वर्तमान विधायक की नैय्या फंसी, दलबदलुओं की सियासत में

RAJNITIK BULLET
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(पवन कुमार सिंह) सीतापुर। बिसवां विधान सभा जनपद में चर्चाओं का केंद्र बिंदु बन चुकी है। यहां से पूर्व विधायक रामपाल यादव व पुत्र रामेन्द्र के भाजपा में आने से सियासत की बिसात बिछ चुकी है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के बिसवां विद्दान सभा 149 से प्रबल दावेदार के रूप में देख रहे हैं आम जनमानस का कहना है कि इस बार उन्हीं का जादू चलने वाला है। जिससे यह भी कहा जाने लगा है की पूर्व विधायक भाजपा से प्रमुख बिसवां बनाने में अपनी पत्नी शांन्ती देवी को कामयाब रहे हैं। यह ताबूत मे पहली कील है जिसमें बिना विरोध के वह सफल हो गये। उधर कसमंडा प्रमुख प्रत्याशी गुड्डी देवी की हार ने वर्तमान की नैय्या भवर में फसा दी है। इसके कारण हैं की जो वर्तमान प्रमुख रही वह भी भाजपा से थी, और भाजपा के विधायक भी रहे जिनका प्रत्याशी माना जा रहा था की गुड्डी देवी रही वह वर्तमान प्रमुख के सहयोग से चुनावी मैदान में उतरी थी परंतु लाख कोशिशों के बाबजूद भी निर्दलीय ने बाजी मारी जो बेहद दिलचस्प है। इन सभी बातों के मद्देनजर यह समझा जा रहा है कि वर्तमान विधायक की पकड़ क्या जनमत से ढीली होती जा रही है। कुछ की माने तो ऐसा कहा जा रहा है की पूर्व विधायक रामपाल यादव को महमूदा बाद से भाजपा से पार्टी आलाकमान टिकट दे सकता है। परंतु अगर माने तो जनमानस का कहना है की पूर्व विधायक रामपाल यादव का पूर्व मंत्री वर्तमान विधायक नरेन्द्र वर्मा का किला फतह करना आसान नहीं होगा, वह राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो 2017 चुनाव में भाजपा की आंधी ने पूरे प्रदेश में धमाल मचाया, सीतापुर भी इससे अछूता नहीं रहा उस आंधी में भी नरेंद्र वर्मा पूर्व मंत्री का वही स्तर कायम रहा। वह फिर से विधायक का चुनाव जीते जो अपने आप में यह साबित करता है कि महमूदाबाद का किला भेजना अगर रामपाल यादव पूर्व विधायक को वहां से टिकट मिला तो आसान नहीं होगा लेकिन वही समर्थकों का यह कहना है कि हर स्तर पर वर्तमान के बिसवां क्षेत्र में देखा जाए तो पूर्व विधायक रामपाल यादव मजबूती के साथ चुनाव लड़ सकते हैं और पार्टी से 149 विधानसभा में बिसवां से टिकट पर चुनाव लड़ेंगे यह पूरी तरीके से अंदरूनी बातें कही जा सकती फिलहाल क्या होगा इस पर तो कहना कुछ भी सटीक नहीं होगा। लेकिन जिस तरीके से चुनावी उठापटक शुरू हो चुकी है उसे यह माना जा रहा है कि पूर्व विधायक रामपाल यादव की तरफ से सियासत की विसात जो बिछाई गई है। वह राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम है और उनकी कूटनीतिक पहल का हिस्सा रहा यह ब्लॉक प्रमुख का चुनाव जिसमें वह सफल रहे और दल बदलू होने के साथ सियासत में उनका मुकाम वही रहा जो पूर्व का था। अब ऐसा लग रहा है कि इन्हीं दल बदलू की सियासत में वर्तमान विधायक की नैया क्या फंस चुकी है क्या आगे टिकट महेंद्र सिंह यादव का काट दिया जाएगा, फिलहाल तो बातें यही चल रहीं हैं, यदी सा हुआ तो क्या 2017 में जीते विधायक को अटकर्नी देने में दल बदलू कामयाब हो जाएंगे। फिलहाल अगर देखा जाए तो भाजपा का इतिहास यही रहा है जो जीता वही सिकंदर का फार्मूला है, जब से पूर्व विधायक रामपाल यादव ने भाजपा में एंट्री मारी है तबसे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। अब क्या होगा क्या नहीं यह तो आगे आने वाला समय ही बताएगा कि कौन आगे जाएगा या कौन मझधार में फंस जाएगा।

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