एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर एक जमाना था जब भारत की वैश्विक मंचों पर दुनियाँ के विकसित देशों के बीच उतनी पूछ परख, अहमियत नहीं थी। परंतु समय का चक्र ऐसा घुमा कि आज भारत जो बोलता, कहता है तो दुनि याँ उसे ध्यान से सुनती,फॉलो करने की कोशिश करती है, क्योंकि अब दुनियाँ मानती है कि भारत वास्तव में बौद्धि क क्षमता का धनी है। भारत का प्रौद्योगिकी स्पेस स्वास्थ्य व शिक्षा सहित अनेक क्षेत्रों में दुनियाँ के अनेक देशों से समझौते त्रिटीस व फ्री ट्रेड एग्रीमेंट तो है ही, परंतु अब दुनियाँ भारत की राजनीतिक रणनीति को भी फाॅलो कर ने की राह पर चल पड़ी है।
आज हम इस विषय पर बात इसलिए कर रहे हैं क्यों कि दिनांक कुछ दिन पहले अमेरिकी चुनावी सभा में भारतीय चुनाव जीतने की रणनीति, फ्री रेवड़ी माॅडल का आगाज राष्ट्रपति उम्मीदवार व पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक जनसभा में उसकी सरकार आने पर बिजली बिल आधा करने का वादा कर दिया तो भारतीय इलेक्ट्राॅनि क प्रिंट व सोशल मीडिया नें मुद्दे को तीव्रता से लपका और अभी तक इस विषय पर जो रदार डिबेट चल रही है। आप पार्टी इस इसे अपनी विचार धारा का अमेरिका तक विस्ता र कहा जा रहा है तो अन्य पार्टियाँ अपने राग आलाप रही है। यानें जीत का यह फंडा अब चल पड़ा है। अभी महा राष्ट्र में भी अगले माह के अंत तक होने वाले चुनावों की सुबसुबाहट है, तो यहां महिलाओं युवाओं बुजुर्गों सहि त अनेक हितधारकों के लि ए रेवड़ियों की स्कीम का खजाना खोल दिया गया है, जो रेखांकित करने वाली बात है। चूँकि भारतीय चुनाव में फ्री रेवड़ियों का रेला जनता को भाया सुहेला, अमेरिका में भी यही हो रहा खेला व फ्री रेवड़ीयाँ पाने वाले हित धार कों को मजा टैक्स पेयर्स को टैक्स बोझ की सजा, नेता ओं का सत्ता भोगने का मजा, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 5 नवंबर 2024 में भारतीय फ्री रेवड़ी माॅडल की एंट्री, ट्रंप ने बिजली बिल आधा करने का किया वादा।
साथियों बात अगर हम अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार ट्रंप द्वारा चुनावी सभा में अप नी जीत के बाद बिजली बिल आधा करने की घोषणा की करें तो, एक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्रंप का वीडियो शेयर किया है,जिसमें अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार ट्रंप ने मिशिगन में एक चुनावी कैं पेन में कहा कि मैं 12 महीनों के भीतर बिजली की कीम त आधी कर दूंगा। हम अपने पर्यावरण संबंधी अनुमोदनों में तेजी से गंभीरता लाएंगे और अपनी बिजली क्षमता को जल्दी से दोगुना कर देंगे। इससे मुद्रास्फीति कम होगी और अमेरिका और मिशिगन फैक्ट्री बनाने के लिए धरती पर सबसे अच्छी जगह बनेंगे। बता दें कि अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होने वा ले हैं। भारत की ही तरह अमेरिका में चुनावी अभियान में नागरिकों से कई लोक लु भावन वादे किए जा रहे हैं।
