एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी – गोंदिया। भारत में दिनांक 8/9/10 सितंबर 2023 के हर पल का हर लम्हा, जब विश्व के कोने-कोने में बसे भारतीयों ने प्रिंट इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया में पढ़ा और देखा तो खुशी से गौर वविंत होकर गदगद हो उठा कि विश्व में भारत के करीब आने की हर देश किस होड़ मची है। हर मेहमान टाॅप लेवल लीडर से आम सैलानी तक भारत की मेहमान नवाजी अतिथि देवो भवः से प्रफुल्लित हो उठे और हर भारतीय कहने लगा मुझे भारतीय होने पर मुझे गर्व है। ऐसा है मेरा भारत देश! क्योंकि इसके पहले ऐसा अभूतपूर्व पल विकसित विकासशील देशों के टाॅप लीडरों का भारत हब बना हो, शायद कभी नहीं देखे हैं। वर्तमान युवा पीढ़ी तो देखकर दंग है कि भारत का इतना रुतबा है, उन्होंने इतिहास के पन्नों में नहीं पढ़ने को मिला था पर अभी इतना इतिहास रचा जा रहा है। भारतीय कूटनीति का सब से बड़ी सफलता का आगाज अफ्रीकी यूनियन को जी20 में शामिल करवा कर जी21 बनाना अपने आप में बहुत बड़ा काम भारत ने कर दिखाया है। जब माननीय पीएम ने अफ्रीकी यूनियन के मुखिया को जी20 सीट पर अपना स्थान ग्रहण करने का आह्वान किया और बताया कि और को जी20 में स्थाई सदस्य का दर्जा दिया गया है तो पूरा विश्व हैरानी से इस सफल कूटनीति को देख कर, भारतीय बौद्धिक क्षमता का लोहा करने लगा, क्योंकि भारत ने चीन को भी इसके लिए मना लिया था। दूसरी तरफ बड़ी उपलब्धि जी20 घोषणा पत्र 2023 पर सभी लीडर्स सदस्यों की सहमति बन गई है जिसकी औपचारिक घोषणा होगी, जिसमें 9 बार आतंकवाद और 4 बार यूक्रेन का जिक्र है और घोषणा पत्र में यूक्रेन पर खाली छोड़े गए पैराग्राफ को भी आम सहमति से भर दिया गया है, जिससे भारतीय पीएम का कुशल नेतृत्व प्रदर्शित हुआ है। जी20 के इतिहास में भारत का जी20 2023 सबसे महत्वाकांक्षी रहा है, क्योंकि 112 परिणाम और अध्यक्ष दस्तावेज का संग्रह हमने पिछले अध्यक्षों से तीन गुना से अधिक कार्य किया है, जिसमें नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन (नई दिल्ली घोषणा पत्र) मजबूत रिकाॅर्ड, संतुलित और समन्वययशील विकास एसडीजी पर प्रगति में तेजी लाने, सतत भविष्य के लिए हरित विकास समझौते, 21वीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थान और बहुपद को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित है। चूंकि इस जी20 शिखर सम्मेलन प्लेटफार्म में भारतीय नेतृत्व ने अपनें कुछलनेतृत्व की शाॅप छोड़ी है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, जी -20 मंच पर भारत को वैश्विक नेता के रूप में देखकर हर नागरिक गौरवविंत होकर खुशी से गदगद हुआ है।
साथियों बात अगर हम जी20 के 9-10 सितंबर 20 23 के दिन की उपलब्धियों की करें तो, 09 सितंबर को जब जी20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत हुई तो सुबह साढ़े दस से दोपहर डेढ़ बजे तक पहला सत्र वन अर्थ पर आयोजित किया गया।वहीं वन फैमिली पर दूसरा सत्र दोपहर 3 बजे से 4.45 बजे तक चला। शाम 7 बजे डिनर पर सभी राष्ट्राध्यक्ष मुलाकात किए। जहां इनके बीच रात 8 बजे से 9.15 बजे तक बात चीत हुई।रविवार याने जी20 सम्मेलन के आखिरी दिन वन फ्यूचर पर तीसरा सत्र सुबह 10 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक आयोजित हुआ। इस सत्र के बाद जी20 शिखर सम्मेलन समाप्त हो गया। बता दें 08 सितंबर यानें शुक्र वार को अमेरिका,बांग्लादेश और माॅरीशस के साथ द्वि पक्षीय वार्ता हुई। 09 सितंबर यानें शनिवार को ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, इटली सेद्विपक्षीय वार्ता हुई। वहीं 10 सितंबर यानी रविवार को कनाडा, तुर्किए, यूएई और दक्षिण कोरिया से द्विपक्षीय वार्ता हुई। वहीं इस सम्मेलन में शामिल हो रहे सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सोमवार यानें 11 सितंबर को पीएम के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।
