कोरोना ने कम की बर्दाश्त करने की क्षमता, जल्दी आने लगा गुस्सा

RAJNITIK BULLET
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(हरी ओम गुप्ता) कोरोना के संक्रमण से तो उबर गए, लेकिन इसने मरीजों का मिजाज बदल दिया। ऐसे लोगों की बर्दाश्त करने की क्षमता कम हो गई है, जिससे उन्हें अब जल्दी गुस्सा आने लगा है। इसकी वजह से उनमें डिप्रेशन बढ़ा, तो उलझन और घबराहट भी रहती है।
हैलट और उर्सला की पोस्ट कोविड यूनिट में आ रहे रोगियों की जांच में यह तथ्य सामने आए हैं। साथ ही इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी (आईपीएस) की हेल्पलाइन से संपर्क करने वाले लोगों की केस स्टडी से भी यह खुलासा हुआ है।
कोरोना के संक्रमण के इलाज के बाद लोग शारीरिक रूप से कमजोर हुए हैं। साथ ही मानसिक रूप से बीमार भी हो गए हैं। उन्हें पोस्ट कोविड स्थिति में फिजिशियन के अलावा मानसिक रोग विशेषज्ञों को दिखाना पड़ रहा हैविशेषज्ञों का कहना है कि उलझन, घबराहट रहने और डिप्रेशन के कारण लोगों की कार्यक्षमता भी घटी है। उनके खुश रहने की अवधि कम हो गई है। उर्सला के सीएमएस डॉ. अनिल निगम ने बताया कि पोस्ट कोविड यूनिट में एक मनोरोग विशेषज्ञ को भी रखा गया है।
हैलट अस्पताल में आने वाले पोस्ट कोविड रोगियों की मनोरोग विभाग में काउंसिलिंग कराई जा रही है। सामने आया है कि कोरोना के बाद शारीरिक दिक्कत तो ठीक हो गई, पर अब मरीज मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग के विशेषज्ञ और इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी सेंट्रल जोन के महासचिव डॉ. गणेश शंकर का कहना है कि सोसाइटी की हेल्पलाइन में लोग अपनी मानसिक दिक्कतें बता रहे हैं, उनका अध्ययन कर गाइडलाइन जारी की जाएगी।
केस 01
आर्यनगर के रहने वाले 65 साल के रोगी कोरोना से ठीक हो गए। अब वह अनिद्रा के शिकार हैं। जरा सी आहट पर दिल तेज धड़कने लगता है और छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आता है। कभी एकदम गुमसुम हो जाते हैं तो कभी बहुत आक्रामक। हैलट के मनोरोग विभाग में उनकी काउंसिलिंग चल रही है।
केस 02
बिरहाना रोड केरहने वाले 55 वर्षीय व्यक्ति हैलट के न्यूरो साइंसेज अस्पताल में भर्ती रहे। इसके बाद उन्हें कमजोरी और सांस की दिक्कत रही। नींद कम हो गई। साथ ही बातचीत करना कम कर दिया। उन्हें उलझन, जेहनी परेशानी रहती है। उन्होंने उर्सला में जांच कराई है। उनकी भी काउंसिलिंग हो रही है।

विशेषज्ञों का सुझाव
– रोगी अपनी लाइफ स्टाइल में बदलाव करें।
– जितना मॉर्निंग वॉक कर सकते हैं करें।
– पॉजिटिव सोच रखें, अकेलेपन से बचें।
– सादा खाना खाएं, समय से खाएं, भरपूर नींद लें।
– घर में सांस संबंधी क्रियाएं कर सकते हैं।

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