एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी – गोंदिया। वैश्विक स्तर पर दुनियाँ के सभी देशों में जब कोई कानून बनाया या उसमें मेजर संशोधन करना हो ता है तो उसकी हर देश की अलग-अलग प्रक्रियाएं होती है, परंतु मेरा ऐसा मानना है कि एक प्रक्रिया सभी में काॅमन होती है कि उस कानून या संशोधन के लिए आम जनता विशेषज्ञों या हित या धारकों से सुझाव आमंत्रित किए जाते हैं, यही व्यवस्था भारत में भी लागू है। हमने पिछले दिनों देख कि तीनों आपराधिक कानूनों एक देश एक चुनाव व वक्फ संशोधन विधायक 2024 पर आम जनता से सुझाव मांगे गए थे। परंतु मेरा मानना है कि इसके बारे में अधिकतम नागरिकों को जानकारी नहीं होती,या उन्हें पता नहीं होता या उन तक यह जानकारी पहुँचती नहीं है कि सुझाव कैसे और कहां दें, इसीलिए यह सुझाव की प्रक्रिया मात्र औपचारिकता बन जाती है, तथा मैं ऐसा भी मानता हूं कि इनसे संबंधित विशेषज्ञ भी इन सुझावों पर ध्यान देने में गंभीर नहीं होते, जिससे जनता को तकलीफो का सामना करना होता है। या यू कहें कि यह सुझाव देने वाली प्रक्रिया केवल एक दिखावा बनकर रह जाती है आज हम इन बातों पर इसलिए बात कर रहे हैं क्योंकि भारत के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 60 वर्ष से ऊपर के पुराने आयकर अधिनियम 1961 व आयकर नियमावाली 1962 की समीक्षा करने, उसे जनता, हितधारकों व विशेषज्ञों के अनुसार आसान बनाया जा सके, जिससे मुकदमे बाजी में कमी की जीरो टाॅलरेंस नीति पर पहुंचा जा सके, इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सीबी डीटी अध्यक्ष ने इसके लिए आम जनता से सुझाव मांगे हैं कि इन अधिनियमों व नियमों में क्या बदलाव किया जाए, किसे निरस्त किया जाए या कौनसी धाराएं जोड़ी जाए ताकि पूरा अधिनियम व विनियम की समीक्षा कर उसमें उपयुक्त संशोधन कर आम जनता की सुविधा के हिसाब से यह कानून, नियम विनियम बनाए जा सकें। बता दें कि बजट 2024 में माननीय वित्त मंत्री ने आयकर अधिनियम 1961 व आयकर विनियम 1962 की समीक्षा कर संशोधनों की बात कही थी इसी को क्रियान्वयन करने करने के लिए सीबीडीटी ने विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में विशेषज्ञ आयकर अधिकारियों की एक कमेटी बनाई है जो अपनी रिपोर्ट देगी, इसके लिए आम जनता विशेषज्ञों वह हितधारकों से सुझावों को आमंत्रित किया गया है। मैं भी इस आर्टिकल के माध्यम से सभी से विशेष निवेदन करना चाहता हूं कि अधिक से अधिक सुझाव दें, ताकि संशोधित आयकर अधिनियम व नियमा वली हमारे सुविधा के अनुकूल बन सके, इस आर्टिकल को बहुत अधिक वायरल करें ताकि अधिक से अधिक लोग इसमें सुझाव दे सकें। चूँकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 60 दशक पुराने आईटी अधिनि यम की व्यापक समीक्षा के लिए आम जनता से सुझाव व प्रतिक्रियाएं देने की अपील की है, क्योंकि इस अधिनियम को आसान बनाने की कवायत शुरू है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे आम जनता विशेषज्ञ व हितधारकों को जिस नियम धारा व व्यवस्था में कोई परेशानी हो तो वो पोर्टल पर सुझाव वह प्रतिक्रियाएं अधिक मात्रा में दें ऐसी मेरी सलाह है।
साथियों बात अगर हम इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा 6 अक्टूबर 2024 से सुझाव ई पोर्टल पर आमंत्रित करने की करें तो, इनकम टैक्स डिपाॅर्टमेंट ने 6 दशक पुराने आईटी अधिनियम की व्यापक समीक्षा के लिए आम जनता से सुझाव एंव प्रतिक्रिया देने की अपील की है। विभाग ने 4 कैटेगरी भाषा के सरलीकरण, टैक्स विवाद कमी अनु पालन में कमी और अप्रचलित प्रावधानों से जुड़े मामलों में सुझाव की मांगा है। आयकर नियमों कीगहन समीक्षा के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने एक आंतरिक समिति बनाई है, जो जिससे टैक्स से जुड़े विवाद में कमी आएगी और टैक्सपेयर्स को अधिक कर निश्चितता मिलेगी।
वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाले केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने अपने एक बयान में कहा, कमेटी चार कैटेगरी में पब्लिक इनपुट और सुझाव आमंत्रित करती है – भाषा का सरलीकरण, मुकदमेबाजी में कमी, अनुपालन में कमी और निरर्थक/अप्रचलित प्रावधान। आयकर विभाग ने पब्लिक के सुझाव को पाने के लिए एक वेब पोर्टल लाॅन्च किया है। वेब पोर्टल पर विजिट करके कोई भी करदाता अपने मोबाइल नंबर और ओटीपी के जरिए लाॅगइन करके अपना सुझाव भेज सकता है। ध्यान दें कि यह सुझाव इनकम टैक्स एक्ट 1961 या 1962 (विशिष्ट धारा, उपधारा, खंड, नियम, उपनियम या फाॅर्म संख्या का उल्लेख करते हुए) से जुड़े होने चाहिए, जैसा भी मामला हो, जिससे सुझा व उपर्युक्त चार श्रेणियों के अंतर्गत संबंधित है। बता दें कि वित्तमंत्री ने केंद्र में नई सरकार बनने के बाद जुलाई महीने में पूर्ण केंद्रीय बजट 2024 पेश किया था, इस दौरान उन्होंने कहा था कि अगले 6 महीने के भीतर आईटी नियमों की व्यापक समीक्षा पूरी कर ली जाएगी, ऐसे में 6 महीने की यह टाइमलाइन जनवरी 2025 में पूरी होगी, ऐसे में यह इस बात का व्यापक अनुमान है कि आयकर नियमों में बदलाव को बजट सत्र के दौरान संसद में पेश किया जा सकता है। साथियों बात अगर हम आयकर विभाग द्वारा अधिनियम व विनियमों की समीक्षा के लिए आंतरिक समिति गठित करने की करें तो, सीबीडीटी ने आयकर अधिनियम 1961 की समीक्षा के लिए आंतरिक समिति गठित की है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस समिति का उद्देश्य अधिनियम को सरल, स्पष्ट और संक्षिप्त बनाना है। इससे विवाद और कानूनी मामले कम होंगे तथा करदाताओं को अधिक निश्चितता मिलेगी।
मंत्रालय ने सभी पक्षका रों, विशेषज्ञों और आम जनता से आयकर ई-फाइलिंग पोर्टल पर सुझाव मांगे हैं। भाषा सरलीकरण कानूनी विवादों में कमी, अनुपालन और अना वश्यक प्रावधान हटाने संबंधी चार श्रेणियों में सुझाव मांगे गए हैं। आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर ई-फाइलिंग पोर्टल पर सुझा व भेजे जा सकते हैं। इनकम टैक्स ऐसा कानून है, जिसके तहत आते तो 6 से 7 करोड़ लोग ही हैं, लेकिन इसका असर देश की पूरी जनता पर पड़ता है। सरकार ने इस कानून में बड़े बदलाव की बात कही है और 60 साल पुराने इनकम टैक्घ्स कानून के कुछ पन्ने आने वाले समय में इतिहास बन जाएंगे। उस का कहना है कि टैक्स को लेकर लाल फीताशाही खत्म करना और आम आदमी के लिए इसकी प्रक्रिया को सरल बनाना हमारा पहला लक्ष्य है।
सीबीडीटी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सरकार ने इनकम टैक्घ्स कानून की समीक्षा के लिए आंतरिक समिति बना दी है। यह समिति 4 मायनों में इसे परखेगी और जरूरत के हि साब से बदलाव किया जाएगा, इसमें इनकम टैक्स की भाषा को सरल किया जाएगा, विवादों को घटाने पर जोर होगा, अनुपालन यानी कम्प्लायंस को भी किया जाएगा और वास्तविक मायनों में ही टैक्स के कानूनों को आम आदमी पर लागू किया जाएगा। इन चार मानकों पर मौजूदा कानून की समीक्षा के बाद जो भी उचि त होगा, उसके हिसाब से सरकार इसमें बदलाव करेगी। इनकम टैक्घ्स कानून में अभी 298 सेक्घ्शन, 14 अनुसूचि यां और 23 चैप्टर हैं। इसके तहत कई ऐसे नियम हैं जो इनकम टैक्स कानून की व्या ख्या करते हैं 6 महीने के भी तर इनकम टैक्स कानून में बदलाव की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा।
इस लिहाज से देखें तो, 2025 में इसकी डेडलाइन है। साथियों बात अगर हम बजट 2024, में केंद्रीय वित्त मंत्री ने आयकर अधिनियम की व्यापक समीक्षा करने की बात करनें की करें तो उन्होंने 2024-25 का केंद्रीय बजट पेश करते समय इस कानून की व्यापक समीक्षा किए जाने का एलान किया था। सरकार के मुताबिक इस समीक्षा का मकसद कानून को संक्षिप्त, स्पष्ट और आसानी से पढ़ने और समझने लायक बनाना हैसरकार का मानना है कि इससे न सिर्फ टैक्सपेयर्स को अपनी टैक्स देनदारी समझने में आसानी होगी,बल्कि टैक्स से जुड़े विवादों और मुकदमों की संख्या भी घटेगी। वित्त मंत्री ने कहा था कि यह काम 6 महीने में पूरा कर लिया जाएगा, उन्होंने आयकर विभाग को यह आदेश भी दिया है कि टैक्सपेयर्स के साथ अप ने नोटिस और कम्युनिकेशन के दौरान आसान भाषा का इस्तेमाल किया जाए, ताकि वे इसे जल्दी और बिना किसी डर के समझ सकें। अतःअगर हम ऊपर पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आयकर अधिनियम 1961 व नियमावली 1962 आसान सुविधाजनक बनाने कवायद शुरू-आम जनता, विशेषज्ञों हितधारकों से सुझाव आमंत्रित। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 6 दशक पुराने आईटी अधिनियम की व्यापक समीक्षा के लिए आम जनता से सुझाव व प्रतिक्रियाएं देने की अपील आम जनता विशेषज्ञ व हितधारकों को जिस नियम, धारा व व्यवस्था से कोई परेशानी हो तो पोर्टल पर अधिक मात्रा में सुझाव दें, यह मेरी निजी सलाह है।
आम जनता, विशेषज्ञ व हितधारकों को जिस नियम धारा व व्यवस्था से कोई परेशानी हो तो पोर्टल पर अधिक मात्रा में सुझाव दें, यह मेरी निजी सलाह
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