राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल का फैसला कांग्रेस आलाकमान करेगा। पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि राज्य मंत्रिमंडल में बहुप्रतीक्षित बदलाव अगले कुछ दिनों में हो सकता है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि शनिवार देर रात तक हुई चर्चा के बाद इन नेताओं ने मंत्रिमंडल विस्तार का फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया। सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि इन नेताओं की चर्चा के बाद मंत्रिमंडल में बदलाव या विस्तार के बारे में फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया गया है। इसके साथ ही यह भी फैसला किया गया कि विभिन्न बोर्डों तथा निगमों में राजनीतिक नियुक्तियां जल्द की जानी चाहिए। यह काम चुने हुए जनप्रतिनिधियों, पार्टी के राज्य पदाधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं से राय मश्विरा लेने के बाद किया जाएगा। बैठक में यह भी फैसला किया गया कि अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की चुनावी घोषणा पत्र समिति राजस्थान में पार्टी के घोषणा पत्र के कार्यान्वयन की समीक्षा करेगी। समिति के अध्यक्ष इसके लिए इसी महीने राजस्थान आएंगे। सूत्रों का कहना है कि सबकुछ ठीक रहा तो अगले सप्ताह अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है तथा हजारों की संख्या में राजनीतिक नियुक्तियों की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती हैं।
मौजूदा हिसाब से राज्य में नौ और मंत्री बनाए जा सकते है जबकि जिला स्तर पर विभिन्न निगमों व बोर्डों में लगभग 30 हजार राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं। सचिन पायलट खेमा लंबे समय से इसकी मांग कर रहा है। वहीं, वेणुगोपाल और माकन रविवार को यहां पार्टी प्रदेश मुख्यालय में पदाधिकारियों से चर्चा करेंगे। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने स्पष्ट किया कि विधायक दल की कोई बैठक नहीं रखी गई है। वेणुगोपाल और माकन की पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ बैठक के कार्यक्रम की अभी कोई जानकारी नहीं मिली है। पायलट के प्रवक्ता द्वारा जारी बयान के अनुसार, पायलट सोमवार को टोंक में रहेंगे और रात को भी वहीं रुकेंगे। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पंजाब के मसले के समाधान के बाद अब पार्टी आलाकमान का पूरा ध्यान राजस्थान पर है और आलाकमान राजस्थान के सियासी मसले का समाधान जुलाई में करना चाहता है। राजस्थान की मौजूदा अशोक गहलोत सरकार दिसंबर 2018 में सत्ता में आई थी और अपना लगभग आधा कार्यकाल पूरा कर चुकी है।