भ्रष्टाचारी लाख करे चतुराई, कर्म का लेख मिटे ना रे भाई

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया – वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म चंडीपूजा का रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी उर्फ कवि प्रदीप द्वारा लिखा गीत, कोई लाख करे चतुराई कर्म का लेख मिटे ना रे भाई, जरा समझो इसकी सच्चाई रे, कर्म का लेख मिटे ना रे भाई यह गीत आज हर शास कीय कर्मचारी, युवा वर्ग और भ्रष्टाचार रूपी मीठी मिठाई खाने वालों को जरूर सुनना चाहिए, क्योंकि भ्रष्टाचार एक ऐसा बीज है, जो हमेशा उसे बोने के लिए ललचाता है, खुद हर किसी के शरीर में जाकर पनपने को लालायित रहता है ताकि अपनी जड़ें जमा कर अपने शिकार को वर्तमान सहित उसके रिटायर मेंट के बाद अधिक सुविधा और शुद्धता से अपना निवाला बना सके!उसकी जिंदगी नर्क करे। परंतु हम मनीषजीव उसकी इस चाल को समझ नहीं पाते और आधुनिक सुख- सुविधाओं, अपने क्षम ताओं से अधिक सुख भोगने, समाज में दिखावा करके, एंजायमेंट रसों लोगों का स्वाद चखने, अपनीं अपनीं जिंदगी जरूरत से अधिक सुगम बना ने के लिए भ्रष्टाचार रूपी खतरनाक बीज के झांसे में आकर उसे अपनाते है अपने शरीर में उससे खरीदी वस्तुओं का उपभोग कर अपने खून में उसे घोलतें है, जिससे उस बीज को शरीर में फलने फूलने का आश्रय और विकास करने की क्षमता प्रदान करतें है, जिसका भुगतान भ्रष्टाचारी को खघ्ुद और अपने परिवार सहित अपने कुल को चक्रवर्ती ब्याज सहित भुगतान करना पड़ता है,जिसे हम सब अपने आसपास और समाज में देखते भी हैं कि किस तरह ऐसे लोग हमेशा विवादों में तकलीफों में बीमारियों के घेरे में रहते हैं, उनके परिवार हमेशा विपत्तियों के घेरे में रहते हैं और उम्र के अंतिम पड़ाव में नोटों के पहाड़ डहने लगते हैं जिसका उदाहरण हम तीन दिन पूर्व ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को जानकारी दी कि उसने मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के सेवानिवृत्त कांस्टेबल सौरभ शर्मा और अन्य से जुड़े बैंक खातों में 30 लाख रुपये की शेष राशि को फ्रीज कर दिया है। इसके अलावा, एजेंसी ने 12 लाख रुपये की अघोषित नकदी, 9.9 किलोग्राम चांदी (जिसकी कीमत लगभग 9.17 लाख रुपये है), डिजिटल उपकरण और संपत्ति से जुड़े दस्तावेज भी जब्त किए हैं। पिछले कुछ दिनों में ईडी सी बी आई और अन्य एजेंसियों के रेड में प्रिंट और इलेक् ट्रानिक मीडिया में देख सुन रहे हैं करीब- करीब रोज टीवी चैनलों पर चमकती हुई नोटों की हरी गुलाबी गडियां दिखा ई जाती है जिन्हें गिनने मशीनें भी कम पड़ जाती है। इसलिए बड़े बुजुर्गों की कहावत सही है जब संभलो सवेरा तभी शुरू होता है, सुबह का भूला शाम को लौटे तो भुला नहीं कहते इसलिए कवि प्रदीप का उप रोक्त गीत सुनकर समझने की कोशिश करें, ऐसा मेरा मानना है, इसके साथ ही मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मेरा उद्देश्य किसी की भाव नाओं को ठेस पहुंचानां नहीं है अपितु भ्रष्टाचार रूपी असुर दानव को भारत माता की गोद से कोसों दूर भगाना है जो दीमक की तरह देश को चट कर रहा है।
साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार निवारण में समाज की भूमिका की करें तो, समाज ही सभी अच्छाईयों व बुराईओं का स्त्रोत व उत्तर दायी हैं। समाज द्वारा चुने लोग ही सरकार में भेजे जाते हैं। हमारे समाज के लोग ही सरकारी नौकरियों व पदों पर रखे जाते हैं।
इसका अर्थ यह है कि समाज के अन्दर ही भ्रष्टाचार का बीज विद्यमान हैं। हमें अपने समाज में सुधार करने की आवश्यकता हैं। इसके लिए आवश्यक हैं कि हमे ऐसे लोगो को प्रमुख जिम्मे दारी देनी चाहिए जो विद्वान, योग्य हो और समाज हित व देश हित की मंशा रखते हैं। हमें सबसे पहले शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों को शुरू से ही अच्छे कार्य करने की शिक्षा देनी चाहिए। उन्हे गलत कार्यों व लालच से दूर रहने की सलाह देनी चाहिए। यह जिम्मेदारी प्रत्येक माता पिता, बुजुर्ग, शिक्षक व अन्य सभी प्रमुख व्यक्तियों की है कि, वे भ्रष्टाचार मुक्त समाज व राष्ट्र का निर्माण करने में सहायक बने और दूसरों को भ्रष्टाचार करने से रोकें व उन्हें शिक्षित करें।
साथियों बात अगर हम केंद्र सरकार को मिलने वाली भ्रष्टाचार की शिकायतों की प्रक्रिया की करें तो, शिकायतें केंद्रीकृत लोक शिकायत निवा रण एवं निगरानी प्रणाली (सी पी जीआरएएमएस) के जरिये मिलती है, जो एक ऑनलाइन पोर्टल है, जो नागरिकों को सरकारी विभागों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की सुविधा देता है। प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा विकसित और निगरानी रखी जाने वाली केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली हर दिन 24 घंटे उपलब्ध एक आनलाइन प्लेटफार्म है जो केंद्र और राज्यों के सभी मंत्रा लयों और विभागों के साथ जुड़ा हुआ है। लोग वेब पोर्टल गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध मोबाइल एप या उमंग एप के द्वारा शिकायत दर्ज कर सक ते हैं। प्रत्येकशिकायत पर विशिष्ट पंजीकरण आईडी मिलती है जिससे उपयोग कर्ता अपनी शिकायत निवारण प्रगति का पता कर सकते हैं। इसके अलावा श्माई ग्रीवांसश् एप शिकायत दर्ज करने और इसकी प्रगति की जांच के लिए एक स्वतंत्र प्लेटफॉर्म के तौर पर भी काम करता है। यदि कोई व्यक्ति शिकायत समाधान से असं तुष्ट है, तो वह शिकायत निप टान बंद होने के बाद फिर से अपील दायर कर सकता है। यदि प्रतिपुष्टि खराब की श्रेणी में चिह्नित कियाजाए तो अपील का विकल्प सक्रिय हो जाता है। शिकायत पंजीकरण संख्या के उपयोग से अपील की स्थिति की जानकारी मिल सकती है। इसके अलावा शिकायत निवारण की समय सीमा 30 दिन सेघटाकर 21 दिन कर दी गई है।