अमेरिकी चुनाव में बिजली बिल हाफ करने को लेकर डोनाल्ड ट्रंप के बयान का जिक्र एक सांसद नें भी अप ने एक्स पोस्ट में किया है। उन्होंने लिखा है,ट्रंप द्वारा बिजली बिलों पर 50 प्रतिश त छूट देने से पता चलता है कि कैसेपूर्व सीएम ने विश्व स्तर पर शासन के लिए मा नक स्थापित किए हैं! उनका शासन मॉडल सस्ती बिजली मुफ्त पानी, गुणवत्तापूर्ण स्वा स्थ्य सेवा और निशुल्क विश्व स्तरीय शिक्षा सही मायने में लोक कल्याण का एक शान दार उदाहरण है।
साथियों बात अगर हम भारत में चुनावी रेवड़ियों की करें तो,चुनाव आते ही राजनीतिक पार्टियां वोटरों को लुभाने के लिए बड़े बड़े वादे कर देती हैं, इसे ही राजनी तिक भाषा में फ्रीबीज या रे वड़ी कल्चर कहा जाता है। गरीब की थाली में पुलाव आ गया है,लगता है शहर में चुनाव आ गया है भारत की राजनीति पर ये दो पंक्तियां सटीक टिप्पणी हैं। चुनाव आते ही वोटरों को लुभाने के लिए जिस तरह राजनीतिक दल और उनके नेता वायदों की बरसात करते हैं, उससे एक नया शब्द रेवड़ी कल्चर चर्चा में है। खुद पीएम अपने भाषणों में इस रेवड़ी कल्च र को देश के लिए नुकसान दायक परंपरा बता चुके हैं। चुनावी राज्यों में इस तर ह मुफ्त बांटने की योजनाएं आम बात है। विरोध करने वाले इन्हें फ्रीबीज और रेवड़ी कल्चर कहते हैं तो समर्थन वाले इन्हें कल्याणकारी योज नाएं बताते हैं। विरोध करने वालों का अक्सर कहना होता है कि इससे सरकारी खजाने पर बोझ पड़ेगा, कर्जा बढ़ेगा और सिर्फराजनीतिक फायदे के लिए ऐसा किया जा रहा है। तो ऐसी योजनाएं लाने वाले कहते हैं कि इसका मक सद गरीब जनता को महंगा ई से राहत दिलाना है। खास बात ये है कि एक पार्टी जिस तरह की योजना को एक राज्य में रेवड़ी कल्चर कहती है, वही दूसरे राज्य में उसे कल्याणकारी योजना कह कर लागू कर रही होती है। राजस्थान में चुनावो में सी एम ने वोटरों को फ्री में स्मार्ट फोन और तीन साल के लिए फ्री इंटरनेट का वायदा किया था। इससे पहले राज्य के हर परिवार को हर महीने 100 यूनिट तक फ्री बिजली फ्री देने का ऐलान किया था। पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस की सरकार बनने पर हर परिवार को 100 यूनिट तक फ्री बिज ली देने का वादा किया था। खुद एमपी सीएम ने भी श्लाड ली बहना योजना के तहत सवा करोड़ गरीब महिलाओं के खाते में एक हजार रुपये जमा कराए हैं। तब कांग्रेस कह रही थी कि उसकी सर कार आई तो हजार नहीं ब ल्कि 1,500 रुपये दिए जाएंगे। शिवराज ने युवाओं को लुभाने के लिए 12वीं कक्षा के कुल 9000 टाॅपर्स को एक-एक स्कूटी देने का भी ऐलानकिया था। साथियों बात अगर हम रेवड़ी कल्चर व उसके असर को जानने की करें तो, इस की कोई साफ साफ परिभाषा नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने हलफनामे में बताया था कि अगर प्राकृतिक आपदा या महामारी के समय दवाएं, खाना या पैसा मुफ्त में बांटा जाए तो ये फ्रीबीज नहीं है। लेकिन आम दिनों में ऐसा होता है तो उसे फ्रीबीज माना जा सकता है। वहीं, आरबीआई ने भी कहा था, ऐसी योजनाएं जिनसे क्रेडिट कल्चर कम जोर हो, सब्सिडी की वजह से कीमतें बिगड़ें, प्राइवेट इन्वे स्टमेंट में गिरावट आए और लेबर फोर्स भागीदारी कम हो तो वो फ्रीबीज होती हैं।
