महिला सैनिकों को दिपावली के पहले बहुत बड़ा तोहफा!

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियां जानती है कि भारत में महिलाओं का सम्मान और लेडीज फर्स्ट की भावना का सम्मान सबसे अधिक किया जाता है। यहां महिलाओं को दैव्य शक्ति के रूप में माना जाता है जो आदि अनादि काल से है, इसलिए ही यहां सरकारों द्वारा महिला सुविद्दाओं को महत्व दिया जाता है परंतु कुछ वर्षों से महिलाओं को विशेष रूप से सुविधाए दी जा रही है, जैसे उज्जवला योजना लाडली बहन योजना सहित अनेक योजनाएं हैं और अभी संसद के विशेष सत्र में नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 अभूतपूर्व उपलब्धि के साथ संसद के दोनों सत्रों में पारित किया गया और अभी दिनांक 5 नवंबर 2023 को माननीय केंद्रीय रक्षामंत्री ने एक प्रस्ताव को मंजूरी दी जिसमे अब सभी महिला सैनिकों को मातृत्व, शिशु देखभाल और दत्तक-ग्रहण अवकाश समान रूप से मिलेगा। यह छुट्टी सेना में सभी ओहदों पर कार्यरत महिला सैन्य कर्मियों को समान रूप से मिलेगी, चाहे वो अधिकारी हों, या न हों। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि यह सुविधा महिलाओं के पारिवारिक और सामाजिक मुद्दों के समाधान में दीर्घलिक महत्व की साबित होगी। इससे सेना में उनकी काम काजी परिस्थितियां बेहतर होंगी और वे अपने पेशेवर और पारिवारिक जीवन के बीच संतुलन बिठा सकेंगी। सेना में सभी महिला कर्मियों के लिए मातृत्व, शिशु देख भाल और दत्तक-ग्रहण अव काश उपलब्ध की सुविधा सेना के तीनों अंगों के लिए एक बड़ा परिवर्तन है। वर्ष 2019 में थल सेना में सैन्य पुलिस कोर में महिला सैनिकों की भर्ती शुरू हुई थी। चूंकि पुरुषों को पैटरनिटी लीव और महिलाओं को सुविधाओं की फेहरिस्त में एक और अध्याय जुड़ गया है और महिलाओं को दीपावली के पहले बहुत बड़ा तोहफा मिला है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्द्द जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, महिलाओं को मैटर निटी और पुरुषों को पैटरनिटी लीव से शिशु देखभाल में दुर्गा में परिणाम आते हैं।
साथियों बात अगर हम महिला सैनिकों संबधी मैटरनिटी लीव का प्रस्ताव पारित होने की करें तो, केंद्र सरकार ने दिवाली से पहले महिला सैनिकों को बड़ा तोहफा दिया है, अब भारतीय सेना में काम करने वाली महिला सैनिकों, सेलर्स, एयर वारियर्स और महिला अग्नि वीरों को एक समान मैटरनिटी लीव मिलेगी। रक्षा मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब से पहले सेना में केवल हायर रैंक वुमन आफि सर्स को मैटरनिटी लीव और बच्चों के अडॉप्शन पर छुट्टियां दी जाती थीं। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, सशस्त्र बलों में महिला सैनिकों, नाविकों और वायु योद्धाओं के लिए उनके अधिकारी समकक्षों के समान मातृत्व, बाल देखभाल और बच्चे को गोद लेने पर चाइल्ड केयर लीव दी जाएगी। नियम जारी होने के साथ ही सेना में सभी महिलाओं को, चाहे वह अधिकारी हो या किसी अन्य रैंक की, ऐसी छुट्टियाँ देना समान रूप से लागू होगा।
