जिस भाव से भगवान को पुकारते हैं, उसी भाव में मिलते हैं प्रभू -आचार्य राजेंद्र शास्त्री

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(करण मुुवाल)
पुरानी अनाज मंडी में श्री सिद्वि विनायक सेवा समिति द्वारा मनाए जा रहे 9वां गण पति उत्सव के दौरान करवाई जा रही श्री मद भागवत कथा का रविवार को दूसरा दिन रहा। दूसरे दिन अंतरराष्ट्रीय भागवत प्रवक्ता आचार्य राजेंद्र महाराज वृंदावन वाले ने प्रव चन सुनाए। उन्होंने ने एक प्रसंग को माध्यम मानते हुए मनुष्य धर्म को लेकर बताया कि मनुष्य का धर्म है प्रत्येक जीव पर दया करनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने सुकदेव का वंदन किया। उन्होंने बताया कि सत ने महाभारत की कथा में कुंती ने भगवान से विपत्ती मांगी।
भगवान की सत्ता सबके लिए बराबर होती है। इसलिए परमात्मा को भाव प्रसन्न है। पदार्थ नहीं। कथा में बताया कि सबरी ने भाव से भगवान के झूठे बेर खाए। द्रोपदी का समपर्ण भाव था। तभी दुस्साहसन साड़ी खींच कर थक गया था। भगवान को जिस भाव से पुकारते हैं, भगवान उसकी रक्षा आवश्य करते हैं। इसी कारण कौरव रूपी सेना से विजय प्राप्त हुई थी0। कथावाचक ने कहा कि आज के समाज में समस्त प्राणाी अपने बच्चों को संस्कृति व संस्कार जरूर बताने चा हिए। आज का युवा पूरी तर ह से भटक रहा है। जिनको राम, कृष्ण, परशुराम, सनातन धर्म के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसलिए प्रत्येक जीव को रामाण, गीता व अपनी संस्कृति के बारे में जरूर पता होना चाहिए। समिति के प्रधान कैलाश सिंगला व संयोजक विनोद मंगला ने ब ताया कि कथा के दूसरे दिन मुख्य यजमान की भूमिका में समाजसेवी तेजवंत राय गोयल, जैली राम धनौरी वाले ने निभाई। इनके अलावा शहर की सामाजिक संस्था भाविप केशव शाखा, अग्रवाल वैश्य समाज व मानव सेवा समिति के सदस्यों व पदाधिकारियों को सम्मानित किया गया।
प्रसाद की सेवा विक्की दुप्पटा वाले ने दी। इस मौके पर पूर्व प्रधान नरेश जैन, कैशि यर जय पाल बंसल, सलाहका र देवीराम गर्ग, विकास मित्तल, सतीश बंसल, राजेश बाता, पवन मित्तल, अर्जुन गोयल, सतीश सेतिया, वीरेंद्र चोपड़ा, सुशील गोयल, संजय सिंग ला, राजेंद्र गुप्ता मौजूद रहे।

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