Kartavyapath : कोरोना काल में हुआ साबित, स्वस्थय जीवन के लिए जरुरी है टीकाकरण

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Mar 19, 2023
इस मिशन के जरिए नवजात शिशुओं की होने वाली मौत के आंकड़ों को कम किया गया। वर्ष 2020 में हर हजार शिशुओं में से सिर्फ 32 शिशुओं की जान जाती है, जो कि पहले 45 से अधिक होती थी।

कोरोना वायरस काल में टीकाकरण की अहमियत हर व्यक्ति ने देखी है। इसके जरिए ये तथ्य फिर से साबित हुआ कि वैक्सीनेशन की जरुरत काफी अहम है। कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए देशभर में टीकाकरण कार्यक्रम आज भी जारी है। वैसे भारत में ये पहला मौका नहीं है जब इतने बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाया गया हो। इससे पहले भारत में पोलियो, चेचक जैसी बीमारियां महामारी का रूप ले चुकी हैं जिनसे बचने के लिए टीकाकरण अभियान चलाए गए है। वैक्सीनेशन होने से वायरस और बैक्टीरिया से व्यक्ति के शरीर का बचाव होता है, जिससे गंभीर बीमारियों के चपेट में आने से बचा जा सकता है। मगर पहली बाद वर्ष 1978 देश में टीकाकरण की शुरुआत हुई।
देश भर में लोगों को टीकाकरण की अहमियत बताने के उद्देश्य से हर वर्ष 16 मार्च को नेशनल वैक्सीनेशन डे का आयोजन किया जाता है। वैक्सीनेशन के जरिए ही दुनिया भर की कई खतरनाक और घातक बीमारियों का इलाज संभव हो पाया है। वैज्ञानिक तरीकों से भी साबित हुआ है कि वैक्सीन किसी भी बीमारी से बचाव का कारगर तरीका है। कोविड महामारी के दौरान भी ये तथ्य साबित हो चुका है। वैक्सीन लगवाने से व्यक्ति के जीवन की डोर को टूटने से बचाया जा सकता है। भारत सरकार ने न सिर्फ देश बल्कि मानव जाति की चिंता की। यही कारण है कि वैक्सीन की हर खुराक के लिए जब विश्व समुदाय भारत की ओर देख रहा था तब अपनी जरुरतों को पूरा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में करीब 100 देशों को कोविड की गंभीरता से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध कराई गई।
भारत विश्व में सभी तरह की 60 फीसदी वैक्सीन की मांग को पूरा कर रहा है, यह अपने आप में मानवता की सबसे बड़ी सेवा है। 16 मार्च को जब देश में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस मनाया गया तब स्वस्थ मानव समाज की सेवा पर पूरा देश और देश वासी भी गर्व करते दिखे।
खास बात है कि भारत में आज के समय सिर्फ कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए ही टीकाकरण अभियान नहीं चलाया जा रहा है। बल्कि देश में 12 प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचने के लिए सार्वभौमिक टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। इसमें देश की जनता को 11 तरह की वैक्सीन दी जाती है। सिर्फ बीमारियों के लिए ही नहीं बल्कि एहतियात के तौर पर भी शिशु और गर्भवती महिलाओं को भी कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से बचाने के लिए टीका लगाया जाता है। इसमें डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस, पोलियो, खसरा, रूबेला, बचपन में होने वाली तपेदिक, हेपेटाइटिस-बी, मेनिन्जाइटिस, रोटावायरस डायरिया, न्यूमोकोकल निमोनिया और देश में ऐसे जिले जहां जापानी बुखार से बचाने के लिए केंद्र सरकार की पहल पर मुफ्त टीकाकरण किया जाता है।
केंद्र सरकार ने शुरु किया मिशन इंद्रधनुष
वर्ष 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद दिसंबर 2014 में गर्भवती और नौनिहालों की बेहतर सेहत के लिए मिशन इंद्रधनुष की शुरुआत की गई। इस मिशन के जरिए नवजात शिशुओं की होने वाली मौत के आंकड़ों को कम किया गया। वर्ष 2020 में हर हजार शिशुओं में से सिर्फ 32 शिशुओं की जान जाती है, जो कि पहले 45 से अधिक होती थी। मिशन इंद्रधनुष के जरिए 4.45 करोड़ बच्चों और 1.12 करोड़ गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया। इस मिशन से 11 फेजों में देश के 701 जिलों में टीकाकरण किया जा चुका है।
सरकार के इस अभियान के बाद मीजल्स और रूबेला जैसी बीमारी से बचाने के लिए वर्ष 2017 में टीकाकरण कार्यक्रम लॉन्च किया गया। इसके साथ ही न्यूमोकोकल निमोनिया के लिए न्यूमोकोकल वैक्सीन को भी शामिल किया गया। केंद्र सरकार के बीते नौ वर्षों के निरंतर प्रयासों के कारण ही राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 4 में जहां देश में टीकाकरण 62 प्रतिशत था वो सर्वे 5 में बढ़कर 76.6 फीसदी पहुंचा। हालांकि ये सफलता ऐसे ही नहीं मिली, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोल्ड चेन पॉइंट की संख्या को बढ़ाया गया। वैक्सीन की बर्बादी को रोकने के लिए प्रर्याप्त उपाय किए गए साथ ही जिन सेंटरों पर वैक्सीन की उपलब्धता नहीं थी वहां इनकी पहुंच बढ़ाई गई जिसके लिए इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क बनााय गया। देश भर में वैक्सीन की बर्बादी ना हो इसके लिए देश में 29,000 कोल्ड चेन प्वाइंट, 52,000 आइस लाइंड रेफ्रिजरेटर और 46,000 डीप फ्रीजर का इस्तेमाल वैक्सीन स्टोर और वितरण के लिए किया जा रहा है।
वैक्सीनेशन के लिए नदी पार करना हो, पहाड़ चढ़ना हो, बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाना हो, राजस्थान के मरुस्थल तक पहुंचना हो या कठिन से कठिन इलाकों में ड्रोन या हेलीकॉप्टर से वैक्सीन या वैक्सीनेटर को पहुंचाना हो या डोर-टू-डोर कैंपेन के माध्यम से अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना हो, इसका अभ्यास भारत को इन आठ वर्षों में हो चुका था। इसी का नतीजा था कि भारत विश्व में सबसे जल्दी सबसे ज्यादा टीका लगाने वाला देश बना। स्वास्थ्य और खास कर मिशन इंद्रधनुष अभियान के दौरान टीकाकरण के लिए तैयार किए गए इंफ्रास्ट्रक्चर का महामारी के दौरान बहुत लाभ मिला।

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