एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर महंगाई की मार से करीब- करीब दुनियां का हर देश पी ड़ित है। हर देश के हुक्मरान अपने देश की अर्थव्यवस्था नियंत्रण में करने का हर सटीक उपाय कर रहे हैं, परंतु फिर भी यह महंगाई है कि डायन खाए जात है! महंगा ई की मार से कराहते लोग फिल्म पीपलीलाइव जो 14 वर्ष पूर्व 13 अगस्त 2010 को प्रदर्शि त हुई थी, जिसके लेखक व निर्देशक रिजवी थे फिल्म के गीत, सखी सैयां तो खूब ही कमात है, महंगाई डायन खाए जात है। महंगाई की मार से कराहते लोग इस गीत के माध्यम से अपने दर्द का सा माजिक उपचार खोज लेते हैं और उन तकलीफों का एह सास ही ऐसे गीतों को जन्म देता है। हम ऐसे समय में जी रहे हैं कि हो न हो आने वाले समय में सब्जियों के स्वाद भी कृत्रिम रूप से बने फ्लेवर्स बाजार में मिलने लगें। खेती के नाम का झुनझुना तो खूब बजता है लेकिन जमीनी हकी कत कुछ और ही है। हमने शहर बनाये, सड़कें बनाईं, आलीशान बिल्डिंगें बनाईं और कहना न होगा कि तकनीकी रूप से भी उन्नत हुए, लेकि न इसे देश का दुर्भाग्य ही समझा जायेगा कि देश के शैक्षणिक संस्थान अभी तक ऐसी कोई पद्धति नहीं विक सित कर पाये हैं जिससे महं गाई पर कंट्रोल हो। हम दुनियां की सबसे तेज उभरती हुई अर्थव्यवस्था का दंभ भरने से चूकते नहीं, लेकिन इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि दिन ब दिन महंगाई से समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। इस महंगाई के दौर में सत्ताधीशों को मौका मिल जाता है और उन पर कोई दबाव नहीं बन पाता।
जिन आंखों में भविष्य के सुनहरे सपने रहने चाहिए, उनमें हताशा और निराशा देखने को मिलती है। बेरहम भूख, लोगों की जरूरतों के मद्दे नजर होने वाले कोशिशों को दो जून की रोटी तक समेट देती है। फिल्म पिपली लाइव का यह गीत देश के ऐसे ही कमजोर लोगों के मन में उभरते हुए दर्द की अभिव्यक्ति है। सरकारें एक- दूसरे को कोसती रह जाती हैं। कोई कहता है पुराने दिन ही भले थे, कोई अच्छे दिन की ढांढस बंधाता रह जाता है। लेकिन समस्या जत की तस मुंह बाये खड़ी है। अगर हम यह कहें कि देश में महं गाई और रोजगार जैसे मुद्दों पर जनता में लामबंदी बहुत कम देखी जाती है, लोग सड़कों पर नहीं उतरते तो मान ली जिए कि यह सरकारों का सौभाग्य है। असल में यही देश का दुर्भाग्य भी है। खा ने पीने की वस्तुओं में आई तेजी के कारण थोक मूल्य सूचकांक परआधारित थोक महंगाई जून 2024 में लगातार चैथे महीने बढ़त में रही और यह 16 महीने के उच्चतम स्तर 3.36 फीसदी पर पहुंच गई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा आज यहां जारी आंक ड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं खासकर सब्जियों तथा वि निर्मित वस्तुओं की कीमतों में आई तेजी के कारण यह वृद्धि हुई है। थोक मुद्रास्फीति मई में 2.61 प्रतिशत थी। जून 2023 में यह शून्य से 4.18 प्रतिशत नीचे रही थी। मंत्रा लय ने कहा कि जून 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, कच्चे रसायन तथा प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि रही। आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति जून में 10.87 फीसदी बढ़ी,जबकि मई में यह 9.82 प्रतिशत थी। सब्जियों की महंगाई दर जून में 38.76 प्रतिशत रही, जो मई में 32.42 प्रतिशत थी। प्याज की महंगाई दर 93.35 प्रतिशत रही, जबकि आलू की महंगाई दर 66.37 प्रतिशत रही। दालों की महंगाई दर जून में 21.64 प्रतिशत रही। ईंधन और बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति 1.03 प्रतिशत रही, जो मई में 1.35 प्रतिशत से थोड़ी कम है। आज यह बात हम इसलिए कह रहे हैं, चूंकि 15 जुलाई 2024 को उद्योग वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों की रिपो र्ट आई कि खाने-पीने की वस्तुओं में आई तेजी। चूंकि खाद्य वस्तुओं के दाम बेतहा शा बढ़े थोक महंगाई दर 16 महीना के उच्चतम रिकाॅर्ड स्तर पर पहुंच गई है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे है हाय महंगाई! तू कहां से आई, तुझे क्यों मौत ना आई!
