उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा मिमिक्री के अपमानजनक नाटकीयता पर गहरा दुख व्यक्त किया

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तरपर दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में अगर पत्ता भी हिलता है तोइसकी गूंज पूरे विश्व में सुनाई देती हैऐसा रुतबा, प्रसिद्ध, प्रतिष्ठा का भारत पूरी दुनिया के देशों के दिल में बसा हुआ है। स्वाभाविक ही है कि यहां सविंधानिक पदों पर बैठे व्यक्तित्व द्वारा उस पद के सम्मान प्रतिष्ठा को बनाए रखना परम मुख्य कर्तव्य है, जिसे रेखांकित करना जरूरी है, इसीलिए हाल के दिनों में उपराष्ट्रपति को लेकर की गई मिमिक्री भी इसकी फेहरिस्त में आती है। परंतु मुझे लगता है कि इस मुद्दे को पार्टी व सरकार द्वारा जोरदार ढंग से पकड़ा गया है।
हालांकि सोशल मीडिया पर हम अनेक मुख्य मंत्रीयों व संवैधानिक व्यक्तियों पर भी मिमिक्री करते हुए कई बार देख चुके हैं, परंतु उनको अब अंदाज लग गया होगा कि अगर बात निकलती है तो वह दूर तलक जाती है। जब से संसद में गैस कांड हुआ तब से विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहा है, इसी चक्कर में दिनांक 20 दिसंबर 2023 शाम तक 143 सांसदों को आचरण उचित न होने के लिए निलंबित किया गया जा चुका है, परंतु पक्ष इस मामले को उस घटना से न जोड़ते हुए आचरण की कार्यवाही करार दे रहा है। अब तो पक्ष विपक्ष में जोरदार ठन गई है। संसद से सड़क तक संसद सुरक्षा व मिमिर्की का मुद्दा तो, इधर मिमिर्की पर अपमान व नाटककियता का दोष, उधर विपक्ष एक है, तो इधर सभी संवैधानिक संस्थाएं, व्यक्तित्व, सरकार एक हो गई है, जो देख रही है वह सिर्फ जनता जनार्दन है। चूंकि राष्ट्र पति प्रधानमंत्री सहित अनेक मंत्रियों सांसदों द्वारा मिमिक्री मुद्दे पर गहरा दुख व्यक्त किया गया है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, मिमिक्री व संसद सुरक्षा मुद्दे पर घमासान हाई, अपमान की लड़ाई 2024 पर आई।
साथियों बात अगर हम संसद में उपराष्ट्रपति की मिमिक्री की करें तो, संसद में मिमिक्री करने के मामले में कुछ पार्टियों समेत विपक्षी दल घिर गए हैं। पार्टी ने विपक्ष पर हल्ला बोल दिया है। देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है। इस पूरे विवाद को किसान परिवार से लेकर जाट समाज तक से जोड़ दिया है। पार्टी के साथ-साथ खुद उपराष्ट्रपति ने विपक्ष पर जाट समाज और उनकी पृष्ठभूमि का अप मान करने का आरोप मढ़ दिया है।
एक दिन पहले तक संसद में सुरक्षा चूक और सांसदों के निलंबन का जोर -शोर से मामला उठा रहे विपक्षी दल बुधवार को बैक फुट पर आ गए हैं। एक जरा सी चूक हुई और पॉलिटिकल सिनेरियो ही चेंज हो गया है। दरअसल, संसद का शीत कालीन सत्र 4 दिसंबर से शुरू हुआ और 22 दिसंबर तक चलना है। इस सत्र के 19 दिनों में 15 बैठकें होना प्रस्तावित थीं। संसदीय कार्यवाही चल ही रही थी कि 13 दिसंबर को संसद पर हमले की 22वीं बरसी पर एक बड़ा घटनाक्रम हुआ। दो युवक संसद की दर्शक दीर्घा से वेल में कूद गए और हंगामा-नारेबाजी करने लगे। इन युवकों ने कलर स्प्रे हवा में उड़ाया तो सांसद भी दह शत में आ गए। किसी तरह दोनों युवकों को पकड़ा गया और सुरक्षा एजेंसियों को सौंप दिया। ठीक उसी समय संसद के बाहर भी एक युवती और एक युवक ने हंगामा-नारेबाजी और कलर स्प्रे हवा में छोड़ा। इस पूरे मामले को संसद की सुरक्षा का उल्लंघन बताया गया। पुलिस ने देश विरोधी धाराओं यूएपीए के तहत एक्शन लिया।