महिलाअधिकारियों को 180 दिनों की मैटरनिटी लीव मिलती है, इसके साथ ही अगर वो एक साल से कम उम्र के बच्चे को गोद लेती हैं तो उसके गोद लेने की तारीख के बाद से उन्हें 180 दिनों की छुट्टी मिलती है। एक महिला अधिकारी को अपनी पूरी नौकरी के दौरान 360 दिन बच्चे की देखभाल के लिए मिलते हैं। इसके लिए बच्चों की उम्र 18 साल से कम होनी चाहिए। रक्षा मंत्रालय के इस फैसले के बाद भारतीय सेना में काम करने वाली सभी महिलाओं को पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ बैलेंस करने में मदद मिलेगी। साथ ही वह बाकी महिलाओं को बच्चे के जन्म और गोद लेने पर मिलने वाली छुट्टियों की तरह ही मैटरनिटी औरचाइल्ड केयर लीव का लाभ उठा पाएंगी। भारतीय सेना के सैन्य पुलिस कोर में सैनिकों के रूप में महिलाओं की भर्ती साल 2019 से शुरू हुई. वहीं अग्निवीर योजना की शुरुआत के बाद महिलाओं की कोर आफ मिलिट्री पुलिस में भर्ती की जा रही है।इंडियन नेवी में भी अग्निवीर योजना के तहत महिला सेलर्स की भी भर्ती शुरू की गई है रक्षा मंत्रालय के इस फैसले से सभी को इसका लाभ मिलेगा। रक्षा मंत्रालय से सशस्त्र बलों में तैनात महिलाओं के छुट्टियों को लेकर एक प्रस्ताव जारी किया गया है, इस प्रस्ताव में महिलाओं की छुट्टियों को लेकर एकनियम बनाया गया है। सुरक्षा बलों में अब महिला अधिकारियों की तरह ही महिला सैनिकों को भी अब मातृत्व, बच्चों की देखभाल और बच्चे गोद लेने के लिए छुट्टियां और अन्य सुविधाएं दी जाएगी. इससे महिला सैनिक अपने पेशेवर और पारिवारिक जीवन को अद्दिक प्रभावशाली ढंग से संतुलित बना सकेंगी। भारतीय सशस्त्र बल के नए नियमों से अब सभी रैंकों की महिला कर्मियों के बीच समानता आ गई है। इस नियम के आने के बाद से सेना में सभी महिलाओं के लिए ऐसी छुट्टियों का अनुदान समान रूप से लागू होगा, चाहे वह अधिकारी हो या किसी अन्य रैंक का हो।
साथियों बात अगर हम मेटरनिटी लीव कानून की करें तो, 2017 से पहले भारत में कामकाजी महिलाओं को 12 हफ्ते यानी तीन महीने की ही मैटरनिटी लीव मिलती थी। लेकिन अक्सर तीन महीने की छुट्टी के बाद महिलाओं का काम पर वापस लौटना मुश्किल होता था और वो छुट्टी बढ़ा लेती थीं। लिहाजा 2017 में केंद्र सरकार ने मैटरनिटी बेनिफिट कानून में संशोधन कर दिया। इसके बाद मैटरनिटी लीव 12 हफ्ते से बढ़कर 26 हफ्ते तक हो गई। कानूनन, पहले और दूसरे बच्चे के लिए 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव मिलती है। तीसरे या इससे ज्यादा बच्चे होने पर 12 हफ्ते की ही छुट्टी का प्रावधान है।
मैटरनिटी लीव में काम काजी महिलाओं को उनकी पूरी सैलरी मिलती है।इसके अलावा, कानून ये भी कहता है कि तीन महीने से कम उम्र के बच्चों को गोद लेने वालीं या सेरोगेट मदर्स को भी 12 हफ्ते की मैटरनिटी लीव दी जाएगी। वैसे तो भारत की आधी आबादी महिलाओं कीहै, लेकिन कामकाजी महिलाओं की आबादी की भी आधी है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, भारत में कामकाजी महिलाओं की आबादी 27 फीसदी है। मैटरनिटी लीव की वजह से भी कामकाजी महिलाओं पर असर पड़ता है। 2018 में एक निजी संस्था टीमलीज ने 300 कंपनियों के कर्मचा रियों पर सर्वे किया था। इस सर्वे में सामने आया था कि मैटरनिटी लीव की वजह से 11 से 18 लाख महिला कर्म चारियों की छुट्टी हो सकती है।
