एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर दुनियां के हर देश में अभूतपूर्व तेजी से बढ़ते हुए डिजिटाइ जेशन व बढ़ती प्रौद्योगिकी से दुनियां तो मुट्ठी में आ रही है,परंतु साथ ही अनेक देशों में उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता को भी बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। मानवीय मस्तिष्क अब तकनी की के सहारे किसी एप्स के सहारे घर बैठे बैठे ऐसी तक नीकी पावर का सहारा लेकर दुनियां के हर उस व्यक्ति की पर्सनल डाटा जानकारी प्राप्त कर लेता है जो उसकी एप्स उपयोग करने के दायरे में आता है,स्वाभाविक है कि कई ऐसी जानकारीयां होती है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण होती है परंतु दुश्मन या खारखाए बैठा देश सुरक्षा क्षेत्र से जुड़ी ऐतिहासि क जानकारीयां उस एप के सहारे आसानी से हासिल कर सकता है, इसलिए ही भारत ने 2020 में 59 एप्स पर बैन लगाया था जिसमें टिकटाॅक भी शामिल था उसे समय अमेरिका ने भी भारत की ता रीफ की थी, जबकि अबवही बात घूम फिरकर अमेरिका पर आ गई है, जो 2020 से ही इस विषय पर कार्य कर रहा था और अमेरिकी सीनेट ने विधेयक पारित कर दिया था जो 6 माह के अंदर टिक टाॅक को उसके चीनी मालिक द्वारा बेचना पड़ेगा लेकिन अब दिनांक 23 अप्रैल 2024 को अमेरिकी सीनेट ने एक ऐतिहा सिक विधेयक पारित किया है जिसमें 6 माह से बढ़कर 9 माह कर दिया गया है। अब शीघ्र रही टिकटाॅक पर बैन लगने की संभावना है। यानें कंपनी को टिकटाॅक का स्वामित्व हस्तांतरित करना ही होगा। उधर चीन ने इस विधेयक को कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति का बयान आया है कि विधेयक उसके हाथ में आते ही वह हस्ताक्षर कर देंगे और वह कानून बन जाएगा। चूंकि भारत के बाद अब अमेरिका ने भी चीन को जोरदार झटका दिया है और टिकटाॅक पर बैन लगना लग भग तय हो गया है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे भारत अमेरिका सहित अनेक देश राष्ट्रीय सुरक्षा चिं ताओं को देखते हुए यूजर डाटा तक चीन की पहुंच को रोकने टिकटाॅक पर बैन लगा ना उचित कदम है।
साथियों बात अगर हम अमेरिकी सीनेट द्वारा 23 अप्रैल 2024 को एक विधेयक पारित करने की करें तो, अमेरिकी संसद के सीनेट में एक विधे यक पारित किया गया जो प्रतिबंध लगाने की धमकी के साथ टिकटाॅक की बिक्री के लिए इसका स्वामित्व रख ने वाली चीनी कंपनी को मजबूर कर देगा। इस विधे यक को हस्ताक्षर के लिए अब राष्ट्रपति जो बाइडन के पास भेजा गया है। टिकटॉक से जुड़े विधेयक को 95 अरब अमेरिकी डाॅलर के उस बड़े पैकेज के हिस्से के रूप में शा मिल किया गया था जो यूक्रेन और इजराइल को विदेशी सहायता प्रदान करता है और इसे 79-18 के अंतर से पारित किया गया। सांसदों द्वारा पिछले सप्ताह टिकटाॅक वि धेयक को उच्च प्राथमिकता वाले पैकेज में संलग्न करने का निर्णय लिया गया जिससे कांग्रेस में इसे तेजी से पारि त कराने में मदद मिली। इस विधेयक को सीनेट से बात चीत के बाद लाया गया जहां इसके पूर्व संस्करण को बा धित कर दिया गया था। पुरा ने संस्करण में टिकटॉक की मूल कंपनी बाइटडांस को इस मंच में अपनी हिस्सेदारी को बेचने के लिए छह महीने का समय दिया गया था। लेकिन इसको लेकर कुछ प्रमुख सां सदों ने संदेह जताया था कि एक जटिल सौदे के लिहाज से छह महीने का समय बहुत कम है। इस सौदे का मूल्य अरबों डाॅलर हो सकता है। इस विधेयक के पारित होने के तुरंत बाद एक बयान जारी करके बाइडन ने कहा कि वह इस पर बुधवार को हस्ताक्ष र करेंगे। अमेरिकी सांसदों के इस विवादास्पद कदम को जहां कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, वहीं इससे सामग्री का सृजन करने (कंटेंट क्रिएटर) वाले उन लोगों के परेशानियां पैदा होने की आशंका है जो आम दनी के लिए इस शाॅर्ट-फाॅर्म वीडियो ऐप पर निर्भर हैं।
