(प्रेम श्रीवास्तव/ राममिलन शर्मा) गदागंज रायबरेली। विकास खण्ड दीनशाह गौरा अन्तर्गत जलालपुरपुरधई में होलिका दहन के बाद जो भी सोमवार या शुक्रवार आठवें दिन पडता है उसी दिन जलालपुरधई.की होली रंग फाग आदि का आयोजन किया जाता है बताते चले कि बुजुर्गो का मानना है कि ग्राम जलालपुरधई में ऊं जय श्री भुंइया बाबा का विशाल मंदिर था जो हिन्दुओं के आस्था की प्रतीक ग्राम देवता का विशाल मंदिर था जो अब धीरे धीरे अपना छवि खोता गया और एक छोटे से मंदिर का रूप ले लिया है कहते है कि भुंइया की मूर्ति सोने की थी और विशाल मूर्ति थी एक अंग्रेज शासक ने जलालपुरधई में आकर रात के समय उन मूर्तो को चुरा ले गया था हवाई जहाज से मूर्ति ले जाते समय जब समुद्र के पार जा रहा था तो भुइंया की मूर्ति अपने आप खिसक कर समुद्र में गिर गई ।कई दिन तक जलालपुरधई में मातम छाया रहा लेकिन एक रात बाबा ने गांव के ही सबसे अधिक उम्र दराज आदमी को स्वपन मे कहा कि तुम्हारे गांव में रौनक इस कारण नही है कि हमे अंग्रेजो ने चुराकर ले जा रहे थे तो हम दोनो भाई और हमारा घोडा. हवाई जहाज से खिसक कर समुद्र में गिर गया हूं. और अंग्रेज खाली.हाथ रह गये अब मेरे मंदिर में कोई प्रसाद दर्शन करने जायेगा तो हमें नही मिलेगा हम केवल सोमवार और शुक्रवार को ही गांव में रहूगा। आप लोग.जो भी खुशी का कार्यक्रम मनायेगे वह शुक्रवार यह सोमवार को करेगे तब हमे.मिलेगा बुजर्ग लोग बताते है कि जब सुबह लोगो की आंखे खुली तो पूरे जलालपुरधई में खून की छीटे देखने को मिली थी तो लोग रूई को दूध में भिगोकर महीनो बाबा के स्थान पर चढाते रहे। यह भुइंया बाबा ने ही कहा था कि जलालपुरधई की होली होलिका दहन तो उसी दिन होगा पर होली का रंग पकवान जो भी होगा तो बाहरी होली जिस दिन होगी उस दिन से जो सोमवार यह शुक्रवार आठवे दिन पडेगा उसी दिन रंग आदि खेला जायेगा तभी से यह परम्परा चली आ रही है आठ दिन के पूर्व होली का त्योहार नही मनाया जाता है आठ दिन यह ग्यारह दिन हो जायेगा लेकिन सात दिन के पहले नही मनाया जायेगा बताते है कि गांव में एक बार कुछ लोगो ने बाबा के स्वपन्न का अनदेखा किया था पूरे ग्राम में महामारी का प्रकोप पडा कि कई लोगो को जान गवांनी पडी। तभी से होली का पर्व आठवे यह ग्यारहवें दिन मनाया जाता है बताते है कि जब बाबा के बताये अनुसार होली मनानी शुरू हुआ तब से जलालपुरधई में कोई महामारी प्रवेश नही कर पाई है क्यों कि बीच ग्राम में ग्राम देवता भुंइया बाबा का मंदिर स्थित है तो दक्षिण की तरह जय बाबा हरदेव का मंदिर उत्तर की तरफ बाबा जलालुद्दीन शाह की दरगाह जहां आज भी लोग रात दिन अपनी अरदास लेकर डेरा डाले दूर दूर के लोग पडे रहते है और ठीक होकर जाते है पूर्व में माता हुल्का देवी का मंदिर है तो पश्चिम में उसर के पास दरगाह शारीफ है। इन्ही बजह से महामारी जलालपुरधई में पैर नही पसार पाती है।
आज मनाई जायेगी जलालपुरधई की होली
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