साथियों बात अगर हम पूरी दुनिया में मैटरनिटी लीव के प्रावधानों का अध्ययन करें तो, इंटरनेशनल लेबर आर्ग नाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में सबसे लंबे समय तक मैटरनिटी लीव क्रोएशिया में मिलती है. यहां कामकाजी महिलाओं को 58 हफ्ते की छुट्टी मिलती है. वहीं, नार्वे में 56 और स्वीडन में 55 हफ्तों की मैटरनिटी लीव मिलती है। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके, मोंटेनेगरो, बोसनिया, अल्बानिया और जर्मनी में महिलाओं को 52 हफ्ते की मैटरनिटी लीव मिलती है। अमेरिका ऐसा देश है जहां मैटरनिटी लीव को लेकर कोई पॉलिसी नहीं है. यहां के कुछ राज्यों में महिलाओं को 12 हफ्तों की मैटरनिटी लीव मिलती है, लेकिन वो अनपैड होती है। यानी, इस दौरान कामकाजी महिलाओं को सैलरी नहीं दी जाती। संयुक्त अरब अमीरात में महिलाओं को सिर्फ 6 हफ्ते की मैटरनिटी लीव मिलती है। नेपाल, ओमान, कतर और लेबनान में भी महज 7 हफ्तों की ही मैटरिनिटी लीव का प्रावधान है। बातें अगर हम पैटरनिटी लीव की करें तो,दर असल पैटर्निटी लीव किसी भी स्टाफ को मिलने वाली वह छुट्टी है, जो उसे पिता बनने के बाद मिलती है। यह लीव बच्चे और उसकी मां की देखभाल के लिए मिलती है। आमतौर पर यह लीव बच्चे की डिलिवरी के 15 दिन पहले से लेकर उसके जन्म के बाद 6 महीने तक कभी भी ले सकते हैं। आपने नोट किया होगा कि बच्चा जन्म के बाद से ही मां को पहचानने लगता है। इसकी वजह उसका मां से जुड़ाव है, जबकि पिता के साथ ऐसा नहीं होता। नवजात पिता को नहीं पहचानता। यही वजह है कि वह जन्म के बाद पिता को देखकर रोने भी लगता है। अगर आप जन्म से कुछ समय पहले या जन्म के बाद कुछ दिन बच्चे के साथ बिताएंगे तो वह आपको भी पहचानने लगेगा। इसके अलावा इस मौके पर आपका साथ आपकी पार्टनर को फिजिकल और मेंटल दोनों तरह का सपोर्ट देता है। यह तभी संभव हो सकेगा जब आप लीव पर होंगे. इसके लिए आप पैटर्निटी लीव ले सकते हैं। भारत में इस लीव की बात करें तो सेंट्रल गवर्नमेंट के पुरुष कर्म चारी 15 दिनों की पैटर्निटी लीव ले सकते हैं। प्राइवेट कंपनी के स्टाफ के लिए कई फिक्स रूल्स नहीं हैं। यहां कई बड़ी कंपनियां इस लीव को देती हैं, तो कई कंपनियां इस कॉन्सेप्ट को नहीं मानतीं। इसलिए जरूरी है आप छुट्टी को लेकर अपनी कंपनी की एचआर पॉलिसी को जरूर पढ़ें। अगर सरकारी स्तर पर ही इस लीव की बात करें तो यह दिल्ली, गुज रात, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और मेघालय में सरकारी कर्मचारियों को यह छुट्टी मिलती है। मेघालय को छोड़कर इसे डिलिवरी से 15 दिन पहले या बच्चे के जन्म के बाद 6 महीने तक कभी भी ले सकते हैं। वहीं मेघालय में डिलिवरी से 7 दिन पहले या जन्म के बाद के 6 महीने तक कभी भी ले सकते हैं पैटरनिटी लीव देने वाले अति महत्वपूर्ण लोगों की करें तो।भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली, मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग, टेनिस प्लेयर सेरेना विलियम्स के पति ओहानि यान, शाहिद कपूर, सैफ अली खान और रितेश देशमुख जैसे बड़े नाम बच्चे के जन्म पर छुट्टी ले चुके हैं। अतः अगर हम पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि महिलाओं को सुविधाओं की फेहरिस्त में एक और अध्याय जुड़ा।महिला सैनिकों कोदिपावली के पहले बहुत बड़ा तोहफा महिलाओं को मैटरनिटी और पुरुषों को पैटरनिटी लीव मिलने से शिशु देखभाल के दूरगामी सुखद परिणाम आते हैं।

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