साथियों बात अगर हम प्रभावी शिकायत निवारण के लिए दिशानिर्देशों की करें तो, केंद्रीयकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) अब 92 केंद्रीय मंत्रालयों विभागों और संगठनों को 36 राज्यो केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़ी है जो 73, हजार से अधिक सक्रिय अधीनस्थ उपयोग कर्ताओं द्वारा एक सुगम शिका यत निपटान मंच प्रदान करती है। इसके साथ 96,295 संग ठनों के पंजीकृत होने से नाग रिक जुड़ाव और सेवा वितरण में उल्लेखनीय सुधार हुआ है वर्ष 2022 से 2024 तक, इस प्रणाली से 70,03,533 शिकायतों का समाधान किया गया और 31 अक्टूबर 2024 तक 1,03,183 शिकायत निवा रण अधिकारियों का डेटा या सूचना दृश्य प्रतिनिधित्व दर्शा या दिसंबर 2024 में चैथें सुशासन सप्ताह और प्रशासन गांव की ओर अभियान शिका यत निवारण में उत्प्रेरक रहा जिसका उद्देश्य पूरे देश में सार्वजनिक शिकायतों को सुलझाना और सेवा प्रदान व्यवस्था में सुधार लाना था। प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग शिकायत निवारण में सुधार के लिए उन्नत नेक्स्टजेन सीपीजी आरएएमएस प्लेटफार्म विक सित कर रहा है। सातवें सीपीजी आरएएम एस पर आ धारित यह प्लेटफॉर्म व्हाट्स एप/चैटबाॅट वॉयस-टू- टेक्स्ट लाजिंग, तत्काल अलर्ट और आटो- एस्केलेशन जैसी सुविधाओं से युक्त है। शिका यत निवारण अधिकारियों को मशीन लर्निंग- आधारित आटो -रिप्लाई और आटो- पापु लेटेड रिपोर्ट से लाभ होगा। शिकायतों को सुलझाने पर नजर रखने वाले निकाय समूह, क्षेत्र और मंत्रालय वार शिकायतों पर नजर रख सकते हैं। नेक्स्टजेन सीपीजी आरएएमएस 1 जुलाई 2025 से आरंभ होने वाला है जिससे शिकायत समाधान प्रक्रिया और बेहतर बन जाएगी।
केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली सरकार द्वारा नागरिकों के मुद्दों के बेहतर समाधान का महत्वपूर्ण साधन बन गया है। शिकायत प्रक्रिया सरल बनाने और त्वरित समाधान सुनि श्चित करने से इसने लोगों और जनता के बीच संबंध सुदृढ़ बनाया है। सेवा प्रदान करने में अहम सुधार और इसकी प्रभावशीलता से वैश् िवक मान्यता के साथ सीपीजी आर एएमएस भारत को अद्दिक उत्तरदायी और जन-केंद्रित सरकार की दिशा बढ़ने में सहायक सिद्ध हो रहा है।
साथियों बात अगर हम सरकार के पारदर्शिता, दक्षता और उत्तरदायित्व के साथ शिकायत निवारण व्यवस्था में सुधार के स्पष्ट दिशा- निर्देशों की करें तो ये दिशा -निर्देश शिकायतों का त्वरित और निष्पक्ष समाधान सुनिश् िचत करते है। वर्ष 2024 के नीति दिशानिर्देश, शिकायतों को प्रभावी ढंग से सुलझाने की सरकार की प्रतिबद्धता के साथ ही 10 चरण की सुधार प्रक्रिया द्वारा किए गए सुधारों को प्रदर्शित करते हैं। एकीकृत प्लेटफार्म सीपीजी आरएएमएस शिकायत दर्ज करने के लिए केंद्रीय प्लेट फार्म है जो उपयोग में काफी सुगम है। नोडल अधिकारीरू प्रत्येक मंत्रालय/विभाग ने समयबद्ध और प्रभावी शिका यत समाधान के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। नोडल अधिकारी शिकायतों का वर्गीकरण, लंबित मामलों की निगरानी, प्रतिपुष्टि विश् लेषण और निवारण अधिका रियों का अधिवीक्षण करेंगे। शिकायत प्रकोष्ठ- प्रत्येक मंत्रालयध्विभाग के समर्पित शिकायत प्रकोष्ठों में बेहतर सेवा के लिए जानकार कार्मि क तैनात किए गए हैं। शिका यत निवारण समय में कमीरू शिकायतनिवारण 21 दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए यदि अधिक समय की आवश्यकता हो तो अंतरिम उत्तर दी जानी चाहिए। शिकायत निवारण प्रक्रिया