नौ ग्रह होते हैं, जिसमें पृथ्वी तीसरा ग्रह है।
वहीं ज्योतिष 12 राशियां होती हैं। जब किसी व्यक्ति की जन्मपत्री बनाई जाती है तो प्रत्येक राशि में ग्रह विभिन्न प्रकार से स्थापित हो सकते हैं। इसलिए यदि हम सभी का आकलन करें तो सभी 12 राशियों में हर ग्रह 108 प्रकार से स्थापित हो सकता है। इसलिए 108 अंक पर ज्योतिष शास्त्र भी निर्भर करता है। आयुर्वेद विद्वानों के अनुसार, हमारे शरीर में कुल 108 दबाव बिंदु, जिन्हें अंग्रेजी प्रेशर पॉइंटय भी कहा जाता है, मौजूद हैं। इन दबाव बिंदुओं पर यदि सही प्रकार से दबाव डाला जाता है तो शरीर की काई प्रकार की बीमारियां दूर हो सकती हैं और व्यक्ति पुनः निरोगी बन सकता है। इसके साथ मनुष्य का शरीर केवल 108 डिग्री फारेनहाइट तक का ही ताप मान सहन कर सकता है। इससे अधिक तापमान यदि होता है तो व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। सनातन परंपरा में 108 अंक को बहुत ही पवित्र माना जाता है। यही वजह है कि किसी भी माला में 108 मोती या रुद्राक्ष अवश्य होते हैं। इसके साथ पौराणिक काल में ऋषि और मुनियों ने 9 पुराण और 108 उपनिषदों की रचना की थी। वहीं भारत में 108 शक्तिपीठ मौजूद है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि किसी भी वैदिक मंत्र का जाप या गायत्री मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करने से ही व्यक्ति को विशेष पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है। साथियों बात अगर हम अंक 786 के बारे में जान कारी की करें तो, बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम की जगह इस्तेमाल किया जाता है 786, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया गया है कि अल्लाह के नाम बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम को उर्दू या अरबी में लिखें तो उनके कुल अक्षरों की संख्या 786 होती है। यही वजह है कि मुस्लिम धर्म में कई लोग अल्लाह के नाम बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम की जगह 786 लिखते हैं और इसे बहुत पवित्र मानते हैं। मुस्लिम धर्म में होनी वाली शादी और अन्य शुभ अवसरों पर दिए जाने वाले निमंत्रण कार्ड के सबसे ऊपर भी कई लोग 786 ही लिखवाते हैं।
हालांकि, इस्लाम धर्म के विद्वान 786 को लेकर अलग -अलग मत रखते हैं। हालांकि भारत में 786 को बेहद पवित्र माना जाता है, इस्लाम धर्म में 786 को शुभ अंक माना जाता है। जिस तरह से हिंदुओं में किसी भी काम को शुरू करने से पहले देवी -देवाताओं का नाम लिया जाता है, उसी तरह इस्लाम में 786 का स्मरण किया जाता है। इस्लाम धर्म में 786 का मतलब बिस्मिल्लाह उर रहमान ए रहीम होता है, जिसका मतलब है अल्लाह के नाम जो कि बहुत दयालु और रहमदिल है। बिस्मिल्लाह यानें अल्लाह। यह परंपरा प्रोफेट मोहम्मद के वक्त से नहीं चली आ रही है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत में आध्यात्मिक खुशहाली के प्रतीक 108 व 786 अंकों का गणित।
108 व 786 अंकों का आध्यात्मिक आस्था, धार्मिक व तार्किक महत्व है। भारतीय गहरी धार्मिक आस्था के विश्वसनीय अंको 108 व 786 पर मानवीय गहरे विश्वास को रेखांकित करना समय की मांग है।

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