साथियों बात अगर हम विपक्ष द्वारा संसद में सुरक्षा चूक मामले पर रणनीति की करें तो, विपक्षी सांसदों ने संसद में सुरक्षा चूक को बड़ा मुद्दा बनाने की रणनीति बनाई और केंद्रीय गृहमंत्री से सदन में बयान देने की मांग तेज कर दी। अगले दिन याने 14 दिसंबर को संसद की कार्य वाही शुरू हुई तो दोनों सदनों में सुरक्षा चूक का मामला गूंजने लगा. स्पीकर और सभा पति ने सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालने के आरोप में 14 सांसदों को सस्पेंड कर दिया।
इनमें 13 लोक सभा और एक राज्यसभा का सदस्य था। उसके बाद 18 दिसंबर को एक बार फिर सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष के रुख में नरमी की बजाय तीखापन देखने को मिला। अब दो मसले उठाए गए। पहला- सुरक्षा में चूक और दूसरा- सांसदों का निलं बन। गृह मंत्री के बयान की मांग पर अड़े थे विपक्षी नेता हंगामा बढ़ा और विपक्ष हमला वर रहा तो एक बार फिर कार्यवाही का चाबुक चलाया गया। इस बार दोनों सदनों से सीधे 78 सांसदों का निलं बन हुआ। इसमें 33 लोकसभा और 45 राज्यसभा के सदस्य थे। विपक्ष अपनी मांग पर अडिग रहा। अगले दिन यानी 19 दिसंबर को शीतकालीन सत्र की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष ने वही दोनों मांगें जोर-शोर से उठानी शुरू कर दीं। हंगामा इतना बढ़ा कि जो विधेयक एक दिन पहले पेश किए गए थे, उन पर चर्चा असंभव सी लगने लगी। इस बीच, सस्पेंशन पर एक्शन में कमी नहीं आई। मंगलवार को भी 49 सांसदों को सस्पेंड किया गया ये सभी लोकसभा सदस्य थे। बुधवार को दो और सांसद सस्पेंड किए गए। अब तक 143 सदस्यों पर एक्शन इस तरह से संसद के इतिहास में सांसदों पर अब तक का सबसे बड़ा एक्शन लिया गया। निलंबित हुए सांसदों की संख्या 143 हो गई है।
साथियों बात अगर हम मिमिक्री करने वाले संसद के बयान की करें तो, सांसद दरअसल, सांसदों के निलंबन के खिलाफ मंगलवार को संसद की सीढ़ियों पर विपक्ष के विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्होंने ने उपराष्ट्रपति की नकल उतारी थी जिसपर विवाद छिड़ गया है। इस विवाद पर सफाई देते हुए उस सांसद ने कहा कि मेरा किसी को ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं था। उन्होंने कहा, साहब मुझसे बहुत वरिष्ठ हैं, मुझे नहीं पता कि उन्होंने इसे अपने ऊपर क्यों लिया है। मेरा सवाल यह है कि अगर उन्होंने इसे अपने ऊपर ले लिया है, तो क्या वे राज्य सभा में इस तरह का व्यवहार करते हैं? सांसद ने कहा कि उपराष्ट्रपति समेत किसी को ठेस पहुंचाने का इरादा बिल्कुल नहीं था, वह संवैधानिक पदों का सम्मान करते हैं। मिमिक्री करना कोई अपराध नहीं है, पार्टी इस मुद्दे को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।