में तेजी- मंत्रालयों/ विभागों में शिकायतों के निवा रण के अधिवीक्षण के लिए अपीलीय अधिकारी और उप -नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण- एकीकृतदृदृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि सभी सरकारी विभागों में शिकायतों को प्रभावी ढंग से सुलझाया जाए। प्रतिपुष्टि व्यवस्था- फीडबैक या प्रतिपुष्टि एसएम एस, ईमेल के माध्यम से भेजा जाती है जिससे समाधान से असंतुष्टी की स्थिति में लोग अपील दायर कर सकते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त उपकरण ट्री डैशबोर्ड जैसे उपकरण प्रक्रिया में सुधार के लिए फीडबैक का विश्ले षण करते हैं। शिकायत निवारण सूचकांक शिकायत सुलझाने की प्रभावशीलता के आधार पर मंत्रालयों, विभागों की मासिक प्रदर्शन रैंकिंग दी जाती है। प्रशिक्षण और क्षमता वर्धनरू शिकायत अ धिकारियों को राज्य, संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों में सेवोत्तम योजना (संपूर्ण गुणवत्ता प्रबंधन के माध्यम से सेवा उत्कृष्टता) के अंतर्गत प्रशिक्षित किया जाता है। नियमित समीक्षा- वरिष्ठ अधिकारी नियमित तौर पर शिकायत सुलझाने के कार्यों की समीक्षा और लोगों को जागरूक बनाना सुनिश्चित करते हैं। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य शिकायत निवारण प्रणाली बेहतर बनाना शिका यतों का त्वरित समाधान और इसमें बेहतर नागरिक सहभा गिता सुनिश्चित करना है।
साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार के अनुमानि चिन्हित उदाहरणों की करें तो, यहाँ कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण चिन्हित किये गये है, ड्यूटीके समय दफ्तर के कार्य छोड़ कर अन्य निजी कार्य करना। अध्यापकों द्वारा विद्यार्थियों को ना पढ़ाना, अपितु इधर उधर की बातों में समय नष्ट करना। दुकानदारों द्वारा ग्राहक को सामान बेचते समय वस्तुओं के मूल्य (दाम) व मात्रा में गड़बड़ी करना। पैसे लेकर अथवा देकर दस्तावेजों में जाल साजी व अमान्य गड़बड़ करना। कोर्ट कचहरी, बैंक, नगर निगम, पुलिस व अन्य प्रशासनिक ईकाओं द्वारा रिश्वत (पैसा) लेकर कार्य सिद्ध करना। डाक्टरों द्वारा मरीज को मूर्ख बनाकर आपरेशन करना, गलत सलाह देना व मूल्य से अधिक दाम पर दवा बेचना। निजी संस्थान अथवा कंपनियों द्वारा ग्राहक को झूठी व गलत जानकारी देकर फ्राड करना। सरकार में मंत्रि यों, सांसदों, विधायकों द्वारा सरकारी पैसों का दुरुपयोग कर स्वयं के लिए निजी संपत्ति (प्रापर्टी) खरीदना। प्रशास निक अधिकारियों द्वारा नक ली शराब वितरण में, जानवरों की तस्करी में, भू माफियाओं द्वारा भूमि अधिग्रहण आदि अन्य गैरकानूनी कार्यो में सहायता प्रदान करना।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सर्विस टाइम में किया भ्रष्टाचार रिटायरमेंट बाद जिंदगी लाचार। भ्रष्टा चारी लाख करे चतुराई कर्म का लेख मिटे ना रे भाई। भ्रष्टा चारी कमाई का बीज शरीर में फलकर वर्तमान और रिटायर मेंट के बाद ब्याज सहित वसूली करके ही जीव को छोड़ता है।

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