डील के लिए 9 महीने का टाइमलाइन दिया जाएगा। डील आगे बढ़ती है तो 90 दिन का एक्स्ट्रा समय दिया जाएगा। वहीं, अगर बाइट डां स इस टाइमफ्रेम में टिकटॉक को यूएस खरीदार को नहीं बेच पाती है तो टिकटाॅक का इस्तेमाल अमेरिका में पूरी तरह से बंद हो जाएगा।
साथियों बात अगर हम अमेरिका द्वारा टिकटाॅक पर बैन के कारणों की करें तो, अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी लंबे समय से टिकटाॅक को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानती रही है। अमेरिकी सुरक्षा एजें सी का दावा है कि बाइटडांस टिकटॉक के अमेरिकी यूजर्स का डाटा चीन के साथ सा झा करती है, जिससे उसके राष्ट्रीय सुरक्षा को बड़ा खतरा है, लेकिन बाइटडांस हमेशा से इन आरोपों गलत बताती रही है। बीते दिन पारित किए गए विधेयक में भी टिक-टाॅक को चीन के साथ संबंधों के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया है।
दरअसल, इस विधायी का र्रवाई के पीछे की वजह टिक टाॅक के चीनी स्वामित्व और बीजिंग में सत्तावादी सरकार की अमेरिकी यूजर डेटा तक पहुंच है। अमेरिका में राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए यूजर डेटा तक चीन की पहुंच को रोकने के लिए सरकार यह कदम उठा रही है। वहीं, दूसरी ओर टिकटाॅक का कह ना है कि कंपनी ने कभी भी चीनी अधिकारियों के साथ अमेरिका के यूजर्स का डेटा शेयर नहीं किया है। अब यह विधेयक अमेरिकी राष्ट्रपति को सौंपा गया है, जिन्होंने कहा है कि जैसे ही यह उन के पास पहुंचेगा, वे इस पर हस्ताक्षर करके इसे कानून बना देंगेअगर अमेरिका बाइट डांस को टिक-टाॅक बेचने के लिए मजबूर करने में सफल हो जाता है, तो भी किसी भी सौदे के लिए चीनी अधिका रियों की मंजूरी की आवश्यक ता होगी विश्लेषकों का कह ना है कि इस प्रक्रिया में सालों लग सकते हैं, क्योंकि चीनी अधिकारी जल्दी तैयार नहीं होंगे। साथियों बात अगर हम मुद्दे पर चीन की प्रतिक्रिया और चीन के विरोध में उतरने की करें तो, टिकटाॅक से प्रति क्रिया मांगी गई, लेकिन उसने तुरंत कोई जवाब नहीं दिया। विधेयक का पारित होना ची नी खतरों और टिकटाॅक के स्वामित्व को लेकर वाशिंगटन में लंबे समय से चली आ रही आशंकाओं का नतीजा है। अमेरिका में टिकटाॅक का 17.0 करोड़ लोगों द्वारा इस्तेमा ल किया जाता है। अमेरिकी सांसद और प्रशासन के अधि कारियों द्वारा लंबे समय से चिंता व्यक्त की जा रही है कि चीनी अधिकारी बाइटडांस को अमेरिकी उपयोगकर्ताओं का डेटा सौंपने के लिए मज बूर कर सकते हैं, या टिकटाॅक पर कुछ सामग्री को दबाकर या बढ़ावा देकर अमेरिकियों को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, अमेरिका का राष्ट्र पति बनने की दौड़ में फिर से शामिल डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह संभावित प्रतिबंध का विरोध करते हैं।चीन पहले ही कह चुका है कि वह टिक टाॅक की जबरन बिक्री का विरोध करेगा और वह इस विधेयक को रोकने के लिए मुकदमा दायर करने की तैयारी में जुटाहै। साथियों बात अगर हम 2020 में भारत द्वारा टिक टाॅक पर बैन लगाने की करें तो, भारत में, 1.4 अरब की आबादी वाले देश में, टिक टाॅक को 200 मिलियन उपयोग कर्ताओं का दर्शक वर्ग बना ने में केवल कुछ साल लगे।
चीन स्थित बाइटडांस के स्वामित्व वाले टिकटाॅक के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार था। फिर, 29 जून, 2020 को भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के हिंसा में बदल जाने के बाद, भारत सरकार ने 58 अन्य चीनी ऐप्स के साथ- साथ टिकटाॅक पर भी प्रतिबंध लगाने की घोषणा कीगूगल और एप्पल स्टोर से ऐप्स गा यब हो गए और उनकी वेब साइटें ब्लाॅक कर दी गईं।
