प्याज की महंगाई – सरकार की लड़ाई – जनता की भलाई

RAJNITIK BULLET
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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
भारत में एक ओर जहां आईसीसी विश्व कप क्रिकेट मैच में दिनांक 2 नवंबर 2023 को देर रात्रि 33 वें मुकाबले में भारत ने श्रीलंका को 55 रन पर सिमटा कर टीम को शतकवीर बनने से रोक कर मैच जीत ली है। ठीक उसी प्रकार भारत सरकार भी लगातार तेजी से महंगे हो रहे प्याज के शतकवीर बनने के ख्वाब को तोड़ने के लिए उपभोक्ता मंत्रालय लगातार रणनीतियां बनाकर उसे तोड़ने के लिए एक्शन लेकर शतकवीर नहीं बनने देने की ठान ली है, जिसके परिणाम को हासिल करने के लिए भारत ने पहले 31 दिसंबर 2023 तक प्याज के निर्यात को रोकने के लिए या बंदिश लगाने के लिए 40 प्रतिशत सीमा शुल्क लगा दिया था और फिर 29 अक्टूबर 2023 को प्याज के निर्यात को थामने के लिए प्याज का निर्यात मूल्य 800 डालर प्रति टन कर दिया था और आज 2 नवंबर 2023 को शासन ने एक लाख टन प्याज को खुदरा बाजार में बेचने का निर्णय लिया है जो भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (नाफेड) के जरिए खुदरा बाजारों में स्थान पहचान कर सस्ते मूल्य पर बेचा जाना है जिससे जमा खोरों तथा कथित व्यापारियों मुनाफाखोरों के मंसूबों पर नियंत्रण किया जा सके, जिसका रिजल्ट हमें देखने को मिल रहा है कि पिछले बार में 1.70 लाख तन खुदरा बाजार में बेचकर मूल्य नियंत्रण किया गया जो हमने देखा कि अनेक स्थानों पर ब्याज 25 रुपए प्रति किलो बेचा जा रहा है जो रणनीतियां बनाकर बेचना जारी है। चूंकि प्याज की कीमतों प्याज को शतकवीर बनने के ख्वाब को तोड़ने के लिए सरकार एक्शन में है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, प्याज की कीमतों में नियंत्रण हेतु 1 लाख टन प्याज खुदरा बाजार में उतारने का सरकार का निर्णय सराहनीय है।
साथियों बात अगर हम प्याज के शतक वीर बनने के ख्वाब को तोड़ने के लिए सरकार के एक्शन की करें तो, जहां एक ओर शतकवीर बनने की ओर अग्रसर प्याज की कीमतों को थामने के लिए सरकार ने प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 800 डालर प्रति टन तय कर दिया था। जो एक किलो में यह 67 रुपये प्रति किलो बैठता है, यानी इस कीमत से कम मूल्य पर प्याज का निर्यात नहीं किया जा सकेगा। हालांकि, सरकार ने पहले से प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगा रखा है जिससे निर्यात लगभग ठप है। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि सरकार के इस कदम का कीमतों पर फिलहाल बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा और अभी करीब एक महीने तक महंगे प्याज से उपभोक्ताओं का सामना होता रहेगा। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के एक बयान में कहा गया है कि यह फैसला 29 अक्टूबर से 31 दिसंबर, 2023 तक प्रभावी रहेगा। घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने बफर स्टॉक के तहत 2 लाख टन अतिरिक्त प्याज खरीदने का भी फैसला किया था। इस साल अभी तक बफर स्टॉक के लिए 5 लाख टन प्याज की सरकारी खरीद हो चुकी है, जिसमें से 1.70 लाख टन बाजार में उतारा जा चुका हैएनसीसीएफ और नेफेड के जरिये देश के चुनिंदा बाजारों में उपभोक्ताओं को 25 रुपये प्रति किलो की दर पर किफा यती प्याज मुहैया कराया जा रहा है। अभी फिर 1 लाख टन प्याज खुदरा बाजार में उतारने का फैसला किया गया है। नाफेड के पास डेढ़ लाख टन प्याज का भंडार है नाफेड 25 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज उपलब्ध कराता रहेगा।
