एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर दुनियां का हर देश आज डिजि टाइजेशन की आंधी में वह चला है, क्योंकि कई महीनों दिनों के काम 1 मिनट में एक क्लिक से हो जाते है दूर दराज की खबरों को जानने में जहां दिनों लग जाते थे वे एक मिनट में जानकारी आ जाती है। किसी घटना की पूरी जानकारी, खुशियों की सौगातें या फिर फोटो के आने में जहां महीना लग जाते थे वह इंटरनेट के एक क्लिक से सेकंडों में एल्बम आ जाते हैं। बड़े बुजुर्गों का सटीक आंकलन है कि यदि हम सु कून, सुख सुविधाओं को अ धिक भोगेंगे तो स्वाभाविक ही है दुखों का भी आना होगा जो हमें डिजिटल प्लेटफॉर्म्स में जो कई बार साइबर क्राइम के रूप में जाने जाते हैं,एक क्लिक सेलाखों गायब, पर्स नल डाटा चोरी व महत्वपूर्ण पूर्ण फाइल डाटा डिलीट जैसे अनेकों खामियों, परेशानियों, मुश्किलों से दो चार होना पड़ता है, तो उनके क्षेत्र जैसे डिजिटल समाचार डिजिटल मंच के लिए कोई रेगुलेटरी अथाॅरिटी एवं बाॅडी नहीं होती होने से अक्सर आउट आॅफ कंट्रोल होने की संभावना रह ती थी, इन्हीं खामियों को नि यंत्रित करने के लिए मिनिस्ट्री आॅफ इनफाॅरमेशन ब्राॅडका स्टिंग एमबीए नवंबर 2024 में पूरी प्रक्रिया पूर्ण कर ब्राॅडका स्टिंग रेगुलेटरी बिल ड्राफ्ट किया था जिसकी पब्लिक क मेंट की डेड लाइन 10 नवंबर 2023 थी फिर दूसरा ड्राफ्ट तैयार किया गया जिसकी पब्लिक कमेंट की तारीख 15 जनवरी 2024 थी फिर ड्राफ्ट बनाकर मानसून बजट सत्र 2024 में पेश किया गया, परंतु बहुत विरोध हुआ परिणामतः बीती दिनांक 12 अगस्त 20 24 को देर रात बिल की वाप सी लेने की घोषणा व बिल ड्राफ्ट करने व फिर से पब्लिक कमेंट बुलाने की अंतिम तारीख 15 अक्टूबर 2024 निर्धारित की गई है। चूंकि केंद्र सरकार के ब्राॅडकास्टिंग नियमन बिल 2024 वापस ले लिया है वअब नया बिल बनेगा। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, बिल में डिजिटल प्लेट फाॅर्म पर न्यूज प्रसारित करने वालों के लिए नई रेगुलेटरी बाॅडी बनाए जाने के प्रावधान थे व डिजिटल न्यूज पब्लिशर इंडिविजुअल्स कंटेंट क्रिएटर व अन्य के विरोध को का सं ज्ञान के परिणामतह ब्राॅडका स्टिंग बिल 2024 वापसी हुआ।
साथियों बात अगर हम प्रसारण सेवा विनियमन विधे यक 2023 से लेकर ब्राॅडका स्टिंग बिल 2024 व अभी बिल वापसी की यात्रा की करेंतो, सरकार ने पिछले साल नवंबर में प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक 2023 का मसौदा जारी किया था। इसका मक सद प्रसारण क्षेत्र के लिए एक समेकित कानूनी ढांचा लाना और ओटीटी (डिजिटल मंच) सामग्री, डिजिटल समाचार और सम सामयिक मामलों को भी इसके दायरे में लाना था। इसका दूसरा मसौदा इस साल जुलाई में तैयार किया गया था,इसे केंद्रीय मंत्री ने संसद के मौजूदा सत्र में प्रस्ता वित किया था। मीडिया संग ठनों ने मसौदे के प्रावधानों पर चिंता व्यक्त की थी।
