तम्बाकू के सेवन से गर्भस्थ के मस्तिष्क और फेफड़ों पर भी पड़ता है असर -डा. सुजाता

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(अंकित पाल) लखनऊ, राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के अनुसार 15 साल से अधिक आयु की 8.4 फीसद महिलाएं तंबाकू का किसी न किसी रूप में सेवन करती हैं।
तंबाकू व अन्ंय तम्बाकू उत्पाद के सेवन से महिला को गर्भ धारण के साथ ही भ्रूण और बच्चे के विकास दोनों का ही खतरा होता है द्य तंबाकू और इसके उत्पाद में निकोटीन और अन्य तरह के रसायन होते हैं जो कि गर्भवती, गर्भस्थ शिशु तथा बच्चे के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते हैं।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डा. सुजाता देव बताती हैं कि जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं उन्हें गर्भधारण में बहुत दिक्कत होती हैद्य इस बात का भी खतरा रहता है कि वह कभी माँ नहीं बन सकती हैं तथा गर्भपात होने की संभावना भी होती है। इसके साथ ही माँ में खून की कमी भी हो सकती है क्योंकि धूम्रपान शरीर में विटामिन सी की मात्रा को काम करता है जो कि आयरन के अवशोषण में अहम भूमिका निभाता है। गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने से गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क और फेफड़ों के ऊतकों के नष्ट होने की संभावना भी होती हैद्य इसके साथ ही कुछ शोधों से यह निष्कर्ष भी सामने आए हैं कि नवजात को जन्मजात विकृति जैसे कटे होंठ(क्लेफ्ट लिप्स) भी हो सकते हैं। धूम्रपान व अन्य तंबाकू उत्पादों के सेवन से गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज भी हो सकती है। इसके अलावा समय से पहले बच्चे का जन्म, मृत बच्चे का जन्म, जन्मजात विकृति, कम वजन के बच्चे का जन्म, प्रीएक्लेम्पसिया भी हो सकता है।
इस संबंध में साल 2021 के इंटरनेशनल जर्नल आफ हेल्थ साइंसेस एंड रिसर्च में प्रकाशित शोध के परिणाम के अनुसार महिला द्वारा किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन उसके और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है। तंबाकू और उसके उत्पादों के सेवन से होने वाली मृत्यु और बीमारी को रोकने के लिए से गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन नहीं करना चाहिए
यह शोध द्वितीयक आंकड़ों पर आधारित था। इसमें साल 2006 से 2020 तक तंबाकू व मातृ धूम्रपान पर आधारित 29 शोधों को पढ़कर रिव्यू कर एक नया शोध सामने आया। 29 शोधों में जो उत्तरदाता थे वह 12 से45 साल व उससे ज्यादा उम्र की 11,34,769 महिलाएं थीं। आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पाया गया कि कुल 22.26 फीसद माताएं धूम्रपान कर रही थीं। इसमें उन महिलाओं का प्रतिशत ज्यादा था जो निरक्षर, निम्न आय स्तर, ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली, गृहिणी और उनके पति भी धूम्रपान करते थे। इनमें गर्भावस्था के हानिकारक परिणाम सामने आने के साथ ही उनका स्वयं का स्वास्थ्य भी सही नहीं था। इनमें जहां 23.27 फीसद माताओं का वजन कम था वहीं 62.46 फीसद माताओं में खून की कमी थी। समय से पहले 12.86 फीसद बच्चों का जन्म हुआ, 8.76 फीसद बच्चों का वजन जन्म के समय कम था। 79 फीसद बच्चों की लंबाई जन्म के समय कम थी और 15.77 प्रतिशत बच्चे मोटापे से ग्रसित थे।

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