Jan 26, 2023
गणतंत्र दिवस के मौके पर देश की राजधानी दिल्ली में कर्तव्य पथ पर परेड का आयोजन हो रहा है, जिसकी सलामी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कर रही है। ये पहला मौका है जब कर्तव्यपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड का आयोजन हो रहा है। इससे पहले इस जगह को राजपथ के नाम से जाना जाता था।
भारत 26 जनवरी 2023 को 74वें गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन कर रहा है। इस दौरान कर्तव्यपथ पर देश की पहली दलित महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने परेड की सलामी लेकर नया इतिहास रचा है। इस परेड के मुख्य अतिथि मिस्त्र के राष्ट्रपति है। इस वर्ष कर्तव्य पथ पर परेड की शुरुआत के साथ ही आर्मर्ड कोर सेंटर एंड स्कूल, पैराशूट रेजिमेंट सेंटर और राजपुताना राइफल्स का संयुक्त बैंड दस्ता राष्ट्रपति को मार्च करते हुए सलामी दी।
इसके बाद कर्तव्य पथ पर पंजाब रेजिमेंट ने मार्च किया और राष्ट्रपति को सलामी दी। इस रेजीमेंट का नेतृत्व लौंगेवाला के कैप्टन अमन जगताप ने किया। इनका युद्ध घोष जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल है। इसके बाद नौसेना के मार्चिंग दस्ते ने सलामी दी।
इसके अलावा 61 कैवलरी की वर्दी में पहली टुकड़ी ने कैप्टन रायजादा शौर्य बाली के नेतृत्व में परेड में सलामी दी। 61 कैवलरी दुनिया में एकमात्र सेवारत सक्रिय घुड़सवार कैवेलरी रेजिमेंट है, जिसमें सभी ‘स्टेट हॉर्स यूनिट्स’ का संयोजन है। भारतीय नौसेना के ब्रास बैंड और नौसेना के मार्चिंग दस्ता भी राष्ट्रपति को सलामी देता हुआ परेड में निकला। इस दस्ते की अगुवाई लेफ्टिनेंट कमांडर दिशा अमृथ ने की। ये पहला मौका है जब इस दस्ते में 3 महिला और 6 पुरुष अग्निवीरों को भी शामिल किया गया है।
इसके बाद 27 वायु रक्षा मिसाइल रेजिमेंट ने सलामी दी। ‘अमृतसर एयरफील्ड’ का नेतृत्व कैप्टन सुनील दशरथ और 512 लाइट एडी मिसाइल रेजिमेंट (एसपी) की लेफ्टिनेंट चेतना शर्मा ने किया। वायु सेना के मार्चिंग दस्ते ने स्क्वाड्रल लीडर सिंधु रेड्डी के नेतृत्व में वायु सेना बैंड और कॉम्बैट मार्चिंग दस्ते ने परेड में सलामी दी। इसके बाद बीएसएफ के ऊंटदल ने भी राष्ट्रपति को सलामी दी। इन ऊंटों को एक साथ कर्तव्यपथ पर चलता देख परेड में मौजूद दर्शकों में खासा उत्साह देखने को मिला।
परेड में दिखी मारक जहाजों की झलक
भारतीय सेना की ताकत को प्रदर्शित करते मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन, नाग मिसाइल सिस्टम (एनएएमआईएस), बीएमपी-2 एसएआरएटीएच का इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल, क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल, K-9 वज्र-ट्रैक्ड सेल्फ-प्रोपेल्ड होवित्जर गन, ब्रह्मोस मिसाइल, 10 मीटर शॉर्ट स्पैन ब्रिज, मोबाइल माइक्रोवेव नोड और मैकेनाइज्ड कॉलम में मोबाइल नेटवर्क सेंटर और आकाश (नई पीढ़ी के उपकरण) ने कर्तव्यपथ पर परेड में हिस्सा लिया।
अर्जुन टैंक का दिखा वर्चस्व
वर्ष 2004 से अर्जुन टैंक भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहा है। ये देश का पहला ऐसा मुख्य युद्धक टैंक रहाहै,जिसमें 120 मिलीमीटर बैरल वाले टैंकों की संख्या 141 है। इसके दो वेरिएंट्स भी उपलब्ध है। जानकारी के मुताबिक दोनों टैंकों की मारक क्षमता एक मिनट में 6-8 राउंड फायर करने की है। एक टैंक 42 गोले स्टोर करने में सक्षम है। बता दें कि अर्जुंन टैंक की रेंज 450 किलोमीटर है।
नाग मिसाइल ने लिया हिस्सा
इसके अलावा Helina (NAG) ATGM, जिसे धुवास्त्र के नाम से भी जाना जाता है, ने भी इसमें हिस्सा लिया है। इसमें लगी इंफ्रारेड इमेजिंग सीकर तकनीक काफी अहम है, जो मिसाइल के लॉन्च होती ही एक्टिव हो जाती है। एंटी टैंक हथियारों की लिस्ट में ये दुनिया के बेहतरीन और अत्याधुनिक हथियारों में शामिल होता है। इस टैंक की मारक क्षमता इतनी जबरदस्तहै कि दुश्मन का टैंक के वार से बचना असंभव हो जाता है।
भारत में बनी हेलिना 230 मीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से चलने की क्षमता रखती है, यानी प्रति घंटा इसकी स्पीड 828 किलोमीटर की है। इसकी गति के कारण कोई दुश्मन इसके प्रभाव से बच नहीं सकता है। इसकी रेंज 500 मीटर से 20 किलोमीटर की है। ये हर मौसम में हमला कर सकती है। इस मिसाइल को सेना व हेलिकॉप्टर, एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर समेत अन्य लड़ाकू हेलिकॉप्टरों में लगाकर भी उपयोग कर सकती है।
BrahMos Missile देख लोग हुए हैरान
इसके बाद BrahMos Missile को परेड में दर्शाया गया। ये मिसाइल कई खासियतों से भरी हुई है। हवा में रास्ता बदलने में सक्षम, चलते हुए टारगेट को ध्वस्त करना इसके लिए बाएं हाथ का खेल है। मिसाइल 10 मीटर तक ऊंचाई पर भी उड़ान भर सकती है। इस मिसाइल का दुश्मन के रडार से बचना काफी आसान है। इसके चार वैरिएंट्स है। ये मिसाइल 4321 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकती है।
आकाश मिसाइल आई नजर
भारत की सबसे खतरनाक मिसाइलों में से एक आकाश मिसाइल हवा में मार करने वाली मिसाइलों में से शामिल है। आकाश प्राइम में स्वदेशी एक्टिव सीकर लगा हुआ है। इसकी तकनीत दुश्मन के टारगेट को पहचानने की सटीकता को बढ़ाता है। इसका सफल परीक्षण भी हो चुका है। इसका निर्माण भारतीय वायुसेना के लिए किया गया है। इसकी रेंज 40-80 किलोमीटर है। इसमें एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे मल्टी फंक्शन रडार लगा है। ये कई दुश्मन मिसाइलों को एक साथ स्कैन करने में सक्षम है।
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