एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर आज भारत के नाम प्रतिष्ठा होल्ड और वर्चस्वता का आद्दार बढ़ता ही जा रहा है, जिसके दम पर भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक मुख्य पक्ष माना जाता है जो हम बड़े-बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष के भारत के साथ बाॅडी लैंग्वेज से समझ मेंआता है और हम प्रोत्साहित होकर विजन 2047, विजन नए भारत, विजन 5 ट्रिलियन डाॅलर अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं परंतु जिस तरह हमने हाल के कुछ दिनों में बंगाल के मंत्री, जबल पुर के आरटीओ, एमपी के चप रासी के यहां करोड़ों रुपए, एमपी में पोषण घोटाला सहित अनेकों भ्रष्टाचार के तथाकथित मामले मीडिया के माध्यम से हमने पढ़े और देखें और ऐसे अनेक मामलों की रिसर्च करेंगे तो हमें पता चलेगा कि इस तरह के भ्रष्टाचार जारी रहे तो हम उपरोक्त विजनस को पूर्ण नहीं कर पाएंगे? इसलिए अब जरूरी हो गया है कि भारत को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कालखंड में कदम रखना अनिवार्य है। अब सीबीआई ईडी के साथ अन्य एजेंसियों को आय से अधिक संपत्ति रखने वालों का तेजी से पता लगाना होगा। सेवा क्षेत्र के हर चपरासी से लेकर बाबू और बड़े अधिकारियों तक की आर्थिक स्थिति की जांच तेजी से करनी होगी क्योंकि सरकारी क्षेत्र के लोगों के पास ही भ्रष्टाचार का कुबेर खजाना होगा तो अन्य निजी लोगों की बात ही क्या? हालां कि लाल किले से माननीय पीएम ने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ हुंकार भरी थी और अब मिशन 2024 को भी अब की बार भ्रष्टाचार पर वार का निर्णायक कालखंड बनाने की तैयारी है, इसलिए आज हम इलेक्ट्राॅनिक मीडिया में उपल ब्ध जानकारी के अनुसार इस आर्टिकल के माध्यम से भ्रष्टा चार पर चर्चा करेंगे।
साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार की करें तो, हमारे देश के लिए यह बड़ी ही दुर्भाग्यपूर्ण विडंबना है कि युधिष्टिर, हरिश्चंद्र जैसे धर्म निष्ठ शासकों व साधु-संतों की इस पावन धरती पर आज भ्रष्टाचार का विष फैला हुआ है। छोटे से छोटे कर्मचारियों से लेकर देश की सत्ता पर बैठे हमारे शीर्षस्थ भी आज भ्रष्टाचार में लिप्त होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता । भ्रष्टाचार हमारी राष्ट्रीय समस्या है । ऐसे व्यक्ति जो अपने कर्तव्यों की अवहेलना कर निजी स्वार्थ में लिप्त रहते हैं भ्रष्टाचारी’ कहलाते हैं। आज हमारे देश में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरे तक समाहित हैं। साथियों मनुष्य कितना भी कुछ हासिल कर ले परंतु उसकी और अद्दिक प्राप्त कर लेने की लालसा कभी समाप्त नहीं होती है।
किसी वस्तु की आकांक्षा रखने पर यदि उसे वह वस्तु सहज रूप से प्राप्त नहीं होती है तब वह येन-केन प्रकारेण उसे हासिल करने के लिए उद्घ्यत हो जाता है। इस प्रकार की परिस्थितियाँ भ्रष्टा चार को जन्म देती हैं। किसी उच्च पद पर आसीन अधि कारी प्रायः गुणवत्ता की अनदेखी कर अपने समाज, परिवार अथवा संप्रदाय के लोगों को प्राथमिकता देता है तो उसका यह कृत्य भ्रष्टाचार का ही रूप है। भ्रष्टाचार में लिप्त व्यक्ति सदैव न्याय की अनदेखी करता है।
साथियों बात अगर आम भ्रष्टाचार की चुनौतियां और प्रारूप की करें तो, देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां- पहली चुनौती – भ्रष्टाचार दूसरी चुनौती – भाई- भतीजा वाद, परिवारवाद। भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खो खला कर रहा है, उससे देश को लड़ना ही होगा। देश की कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना भी पड़े देश इसकी कोशिश कर रहे हैं। देश में चारों ओर व्याप्त सांप्रदायिकता, भाषावाद, भाई-भतीजावाद, जातीयता आदि से पूरित वातावरण भ्रष्टा चार के प्रेरणा स्त्रोत हैं। भ्रष्टा चार के कारण ही कार्यालयों, दफ्तरों व अन्य कार्यक्षेत्रों में चोरबाजारी, रिश्वतखोरी आदि अनैतिक कृत्य पनपते हैं। दुका नों में मिलावटी सामान बेचना, धर्म का सहारा लेकर लोगों को पथभ्रमित करना तथा अपना स्वार्थ सिद्ध करना, दोषी व अपराधी तत्वों को रिश्वत लेकर मुक्त कर देना अथवा रिश्वत के आधार पर विभागों में भरती होना आदि सभी भ्रष्टाचार के प्रारुप हैं।
साथियों बात अगर हम कुछ दिनों पूर्व महालेखाकार रिपोर्ट में खुलासा हुए एक घोटाले और आरटीओ के यहां रेड की करें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार 2018 से 2021 के बीच करीब 1.35 करोड़ महिलाओं को 2393 करोड़ का 4.05 मीट्रिक टेक होम राशन वितरित किया गया है। आॅडिट रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि टेक होम राशन बड़ी मात्रा में सिर्फ काग जों में बांट दिया गया।
