देश को आजादी दिलाने में सुभाष चन्द्र बोस की अहम भूमिका

RAJNITIK BULLET
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(मनोज मौर्य) रायबरेली। समाजवादी व्यापार सभा के तत्वाधान में नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की स्मृति में शहीद दिवस का आयोजन कोतवाली रोड स्थित व्यापार सभा के कैम्प कार्यालय में किया गया। इस कार्यक्रम में जनपद के अधिवक्ताओं ने भारी संख्या में भागेदारी निभायी। इस अवसर पर सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ओ.पी. यादव ने कहा कि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभायी। नेता जी द्वारा जय हिन्द का दिया गया नारा राष्ट्रीय नारा बन गया, सुभाष चन्द्र बोस ने नारा दिया था कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा। यह नारा उस समय इतना प्रचलन में आया कि लोग उन्हें नेता जी कहने लगे और वे पूरे विश्व में नेता जी के नाम से विख्यात हो गये।
समाजवादी व्यापार सभा के जिलाध्यक्ष मुकेश रस्तोगी ने कहा कि 19 अक्टूबर 1943 को सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी, जिसे 11 देशों ने मान्यता दी थी। संत गाडगे सेवक कमलेश चैधरी ने कहा कि 16 जनवरी 2014 को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नेता जी के लापता होने के रहस्य से जुड़े खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए विशेष पीठ के गठन का आदेश दिया। सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष कैलाश बख्श सिंह ने कहा कि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हिन्दू कायस्थ परिवार में हुआ था। समाजवादी पार्टी के जिला उपाध्यक्ष राजेन्द्र प्रताप यादव ने कहा कि नेता जी आई.सी.एस. की परीक्षा पास करने के बाद अंग्रेजों की गुलामी न करनी पड़े इसलिए 22 अप्रैल 1921 को भारत सचिव ई.एस. मान्टेग्यू को आई.सी.एस. से त्याग-पत्र देने को पत्र लिखा। अधिवक्ता सभा के पूर्व जिलाध्यक्ष शशि कुमार यादव ने कहा कि 1922 में कोलकत्ता महापालिका के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी की हैसियत से नेता जी ने कोलकत्ता में सभी रास्तों के अंग्रेजी नाम बदल कर उन्हें भारतीय नाम दिये। स्वतन्त्रता संग्राम में प्राण न्यौछावर करने वाले परिवारजनों को महापालिका में नौकरी दी। युवा अधिवक्ता सौरभ सिंह ने कहा कि नेता जी ने 26 जनवरी 1931 को कोलकत्ता में राष्ट्र ध्वज फहराकर विशाल मोर्चे का नेतृत्व किया। सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष बद्री चैरसिया ने कहा कि सुभाष चन्द्र बोस को सार्वजनिक जीवन में 11 बार कारावास हुआ। हेमंत कुशवाहा एडवोकेट ने कहा कि 1938 में सुभाष चन्द्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये, लेकिन गांधी जी की असहमति के कारण 29 अप्रैल 1939 को अध्यक्ष पद से त्याग-पत्र दे दिया। व्यापारी नेता पवन अग्रहरि ने कहा कि 21 अक्टूबर 1943 के दिन नेता जी ने सिंगापर में आर्जी हुकूमते-आजाद हिन्द (स्वाधीन भारत की अन्तरिम सरकार) की स्थापना की, वे खुद इस सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और युद्ध मंत्री बने। नेता जी आजाद हिन्दू फौज के प्रधान सेनापति भी बन गये। व्यापारी नेता शाकिब कुरैशी ने कहा कि 3 सितम्बर 1939 को मद्रास मंे सुभाष को ब्रिटेन और जर्मनी में युद्ध छिड़ने की सूचना मिली, घोषणा किया कि अब भारत के पास सुनहर मौका है। व्यापारी नेता उजैर अली ने कहा कि 8 सितम्बर 1939 को युद्ध के प्रति पार्टी का रूख तय करने के लिए नेता जी को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में बुलाया गयां नेता जी ने अपनी राय स्पष्ट करते हुए संकल्प दोहराया कि यदि कांग्रेस यह काम नहीं करती है तो फारवर्ड ब्लाक अपने दम पर ब्रिटिश राज के खिलाफ युद्ध शुरू कर देगा। पूर्व सभासद मो0 आसिफ ने कहा कि नेता जी 29 मई 1942 को जर्मनी के सर्वोच्च नेता एडाल्फ हिटलर से मिले और नेता जी ने हिटलर द्वारा लिखी माइन काम्फ किताब में भारत के लोगों की बुराई करने पर उनसे नाराजगी जतायी, जिस पर हिटलर ने नेता जी से माफी मांगी।
इस अवसर पर मुख्य रूप से अरविन्द यादव एडवोकेट, अतुल यदुवंशी एडवोकेट, अरिवन्द चैधरी, अनिल कुमार यादव एडवोकेट, विवेक सोनकर एडवोकेट, सुशील मौर्या, अस्मित यादव, संजय पासी, विद्या विनोद सिंह आदि लोगों ने नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।

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