उनका कहना था कि यह डिजिटल मंच पर सामग्री को विनियमित और सेंसर कर ने के लिए बहुस्तरीय कानूनी प्रणाली बनाने का प्रयास कर ता है। केंद्र सरकार ने ब्राॅड कास्टिंग बिल 2024 को फिल हाल होल्ड पर रखने का फै सला किया है। सरकार ने कहा है कि व्यापक विचार- विमर्श के बाद इस बिल बिल का नया ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा। मिनिस्ट्री आॅफ इंफाॅर्मे शन एंड ब्राॅडकास्टिंग (एमआ ईबी) ने पिछले साल नवंबर में नए ब्राॅडकास्टिंग रेगुलेश न बिल को ड्राफ्ट किया था, इस बिल के ड्राफ्ट पर पब्लि क काॅमेंट की डेडलाइन 10 नवंबर, 2023 थी। बिल का दूसरा ड्राफ्ट इस साल जुलाई में तैयार किया गया था जो कि बिल के मसौदे पर सार्व जनिक टिप्पणी देने की अंतिम तिथि 15 जनवरी 2024 थी। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि बिल का संशोधित ड्राफ्ट संसद की पटल पर रखे जाने से पहले ही कुछ चुनिंदा हित धारकों के बीच गुप्त रूप से लीक कर दिया गया था।
डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स और इंडिविजुअल काॅन्टेंट क्रि एटर्स भी इस बिल का विरोध कर रहे थे। केंद्र सरकार ने ब्राॅड कास्टिंग बिल 2024 को वापस ले लिया है। सरकार का कहना है कि इस बिल को लाने का मुख्य मकसद सभी न्यूज ब्राॅडकास्टर्स को एक ही रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में लाना है।
साथियों बात अगर हम ब्राॅडकास्टिंग बिल 2024 को लाने के मकसद की करें तो, किसी भी माध्यम से प्रसारित होने वाले काॅन्टेंट को रेगुलेट, कंट्रोल, माॅनिटर और सेंसर करना है। सरकार सभी ब्राॅड कास्टर्स को एक ही रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में रखना चाहती है, ताकि चीजों को स्ट्रीमलाइन करने में सहूलियत हो सके। जिस तरह से डिजिटल प्लेट फाॅर्म पर फेक न्यूज और अफ वाह तेजी से फैल रहे हैं, उसे देखते हुए सरकार काॅन्टेंट को रेगूलेट करना चाह रही है। इसके लिए कॉन्टेंट कोट और एज वेरिफिकेशन मैकेनिज्म को लाया जाएगा। सरकार का कहना है कि इस नए ब्राॅड कास्टिंग रेगूलेशन बिल के लागू हो जाने के बाद किसी भी ओटीटी या डिजिटल प्लेट फाॅर्म पर फैलाए जाने वाले हेट स्पीच, फेक न्यूज या अफ वाहों के लिए प्लेटफाॅर्म को अकाउंटेबल बनाया जा सकेगा ब्राॅडकास्टिंग सर्विस बिल के प्रावधान इस बिल को खास तौर पर डिजिटल या ओटीटी प्लेटफाॅर्म जैसे कि यूट्यूब, एस (ट्विटर), फेसबुक, इंस्टाग्राम, नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो पर प्रसारित किए जाने वाले काॅन्टेंट को रेगुलेट करने के लिए ड्राफ्ट किया गया है। (1) इस बिल के आने के बाद से डिजिटल प्लेटफाॅर्म पर न्यूज प्रसारित करने वाले ब्राॅडका स्टर्स को डिजिटल न्यूज ब्राॅड का स्टर के तौर पर जाना जाएगा।
(2) डिजिटल ब्राॅडकास्ट र्स के लिए एक नई रेगुलेटरी बाॅडी ब्राॅडकास्टिंग आॅथिरिटी आॅफ इंडिया (बीएआई) बनाए जाने का प्रावधान है। यह नई रेगुलेटरी बाॅडी ब्राॅडकास्टिंग से जुड़े बिल के इंप्लिमेंटेशन और रेगुलेशन के लिए जिम्मे वार होगी।
(3) इसके अलावा इस बिल में सेल्फ रेगुलेशन के लिए टू-टियर सिस्टम क्रिएट कर ने का प्रावधान है, जिसमें नाॅन -कंप्लायेंस होने पर सरकार का इंटरवेंशन भी शामिल किया गया है।
(4)डिजिटल प्लेटफाॅर्म पर दिखाए जाने वाले काॅन्टेंट को रेगुलेट करने के लिए काॅन्टेंट इवैल्यूएशन कमिटी बनाए जा ने का प्रावधान भी इस बिल में शामिल किया गया है। यह कमिटी डिजिटल प्लेटफाॅर्म पर प्रसारित किए जाने वाले काॅन्टेंट को कंप्लायेंस सर्टि फिकेट देगी।