साथियों बात अगर हम वाणिज्य उद्योग मंत्रालय द्वारा महंगाई संबंधी जारी आंकड़ों की करें तो, जून में देश की थोक महंगाई दर 16 महीने के उच्चतम स्तर 3.36 प्रति शत पर पहुंच गई। देश में बे तहाशा बढ़ती महंगाई ने आम लोगों के जीवन को काफी प्रभावित किया है। निरंतर हो रहे मूल्यवृद्धि के कारण खा द्य पदार्थों की कीमतें रिकाॅर्ड स्तर पर है। पहले खुदरा म हंगाई ने परेशान किया और अब थोक महंगाई की दर भी लगातार चैथे महीने बढ़ गई है। पिछले साल जून में यह शून्य से 4.18 प्रतिशत नीचे रही थी। यानी तब थोक महं गाई बढ़ने के बजाए लगातार घटती जा रही थी। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जून 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, कच्चे रसायन तथा प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि रही है। आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति जून में 10.87 प्रतिशत बढ़ी, जबकि मई में यह 9.82 प्रतिशत थी। थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा सम य तक ऊंचे स्तर पर रहता है, तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए डबलीवीआई को कंट्रोल क र सकती है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा आज यहां जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं, खासकर स ब्जियों तथा विनिर्मित वस्तु ओं की कीमतों में आई तेजी के कारण यह वृद्धि हुई है। मंत्रालय ने कहा कि जून 20 24 में मुद्रास्फीति बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, कच्चे रसायन तथा प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनि र्माण आदि की कीमतों में वृद्धि रही। विनिर्मित उत्पादों में मुद्रास्फीति जून में 1.43 प्रतिशत रही, जो मई में 0.78 प्रतिशत से अधिक थी। जून में थोक मूल्य सूचकांक में वृद्धि महीने के खुदरा मुद्रा स्फीति के आंकड़ों के अनु रूप थी। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार जून में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई।
भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रि क नीति तैयार करते समय मुख्य तौर पर खुदरा मुद्रा स्फीति को ही ध्यान में रखता है। साथियों बात अगर हम सब्जियों के ऊंचे दामों ने रसोई का बजट बिगड़ने की करें तो,सब्जियों के ऊंचे दामों से बिगड़ा रसोई का बजट, थोक बाजारों में दुकानदारों ने बताया कि खासतौर पर आलू, प्याज और टमाटर जैसी रसोई की मुख्य वस्तुओं के साथ ही फूलगोभी, पत्तागोभी और लौकी जैसी हरी सब्जियों के दामों में उछाल आया है। सब्जी मंडी के एक व्यापारी ने बताया, फिलहाल टमाटर का थोक भाव 50 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम है स्थानीय किस्म का टमाटर 1,200 रुपये प्रति 28 किलोग्राम (एक क्रेट) और हाइब्रिड किस्म का टमा टर 1,400 से 1,700 रुपये में बिक रहा है। पहले टमाटर का भाव 25-30 रुपये प्रति किलोग्राम था। थोक बाजार में अन्य सब्जियों की कीमत करीब 25 से 28 रुपये प्रति किलोग्राम है। जो सब्जियां 10 से 15 रुपये में बिकती थीं, वे अब 25 से 30 रुपये में मिल रही हैं। ज्यादातर आपूर्ति कर्ताहिमाचल प्रदेश से टमाटर मंगाते हैं, जहां फसल सूख गई है। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में फसलें बारिश पर निर्भर करती हैं और इस बार गर्मी बहुत थी और बारिश बहुत कम हुई। इससे पौधे सूख गए और कीटों से संक्र मित हो गए। उन्होंने कहा कि सूखे के बाद भारी बारिश हुई, जिससे फसलों को और नुकसान पहुंचा, मंडी के एक व्यापारी ने कहा कि अभी के वल दो जगहों से टमाटर की आपूर्ति हो रही है, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश। दिल्ली में कई लोगों ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सब्जियों की ऊंची कीमतों ने उनके बजट को बिगाड़ दिया है। साथियों बातें अगर हम राजनीतिक पार्टियों द्वारा राज्यों में एक दूसरे के खिला फ महंगाई पर प्रदर्शन की करें तो राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली महिला कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन चल रहा है। महंगाई को लेकर कांग्रेस की महिला नेताओं व कार्यकर्ताओं ने बीजेपी आॅफिस के बाहर नारेबाजी की। दिल्ली प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष के नेतृत्व में महिला कांग्रेस प्रदर्शन कर रही है। ये प्रदर्शन सब्जियों, फलों और जरूरी चीजों के बढ़ रहे दामों के खिलाफ है। मीडिया से बात करते हुए दिल्ली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष पुष्पा सिंह बताया कि, ये विरोध महंगाई को लेकर है। आज सब्जियों के दाम 100 रुपए से ज्यादा हो गए हैं। जिस चीज की भी आम लोगों को जरूरत है, चाहे वो दाल हो या दूध, सभी चीजों के दाम बढ़ रहे हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि हाय महंगाई ! तू कहां से आई, तुझे क्यों मौत ना आई! खाद्य वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़े थोक महंगाई पर 16 महीनों के उच्च तम रिकाॅर्ड स्तरपर आई। राज नीतिक पार्टियों का राज्यों में एक दूसरे के खिलाफ महंगाई पर प्रदर्शन जारी, जबकि थोक महिंगाई दर लगातार चैथे महीने भी बढ़कर 16 महीनों के उच्चतम स्तरपर पहुंची।
राजनीतिक पार्टियों का राज्यों में एक दूसरे के खिलाफ महंगाई पर प्रदर्शन जारी, जबकि थोक महिंगाई दर लगातार चैथे महीने भी बढ़कर 16 महीनों के उच्चतम स्तरपर पहुंची
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