साथ ही करीब 58 करोड़ का नकली पोषण आहार का उत्पादन किया गया। रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि राशन बनाने वाली 6 फर्मो से परिवहन के नाम बाइक, कार, आॅटो और टैंकर के नंबरों को ट्रक बताकर करीब 6.94 करोड़ का 1125.64 मीट्रिक टन राशन के परिवहन होना बताया गया है। आॅडिट रिपोर्ट में उत्पादन और वितरण में घोटाला होना बताया जा रहा है।
जबलपुर में ईओडब्लयू यानी इकॉनमिक ऑफेंस विंग ने एक आरटीओ अधिकारी के घर छापा मार आय से अद्दिक संपत्ति का खुलासा किया है। बताया जा रहा है कि आरटी ओ अधिकारी की संपत्ति उन की आय से 650 गुना ज्यादा है। छापामारी में उनके 6 आली शान मकानों का पता चला है। उनके पास एक डेढ़ एकड़ में फैला फार्म हाउस भी है। ईओडब्लयू की रेड के दौरान उनके घर से 16 लाख रुपये कैश मिलने की भी बात सामने आई थी। साथियों बात अगर हम भारत के महाशक्ति बनने के आंकलन की करें तो, भारत के महाशक्ति बनने की सम्भा वना का आंकलन अमरीका एवं चीन की तुलना से किया जा सकता है।
महाशक्ति बनने की पहली कसौटी तकनीकी नेतृत्व है। दूसरी कसौटी श्रम के मूल्य की है। महाशक्ति बनने के लिये श्रम का मूल्य कम रहना चाहिये।
तब ही देश उपभोक्ता वस्तुओं का सस्ता उत्पादन कर पाता है और दूसरे देशों में उसका उत्पाद प्रवेश पाता है। चीन और भारत इस कसौ टी पर अव्वल बैठते हैं जबकि अमरीका पिछड़ रहा है। तीस री कसौटी शासन के खुलेपन की है। वह देश आगे बढ़ता है जिसके नागरिक खुले वाता वरण में उद्यम से जुड़े नये उपाय क्रियान्वित करने के लिए आजाद होते हैं। बेड़ियों में जकड़े हुये अथवा पुलिस की तीखी नजर के साये में शोध, व्यापार अथवा अध्ययन कम ही पनपते हैं। भारत और अमरीका में यह खुलापन उप लब्ध है। चैथी कसौटी भ्रष्टा चार की है। सरकार भ्रष्ट हो तो जनता की ऊर्जा भटक जाती है। देश की पूंजी का रिसाव हो जाता है।
भ्रष्टअधिकारी और नेता धन को स्विट्जरलैण्ड भेज देते हैं। ट्रान्सपेरेन्सी इंटरनेशनल द्वारा बनाई गयी रैंकिंग में अमरीका को 19९वें स्थान पर रखा गया है जबकि चीन को 79९वें तथा भारत को 84 वां स्थान दिया गया है। साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार के समाधान की करें तो, भ्रष्टाचार के समाधान के लिए आवश्यक है कि भ्रष्टाचार संबंधी नियम और भी सख्त हों तथा भ्रष्टा चार में लिप्त लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। इसके लिए सख्त और चुस्त प्रशासन अनिवार्य है । इस समस्या के निदान के लिए केवल सरकार ही उत्तरदायी नहीं है, इसके लिए सभी धार्मिक, सामाजिक व स्वयंसेवी संस्थाओं को एक जुट होना होगा। सभी को संयुक्त रूप से इसे प्रोत्साहन देने वाले तत्वों का विरोध करना होगा।
साथियों बात अगर हम 15 अगस्त 2022 को माननीय पीएम के लाल किले से भ्रष्टा चार के खिलाफ हुंकार की करें तो उन्होंने कहा था, कई लोग तो इतनी बेशर्मी तक चले जाते हैं कि कोर्ट में सजा हो चुकी हो, भ्रष्घ्टाचारी सिद्ध हो चुका हो, जेल जाना तय हो चुका हो, जेल गुजार रहे हो, उसके बावजूद भी उनका महिमामंडन करने में लगे रहते हैं, उनकी शान-ओ-शौकत में लगे रहते हैं, उनकी प्रतिष्ठा बनाने में लगे रहते हैं। अगर जब तक समाज में गंदगी के प्रति नफरत नहीं होती है, स्चछता की चेतना जगती नहीं है। जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्घ्टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होता है, सामाजिक रूप से उसको नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं करते, तब तक यह मान सिकता खत्म होने वाली नहीं है, और इसलिए भ्रष्टाचार के प्रति भी और भ्रष्टाचारियों के प्रति भी हमें बहुत जागरूक होने की जरूरत है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मिशन 2025 को भी अबकी बार भ्रष्टाचार पर वार का निर्णायक कालखंड बनाने की तैयारी है। भारत को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णय कालखंड में कदम रख ना जरूरी हो गया है। भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत सामाजिक बहिष्कार रंगे हाथ पकड़ने की मानसिकता के लिए हर नागरिक को जाग रूक होना जरूरी है।
भारत को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कालखंड में कदम रखना जरूरी हो गया है
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