(5) यही नहीं, इस बिल में डिजिटल प्लेटफाॅर्म पर प्रसा रित किए जाने वाले काॅन्टेंट के प्रोवाइडर्स और व्यूअर्स के बीच एक पारदर्शी और ग्रीवांस रिड्रेसल सिस्टम तैयार कि ए जाने का भी प्रावधान है। 90 से ज्यादा डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन डिजी-पब न्यूज इंडिया फाउंडेशन और एडिटर्स गिल्ड आॅफ इंडिया ने कहा कि सूचना और प्रसा रण मंत्रालय ने चुनिंदा हित धारकों के साथ बंद कमरे में इस पर चर्चा की। डिजिटल मीडिया संगठनों और सिविल सोसाइटी एसोसिएशन के साथ चर्चा भी नहीं हुई। ड्राफ्ट काॅपी पाने के लिए मंत्रालय को लेटर भी लिखा था, लेकि न उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ड्राफ्ट में इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर्स और यूट्यूबर्स को उनके यूज रबेस के आधार पर श्डिजिटल न्यूज ब्राॅडकास्टर्सश् में दर्शाया जा रहा था। इसका नतीजा ये होता कि इन्फ्लुएंसर्स और यूट्यूबर्स को अपने कंटेंट के लिए सरकार से रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता। इंडिवि जुअल काॅन्टेंट क्रिएटर्स और डिजिटल पब्लिशर्स का क हना था कि बिल के जरिए सरकार डिजिटल उन पर एक तरह से सेंसरशिप लगा रही है।
बिल लागू होने पर सरकार की आलोचना नहीं कीजा स केगी।
वहीं, टू-टियर सेल्फ रेगु लेशन सिस्टम पर भी हित धारकों का विरोध किया था। बिल के ड्राफ्ट में डेटा के लो कलाइजेशन और यूजर डेटा का एक्सेस सरकार के पास होने का एक प्रावधान जोड़ा गया था। इसे लेकर स्टेक होल्डर्स का कहना था कि यह प्रावधान निजता का उल्लंघन करेगा। इसका दुरुपयोग की भी संभावना जताई थी। पर प्रसारित किए जाने वाले काॅन्टेंट को रेगुलेट करने के लिए ड्राफ्ट किया गया है।
साथियों बात अगर हम प्रसारण सेवा विनियमन वि धायक 2024 की करें तो, बता दें कि सरकार ने पिछले साल नवंबर में प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 का मसौदा जारी किया था। इसका उद्देश्य प्रसारण क्षेत्र के लिए एक समेकित कानू नी ढांचा लाना और ओटीटी सामग्री, डिजिटल समाचार और समसामयिक मामलों को भी इसके दायरे में लाना है। इसके तहत ब्राॅडकास्टर्स और ब्राॅडकास्टिंग नेटवर्क आॅपरेटरों को अपनी सेवाएं प्रदान कर ने से पहले सरकार के साथ पंजीकरण करना होगा या सरकार को इसकी सूचना देनी होगी। इस बिल के आने के बाद से डिजिटल प्लेटफाॅर्म पर न्यूज प्रसारित करने वाले ब्राॅडकास्टर्स को डिजिटल न्यूज ब्राॅडकास्टर के तौर पर जाना जाएगा। डिजिटल ब्राॅडकास्ट र्स के लिए एक नई रेगुलेटरी बाॅडी ब्राॅडकास्टिंग आॅथिरिटी आॅफ इंडिया (बीएआई) बनाए जाने का प्रावधान है।
यह नई रेगुलेटरी बाॅडी ब्राॅडकास्टिंग से जुड़े बिल के इंप्लिमेंटेशन और रेगुलेशन के लिए जिम्मेवार होगी। बिल में सेल्फ रेगुलेशन के लिए टू -टियर सिस्टम क्रिएट करने का प्रावधान है, जिसमें नाॅन- कंप्लायेंस होने पर सरकार का इंटरवेंशन भी शामिल किया गया है। डिजिटल प्लेटफाॅर्म पर दिखाए जाने वाले काॅन्टें ट को रेगुलेट करने के लिए काॅन्टेंट इवैल्यूएशन कमिटी बनाए जाने का प्रावधान भी इस बिल में शामिल किया गया है।