साथियों बात अगर हम मिमिक्री मुद्दे पर राष्ट्रपति प्रद्दानमंत्री व विपक्ष के नेता के विचारों की करें तो, राष्ट्र पति द्रौपदी मुर्मू ने भी उप राष्ट्रपति की मिमिक्री की घटना पर दुख जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेट फार्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि अभिव्यक्ति के दौरान गरिमा का ख्याल रखना चाहिए और यह शिष्टाचार के मानदंडों के भीतर होनी चाहिए। संसद परिसर में उप राष्ट्रपति के अपमान से निराशा हुई राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा -जिस तरह से हमारे सम्मा नित उपराष्ट्रपति को संसद परिसर में अपमानित किया गया, उसे देखकर मुझे निराशा हुई। निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपनी अभिव्यक्ति के लिए स्वतंत्र होना चाहिए, लेकिन उनकी अभिव्यक्ति की गरिमा और शिष्टाचार के मानदंडों के भीतर होनी चाहिए। यह संसदीय परंपरा रही है जिस पर हमें गर्व है और भारत के लोग उनसे इसे कायम रखने की उम्मीद करते हैं। पीएम ने बुधवार को उपराष्ट्रपति को फोन किया और संसद परिसर में कुछ सांसदों की ओर से अशोभनीय आचरण करते हुए उनका मजाक उड़ाए जाने पर गहरा दुख व्यक्त किया। उपराष्ट्रपति सचिवालय की ओर से सोशल मीडिया मंच एक्स पर किए गए एक पोस्ट मे उपराष्ट्रपति ने कहा, पीएम का फोन आया और उन्होंने कल संसद के पवित्र परिसर में कुछ मान नीय सांसदों द्वारा प्रदर्शित की गयी अपमानजनक नाट कीयता पर अत्यंत दुख व्यक्त किया। पोस्ट के मुताबिक, पीएम नेउपराष्ट्रपति से कहा कि वह स्वयं पिछले 20 वर्षों से इस तरह का अपमान सहते आ रहे हैं। पीएम ने कहा, लेकिन देश के उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद के साथ और वह भी संसद में, ऐसा होना दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ लोगों की बेतुकी हरकतें उन्हें अपना कर्तव्य निभाने और संविधान में निहित सिद्धांतों का सम्मान करने से नहीं रोक सकती हैं।
उन्होंने कहा, मैं संवैद्दा निक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हूं और इस प्रकार के अपमान मुझे अपने मार्ग से विचलित नहीं कर सकते। सांसद विपक्ष ने कहा, मिमिक्री एक कला है, टीवी में पीएम से लेकर विपक्ष तक सबकी मिमिक्री होती है। किसी ने नहीं कहा कि यह जगदीप द्दनखड़ जी की मिमिक्री है तो वे क्यों इसे अपना रहे हैं। अगर हमारे देश के उच्च स्थान पर बैठे व्यक्ति जात- पात की बात करें तो क्या उन्हें यह शोभा देता है? टीएमसी सांसद मिमिक्री विवाद पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, पीएम को याद करना चाहिए कि पश्चिम बंगाल चुनाव के समय उन्होंने कैसे एक महिला मुख्यमंत्री का मजाक उड़ाया था। तो पीएम और पार्टी हमें नसीहत न दें। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मिमिक्री व संसद सुरक्षा मुद्दे पर घमा सान हाई- अपमान की लड़ाई 2024 पर आई उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा मिमिक्री के अपमान जनक नाटकीयता पर गहरा दुख व्यक्त किया राष्ट्रीय प्रभुत्व, हाई प्रोफाइल व्यक्तित्व व संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों पर मिमिक्री पर एथि क्स बनाना समय की मांग है।

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