अब ऐसे में सवाल उठता है क्या फ्रीबीज और सरकार की कल्याणकारी योजनाएं एक ही हैं या अलग-अलग? आमतौर पर फ्रीबीज का ऐला न चुनाव से पहले किया जा ता है, जबकि कल्याणकारी योजनाएं या वेलफेयर स्कीम्स किसी भी समय लागू कर दी जाती हैं। राजनीतिक पार्टि यां चुनाव जीतने के लिए वा दों की बौछार तो कर देती हैं, लेकिन इसका बोझ सरका री खजाने पर पड़ता है सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि टैक्स पेयर के पैसे का इस्तेमाल कर बांटी जा रहीं फ्रीबीज सरकार को दिवालियेपन की ओर धकेल सकती हैं। इतना ही नहीं, पिछले साल आरबी आई की भी एक रिपोर्ट आई थीइसमें कहा गया था कि राज्य सरकारें मुफ्त की योज नाओं पर जमकर खर्च कर रही हैं, जिससे वो कर्ज के जाल में फंसती जा रही हैं। साथियों बात अगर हम रेवड़ी कल्चर की शुरुआत को जा नने की करें तो, दुनियाँ भर में राजनीतिक पार्टियां वोटरों को रिझाने के लिए मुफ्त की योजनाओं या यूं कहें कि फ्री बीज का ऐलान करती रहती हैं। भारत में इसकी शुरुआत तमिलनाडु से मानीजाती है। 2006 में तमिलनाडु में विधा नसभा चुनाव होने थे। तब डीएमके ने सरकार बनने पर सभी परिवारों को फ्री कलर टीवी देने का वादा कर दिया। पार्टी ने तर्क दिया कि हर घर में टीवी होने से महिलाएं साक्षर होंगी। डीएमके के इस चुनावी वादे को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। हालांकि, डीएमके जीत गई, वादा पूरा करने के लिए 750 करोड़ रुपये का बजट लगाया गया। मामला सुप्रीम कोर्ट में चल ही रहा था कि 2011 के वि धानसभा चुनाव आए। विपक्षी अन्नाद्रमुक ने टीवी के जवाब में मिक्सर ग्राइंडर, इलेक्ट्रि क फैन, लैपटाॅप कम्प्यूटर सो ने की थाली आदि बांटने का वादा भी कर दिया। शादी होने पर महिलाओं को 50 ह जार रुपये और राशन कार्ड धारकों को 20 किलो चावल देने का वादा भी किया। नती जे आए तो अन्नाद्रमुक की सरकार बन गई।
साथियों बात अगर हम राजस्थान हरियाणा व अब महाराष्ट्र में रेवड़ी कल्चर की करें तो, वोटरों को फ्री में स्मार्टफोन और तीन साल के लिए फ्री इंटरनेट का वायदा किया है। इससे पहले गहलोत ने राज्य के हर परिवार को हर महीने 100 यूनिट तक फ्री बिजली फ्री देने का ऐलान किया था।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 05 नवंबर 2024 में भा रतीय फ्री रेवड़ी माॅडल की एंट्री-ट्रंप का बिजली बिल आधा करने का वादा। भारतीय चुनाव में फ्री रेवड़ियों का रेला, जनता को भाया सुहेला- अमेरिका में भी यही हो रहा खेला। रेवड़ी पानें वाले हित धारकों को मजा- टैक्स पेयर्स को टैक्स बोझ की सजा-नेता ओं का सत्ता भोगने का मजा।
फ्री रेवड़ी पानें वाले हितधारकों को मजा – टैक्स पेयर्स को टैक्स बोझ की सजा-नेताओं का सत्ता भोगने का मजा
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