यह कमिटी डिजिटल प्लेट फाॅर्म पर प्रसारित किए जाने वाले काॅन्टेंट को कंप्लायेंस सर्टिफिकेट देगी। बिल में डि जिटल प्लेटफॉर्म पर प्रसारि त किए जाने वाले काॅन्टेंट के प्रोवाइडर्स और व्यूअर्स के बीच एक पारदर्शी और ग्रीवांस रि ड्रेसल सिस्टम तैयार किए जाने का भी प्रावधान है।
साथियों बात अगर हम बिल को लेकर हो रहे हंगामें की करें तो, नए ड्राफ्ट हुए ब्राॅड कास्टिंग बिल के प्रावधानों को देखते हुए इंडिविजुअल काॅन्टेंट क्रिएटर्स और कुछ डि जिटल पब्लिशर्स ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यह बिल काॅन्टेंट क्रिएटर्स के लिए सरकार द्वारा लगाए जाने वाले सेंसरशिप की तरह है। किसी को भी सरकार को क्रिटिसाइज करने की आजा दी नहीं होगी। खास तौर पर टू-टीयर सेल्फ रेगुलेशन सिस्टम को लेकर डिजिटल ब्राॅडकास्टर्स और इंडिविजुअ ल काॅन्टेंट क्रिएटर्स को चिंता है। इस बिल में डेटा के लोक लाइजेशन और यूजर डेटा का एक्सेस सरकार के पास होने का भी एक प्रावधान जोड़ा गया है, जिसे लेकर प्राइवेसी के वाॅयलेशन और इसके दुरु पयोग की संभावना जताई जा रही है। इस बिल को लेकर इंडिविजुअल काॅन्टेंट क्रिएटर्स और डिजिटल ब्राॅडकास्टर्स की टेंशन बढ़ गई है। प्रसारण सेवा विधेयक 2024 के मसौदे ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की चिंता क्यों बढ़ा दी है?
सूचना एवं प्रसारण मंत्रा लय ने अपने नए ड्राफ्ट ब्राॅड कास्टिंग बिल में यूट्यूब, इंस्टा ग्राम और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म पर स्वतंत्र समाचार निर्माताओं पर व्याप क नियमन का प्रस्ताव दिया है, जिससे ओटीटी कंटेंट और डिजिटल समाचार कंटेंट पर इसका दायरा बढ़ गया है। हम बताते हैं। चर्चा में क्यों? प्रसारण सेवा (विनियमन) वि धेयक 2024 का नवीनतम म सौदा केबल टेलीविजन नेट वर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 को प्रतिस्थापित करने का प्रयास करता है।मसौदा विधेयक में समाचार और सम सामयिक विषयों से संबंधित कार्यक्रमों (प्रिंट समाचार को छोड़कर) के प्रसारण को वि नियमित करने का प्रावधान है, क्योंकि उन्हें निर्धारित कार्य क्रम संहिता और विज्ञापन संहिता का अनुपालन करना होगा
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशेषण करें तो हम पाएंगे कि केंद्र सरकार ने ब्राॅड कास्टिंग बिल 2024 वापस लिया- अब नया बिल बनेगा – 15 अक्टूबर 2024 तक पब्लिक से सुझाव मांगेबिल में डिजिटल प्लेटफाॅर्म पर न्यूज प्रसारित करने वालों के लिए नई रेगुलेटरी बाॅडी बीएआई बनाए जाने का प्रावधान था। डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स और इंडिविजुअल्स कंटेंट क्रिए टर व अन्य के विरोध के सं ज्ञान का परिणामतः ब्राॅडका स्टिंग बिल 2024 वापसी हुई।
डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स और इंडिविजुअल्स कंटेंट क्रिएटर व अन्य के विरोध के संज्ञान का परिणामतः ब्राॅडकास्टिंग बिल 2024 वापसी हुई
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