साथियों बात अगर हम नई दिल्ली जी20 लीडर्सडि क्लेरेशन परआम सहमति की करें तो, जी20 घोषणापत्र के 37 पन्नों में चार बार यूक्रेन का जिक्र हुआ है। रूस और यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच ये बात विशेष तौर पर ध्यान देने वाली है। घोषणापत्र में यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति का आह्वान किया गया है। पीएम ने खुद इस बात की जानकारी दी कि, नई दिल्ली जी20 लीडर्स घोषणा पत्र पर सभी देशों की सहमति बन गई है। जिस का विषय यह है।(1)मजबूत टिकाऊ, संतुलित और समा वेशी विकास (2) एसडीजी पर प्रगति में तेजी लाना (3) सतत भविष्य के लिए हरित विकास समझौता (4) 21वीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थान (5)तकनीकी परिवर्तन और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा (6) इंटर नेशनल टैक्सेशन (7) लैंगिक समानता और सभी महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाना(8) वित्तीय क्षेत्र के मुद्दे(9)आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग का मुकाबला करना (10) अधिक समावेशी विश्व का निर्माण। मजबूत टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास, व्यापक संकटों ने दीर्घकालिक विकास के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। असमान पुनर्प्राप्ति का सामना करते हुए और दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए हम अच्छी तरह से कैलिब्रेटेड व्या पक आर्थिक और संरचनात्मक नीतियों को लागू करेंगे। हम समान विकास को बढ़ावा देने और व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को बढ़ाकर कमजोर लोगों की रक्षा करेंगे. इस तरह केदृदृष्टिकोण से संकट को हल करने और मज बूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। वैश्विक आर्थिक वृद्धि अपने दीर्घ कालिक औसत से नीचे है और असमान बनी हुई है। वैश्विक वित्तीय स्थितियों मेंउल्लेखनीय सख्ती की जाएगी, जो कि ऋण कम जोरियों, बढ़ती महंगाई और जियोइकॉनोमिक टेंशन को और खराब कर सकता है। इसलिए, हम विकास को बढ़ावा देने, असमानताओं को कम करने और व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए अच्छी तरह से कैलिब्रेटेड मौद्रिक राजकोषीय वित्तीय और संरचनात्मक नीतियों की आवश्यकता को दोहराते हैं. हम नीति सहयोग को बढ़ाना जारी रखेंगे और सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा की दिशा में प्रगति का समर्थन करेंगे।
