(देवेंन्द्र प्रताप सिंह) टूंडला। चांद निकलने के साथ ही सुहागिनों ने चन्द्रमा को अर्ध्य देकर पूजा-अर्चना करते हुए पतियों के लिए दीर्घ आयु की कामना की। इस मौके पर पतियों ने सुहागिनों को जल पिलाकर व निवाला खिलाकर निर्जला व्रत खुलवाया।
शनिवार को करवाचैथ के अवसर पर महिलाओं ने मध्यरात्रि से ही निर्जल उपवास धारण किया। रविवार का सारा दिन निर्जल उपवास के बावजूद महिलाओं में उत्साह रहा। सायं के समय पूजा से संबंधित विशेष भोज पदार्थ तैयार किये गये। सांझ ढलते ही महिलाओं ने सजना संवरना प्रारंभ कर दिया।
इस मौके पर महिलाओं ने नई ब्याहता की तरह साज श्रंगार किया और माता गौरी की पूजा-अर्चना की। पूजा के उपरांत लगभग साढ़े आठ बजे चांद निकल आया तथा सुहागिनों ने चलनी में से चांद देख चांद की आरती की व चांद का प्रतीक बना उसकी परिक्रमा की और अर्ध्य दिया। इसके उपरांत पतियों ने भी अपने पति धर्म का निर्वाहन करते हुए अपनी पत्नियों को जल पिलाया व निवाला खिलाकर व्रत खुलवाया।
सुहागिनों ने अपने पतियों की दीर्घ आयु के लिए रखा करवाचैथ का व्रत
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