इलेक्ट्राॅनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ऐप्स को भारत की संप्रभुता और अखं डता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक बताया था। जनवरी 2021 में प्रतिबंध को स्थायी कर दि या गया। टिकटाॅक भारत में जल्दी आया और 2017 में देश की दर्जनों भाषाओं में व्यापक आधार स्थापित किया। इस की सामग्रीलघु वीडियो-घरेलू और हाइपरलोकल थी। कुछ ही वर्षों में, टिकटाॅक कई छोटे उद्यमशीलता उद्यमों के साथ-साथ मनोरंजन के लिए एक मंच बन गया, खासकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में। भारत द्वारा टिकटाॅक पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय अ चानक लिया गया था, जबकि अमेरिकी प्रयास, जो 2020 में शुरू हुए थे, लंबे समय तक चले। लेकिन प्रेरणा काफी हद तक समान है। जैसा कि एनवाईटी की रिपोर्ट में कहा गया है, जहां संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन आर्थिक प्रभुत्व को लेकर एक नए तरह के शीत युद्ध में लगे हुए हैं, वहीं भारत और चीन के सैनि क 1962 से अपनी सीमा पर खड़े हैं। अमेरिका ने की भारत की तारीफ जब भारत ने टिक टॉक और कई चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया, तो अमेरिका इस फैसले की सराहना करने वाले पहले देशों में से एक था।
अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री ने प्रतिबंध का स्वागत करते हुए कहा था कि इससे भारत की संप्रभुता को बढ़ावा मिलेगा। चीन ने ब्रिटेन, न्यूजी लैंड और अमेरिका की ओर से टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद दूसरे देशों की सरकारों से उसकी कंपनियों से निष्पक्ष बर्ताव करने की अ पील की थी। अमेरिका, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड ने इस आशंका के कारण टिकटाॅक पर प्रति बंध लगा दिया है कि चीन के स्वामित्व वाली यह शाॅर्ट वीडियो सर्विस सुरक्षा के लिए खतरा हो सकती है। सरका रों को चिंता है कि टिकटाॅक का मालिकाना हक रखने वाली कंपनी बाइट डांस उपयोग कर्ताओं के बारे में ब्राउजिंग हिस्ट्री या अन्य आंकड़ें चीनी सरकार को दे सकती है या दुष्प्रचार और भ्रामक सूचना को बढ़ावा दे सकती है। भारत की तरह, अमेरिकी सांसदों को भी डर है कि ऐप बीजिंग के लिए प्रचार, गलत सूचना फैलाने या अमेरिकियों को प्रभावित करने के लिए एक उपकरण के रूप में काम कर सकता है। कई अमेरिकी अ धिकारियों और सांसदों ने लंबे समय से चिंता व्यक्त की है कि चीनी सरकार टिकटाॅक की मूल कंपनी बाइटडांस को अमेरिकी उपयोगकर्ताओं से एकत्र किए गए डेटा को सौंपने के लिए मजबूर कर सकती है। दरअसल, भारत के टिकटॉक पर प्रतिबंध का जिक्र अमेरिकी सदन में तब हुआ जब टिक टाॅक ऐप पर प्रतिबंध लगाने से जुड़ा बिल पेश किया गया।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो ह म पाएंगे कि भारत के बाद अमेरिका ने भी चीन को जोर दार झटका दिया! अमेरिका में टिकटाॅक पर प्रतिबंध लग ना लगभग तय है- अमेरिकी सीनेट ने ऐतिहासिक विधेयक को मंजूरी दी।
भारत अमेरिका सहित अ नेक देश राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए, यूजर डाटा तक चीनकी पहुंच को रोकने, टिक टाॅक पर बैन उचित कदम है।
भारत अमेरिका सहित अनेक देश राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए, यूजर डाटा तक चीन की पहुंच को रोकने, टिकटाॅक पर बैन उचित कदम
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