साथियों बात अगर हम नाफेड द्वारा सस्ती कीमतों पर प्याज उपलब्ध कराने की करें तो, देश में बढ़ती प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने बफर स्टाक से प्याज को बाजारों में भेजना शुरू कर चुकी है। जबकि, कंज्यूमर को महंगी कीमत से राहत देने के लिए सरकार ने बाजार भाव से 3 गुना सस्ती प्याज 170 शहरों में उपलब्ध करा रही है. सरकार की समितियों एनसी सी एफ और नेफेड के जरिए प्याज की बिक्री करा रही है। बिक्री वाले शहरों में दिल्ली एनसीआर के 71 जगह, जयपुर में 12 जगह और वाराणसी में 10 जगहों समेत कई शहरों में केवल 25 रुपये में प्याज बेची जा रही है। एक सप्ताह में प्याज की कीमत दोगुनी तेजी से बढ़ी है। प्याज की कीमतों में तेज उछाल देखा गया है, पिछले एक सप्ताह में कीमतों में 2 गुना वृद्धि हुई है। खुले बाजार में प्याज अब 60 से 90 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रही है। प्याज की कीमतों को नियंत्रत करने के लिए सरकार ने अपना बफर स्टाक से प्याज को शहरों में बिक्री के लिए तेजी से भेज रही है। सरकार अब एनसीसी एफ और नेफेड के जरिए देश के 170 शहरों और 685 केंद्रों में स्थापित स्टाल्स और मोबाइल वैन से 25 रुपये प्रति किलोग्राम कीमत पर प्याज बेच रही है। दिल्ली- एनसी आर में 71, जयपुर में 22, लुधियाना में 12, वाराणसी में 10, रोहतक में 6 और श्रीनगर में 5 सहित विभिन्न स्थानों पर मोबाइल वैन के माध्यम से सस्ती प्याज की बिक्री की जा रही है. इसके अलावा भोपाल, इंदौर, भुवने श्वर, हैदराबाद और बेंगलुरु में मोबाइल वैन के जरिए रियायती प्याज की बिक्री भी जारी है। दिल्ली के बाद गोवा और पुडुचेरी में सबसे महंगी प्याज उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार दिल्ली में प्याज की कीमतें 25 अक्टूबर को करीब 40 रुपये प्रति किलोग्राम थीं और यह कीमत 29 अक्टूबर को दोगुनी होकर 80 रुपये प्रति किलो ग्राम पहुंच गई। वर्तमान में दिल्ली में प्याज की औसत खुदरा कीमतें अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक हैं। दिल्ली के बाद सर्वाधिक कीमतों में बढ़ोत्तरी गोवा और पुडुचेरी में देखी गई है, जहां बीते मंगलवार को औसत खुदरा कीमत 72 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई। अन्य राज्यों में प्याज की खुदरा कीमतें 55 रुपये से 69 रुपये प्रति किलोग्राम तक दर्ज की गई हैं।
साथियों बात अगर हम प्याज महंगाई के कारणों की करें तो, साल के इस समय, दक्षिण के राज्यों से भी प्याज की आपूर्ति होती थी, जिससे कीमतें नियंत्रित रहती थीं।हालांकि दक्षिण के राज्यों में अभी तक प्याज की फसल तैयार नहीं हुई है, लेकिन प्याज कारोबारियों के मुता बिक, आने वाले एक महीने में दक्षिण के राज्यों से प्याज की आवक बढ़ेगी, जिससे इसकी कीमतों में कमी की संभावना है।
प्याज कारोबारी बता रहे हैं कि बाजार में ज्यादातर प्याज पिछले साल के कोल्ड स्टोरेज से निकाले जा रहे हैं, और उस स्टाक का भी काफी हिस्सा सड़ चुका है.स। थोक विक्रेता ने बताया कि फिलहाल थोड़ी बहुत प्याज की आवक नासिक, बेंगलुरु और इंदौर से हो रही है, और कीमतें बढ़ने पर नुकसान के खतरे को देखते हुए बड़े कारोबारी भी जरूरत के मुताबिक ही प्याज मंगा रहे हैं।
प्याज एसोसिएशन के अध्यक्ष के मुताबिक, एक महीने पहले थोक मंडी में प्याज की कीमत 25 से 28 रुपए किलो के बीच थी, लेकिन अब यह बढ़कर 50 से 52 रुपए हो गई है, उनका मानना है कि प्याज की महंगाई खुदरा दुकानदारों द्वारा मनमानी कीमत तय करने के कारण हुई है, जिसे नियंत्रित किया जाना चाहिए। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इस का विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि प्याज के शतक वीर बनने के ख्वाब को तोड़ने पर

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