अदम्य साहसी और विलक्षण पराक्रमी स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को हमेशा शान से जीने की दी प्रेरणा

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(शमशाद सिद्दीकी)
भारतीय नागरिक परिषद के तत्वावधान में आज स्वामी विवेकानंद की जयंती पर गोमती होटल में मेयर सयुक्ता भाटिया जी की अध्यक्षता में संगोष्ठी आयोजित की गई। 
संगोष्ठी में बोलते हुए भारतीय नागरिक परिषद की महामंत्री रीना त्रिपाठी ने कहा अदम्य साहसी और विलक्षण पराक्रमी स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को हमेशा शान से जीने की प्रेरणा दी। इसी कारण उनका जन्मदिन युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। धर्म के नाम पर छल और आडंबर से मुक्त होकर मानवता के धर्म के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने का भाव उन्होंने जगाया। स्वामी जी कहते थे चरित्रवान युवाओं के उस बड़े संगठन की आवश्यकता है जिस के कंधों पर बैठकर सभी जातियां और धर्म एक साथ ऊपर उठने का साहस बटोर सकें। उन्होंने कहा कि हमारा देश यदि सचमुच जगद्गुरु कहलाने के योग्य है तो वह केवल स्वामी विवेकानंद के कारण। यहां से वहां तक प्रसिद्धि हासिल करने के पश्चात अपने ही देश में स्वामी जी को ईर्ष्यालुओं और कूप मंडूकों की भारी भर्त्सना झेलनी पड़ी। यह युद्ध भी उन्होंने उसी तरह लड़ा जिस तरह किसी भी क्षेत्र में अपराजेय योद्धा को लड़ना पड़ता है। स्वामी जी ने अपनी समरनीति से कभी समझौता नहीं किया। वे आध्यात्मिक जगत के चक्रवर्ती सम्राट थे।  
उनके शब्दों में – नया भारत निकल पड़े मोची की दुकान से, भड़भूँजे के भाड़ से, मजदूर के कारखाने से, हाट से बाजार से, निकल पड़े झाड़ियों, जंगलों, पर्वतों से। स्वामी विवेकानंद का सबसे बड़ा देव मंत्र था ‘उठो जागो स्वयं को जगा कर औरों को जगाओ अपने नर जीवन को सफल करो और तब तक न रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए’। युवाओं को सनातन संस्कृति को विश्व पटल पर स्थापित करने वाले युवा नेतृत्व को हृदय में सर्वोच्च स्थान देना होगा।
संगोष्ठी में बोलते हुए धर्म जागरण प्रमुख अभय कुमार ने कहा कि आज पूरी दुनिया में भारत के युवाओं की मेधा और प्रतिभा का उभार दिख रहा है। अमेरिका तक अपने देश के युवाओं से आवाहन कर रहा है कि वह पढ़ने लिखने को ज्यादा तवज्जो दें वरना भारतीय युवा छा जाएंगे । हमें आभारी होना चाहिए स्वामी विवेकानंद का जिन्होंने अकेले पहल की और दुनिया को भौचक्का कर दिया। भारत को उसका खोया गौरव वापस दिलाया। आज के युवाओं को नैतिकता का पालन करते हुए नशे जैसी बुराइयों से दूर रहना चाहिए। स्वामीजी आज होते तो वाकई भारतीय युवाओं की दुनिया में धाक देख अपने सपने को पूरा होते देख कितना खुश होते।

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