साथियों बात अगर हम अफ्रीकन यूनियन के जी-20 में शामिल होने की करें तो, 55 सदस्य देशों का संगठन अफ्रीकी संघ को औपचारिक रूप से जी20 में शामिल हो गया। पीएम ने समूह में अफ्रीकी संघ के प्रवेश का प्रस्ताव रखा और अन्य नेताओं ने इस पर सहमति व्यक्त की। पीएम ने अफ्रीकन यूनियन के अध्यक्ष को जी20 नेताओं की मेज पर एक सदस्य के रूपमें अपना स्थान लेनेके लिए आमंत्रित किया और उन्हें गले लगा कर जी20 में उनका स्वागत किया। दरअसल, अफ्रीकी महाद्वीप 55 देशों का ग्रुप है। ये दुनिया की कुल जैव विविधता के एक बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। 21 वीं सदी में जलवायु परिवर्तन कीचुनौतियों का सामना कर ने में दुनिया को जिन चीजों की जरूरत पड़ेगी, उसकी पूर्ति के हर साधन अफ्रीकन यूनियन (एयू) के पास मौजूद है।अफ्रीकी महाद्वीप में विश्व की 60 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा को बनाने में लगने वा ला कच्चा माल मौजूद है। उस के पास 30 प्रतिशत से अधिक खनिज हैं, जो नवीक रणीय और निम्नकार्बन प्रौद्यो गिकियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। अगस्त में जारी अफ्रीका के आर्थिक विकास पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, कांगो में दुनिया का लगभग आधा कोबाल्ट है, जो लिथियम -आयन बैटरी के लिए बहुत जरूरी धातु है। ऐसे में अफ्रीकी यूनियन का मुख्य धारा से जुड़ना दुनिया और खुद अफ्रीका के लिए काफी अहम होगा। अफ्रीकन यूनियन के जी20 का हिस्सा बनने के बाद 80 से 85 फीसद इको नाॅमी जी20 के झंडे तले आ जाएगी। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने सक्रिय रूप से अफ्रीकी देशों की आवाज दुनिया के तमाम मंचों पर उठाया है।
साथियों बात अगर हम जी20, 9-10 शिखर सम्मेलन इंडिया की जगह भारत नाम की करें तो,पहले नई दिल्ली में आयोजित किए जा रहे जी-20 देशों के सम्मेलन के पहले दिन शनिवार को जब पीएम अपना उद्घाटन भाषण दे रहे थे तो कई लोगों का ध्यान उनकी मेज पर रखे बोर्ड पर जा रहा था। उनके सामने रखे बोर्ड पर भारत लिखा था। अतीत में ऐसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के मौके पर पीएम के सामने इंडिया लिखा हुआ देखा जाता रहा है। वहीं, बीते साल 15 नवंबर को इंडोनेशिया के बाली में जी-20 देशों का जो सम्मेलन हुआ था उसमें पीएम के सामने रखे बोर्ड पर भी इंडिया लिखा था। बीते दिनों जी-20 सम्मेलन से जुड़े कार्यक्रम के लिए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के निमंत्रण पत्र में श्इंडियाश् की जगह श्भारतश् लिखा होने को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। बीतें शुक्रवार को ही संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि अगर भारत उसके पास औपचारिक मांग भेजता है और सभी औपचारिकताएं पूरी कर देता है तो वह संयुक्त राष्ट्र के रिकाॅर्ड में इंडिया का नाम भारत कर देगा। पुरानी पार्टी समेत अन्य विपक्षी दलों ने कहा कि मोदी सरकार देश का नाम श्इंडियाश् से बदल कर श्भारतश् करना चाहती है। उनका कहना था कि विप क्षी गठबंधन ने अपना नाम श्इंडियाश् रखा है जिस वजह से सत्ताधारी सरकार जानबूझ कर अब इंडिया की जगह भारत नाम काइस्तेमाल कर रही है। मीडिया रिपोर्टों में दावा भी किया जा रहा है कि 18 सितंबर से शुरू हो रहे संसद के आगामी विशेष सत्र में इंडिया का नाम बदल कर भारत करने का प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। हालांकि इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत की सफल कूटनीति का आगाज – अफ्रीकी यूनियन सदस्य बना – जी- 20 अब जी-21 बना। विश्व के देशों में भारत के करीब आने की होड़ मची – मुझे भारतीय होने पर मुझे गर्व है। जी-20 मंच पर भारत को वैश्विक नेता के रूप में देख कर हर नागरिक गौरवविंत हो कर खुशी से गदगद हो उठा।
भारत की सफल कूटनीति का आगाज – अफ्रीकी यूनियन सदस्य बना – जी-20 अब जी-21 बना
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