एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी – गोंदिया। वैश्विक स्तर पर बहुत दिनों से पूरी दुनियाँ में मिडिल ईस्ट से लेकर रूस- यूक्रेन युद्ध में हमने कई बार परमाणु बम के उपयोग की संभावना व्यक्त करते हुए प्रिंट इलेक्ट्रानिक व सोशल मीडिया में कई बार सुना है व इनके भयंकर परिणाम के बारे में भी गंभीर चर्चा होती रहती है, हालांकि जापान के हिरोशिमा और नागासकी शहरों पर अमेरिका द्वारा गिराए गए पर माणु बमों के बारे हम बचपन से ही स्कूली किताबों में पढ़ते आ रहे थे,उनके भयंकर परिणामों के आज की पीड़ि यों में भी दिखाई देते हैं, जिनकी नजाकत को समझते हुए जापान में पीड़ितों के एक संगठन निहोन हिंडाक्यो बना या है जो परमाणु हथियारों के विनाशकारी नतीजों का पूरी दुनियाँ में आगाज कर जन जागरण अभियान चला रहा है इसके मूल्यों कों आखिर सशक्त पहचान मिली क्योंकि नोबेल कमेटी ने इसे संज्ञान में लेकर उनको नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा की है, इसलिए अब मेरा मानना है कि राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सभी संगठनों संस्थाओं समितियां ने इससे प्रेरणा लेकर अपने संस्थानों संगठनों समितियों को और अधिक मजबूती व निस्वार्थ भाव से कदम बढ़ाने का संकल्प लेना होगा, क्या पता 2025 में फिर इनमें से किसी एक संगठन का नंबर लग जाए। वैसे इस बार 2024 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए मेरा आकलन भारतीय पीएम या फिर चीन के किन्हीं व्यक्तियों के समूह को मिलने का अनुमान था। मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि हमारी राइस सिटी गोंदिया सहित पूरे देश की समितियां संगठन और संस्था ओं को गंभीरता से निस्वार्थ भाव से बिना राजनीतिक रिटर्न लाभ की भावना से सेवा करना उचित होगा। यहां एक छोटे से समाज में मैंने देखा है कि 50 से अधिक संगठन समितियां संस्थाएं क्लब मिशन बने हुए हैं, उनमें मात्र उंगलियों पर गिनने वाले संगठन हैं जो निस्वार्थ व बिना राजनीतिक भावना से सेवा करते हैं, बाकी सभी के तार राजनीतिक स्था नीय विधायक सांसद छुट भैया नेताओं से जुड़े हुए हैं, व अपने आप को तुर्रमखान समझते हैं,उनका काम सेवा नहीं बल्कि अपनी राजनीतिक चमकाकर अपनी पैठ बढ़नां है। आज हम यह बात इस लिए कर रहे हैं क्योंकि कुछ दिन पहले एक निस्वार्थ संगठन संस्था को नोबेल शांति पुरस्कार 2024 मिला है, जि ससे हमें प्रेरणा लेना जरूरी है,इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सह योग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, संगठन सेवा समितियां हो तो ऐसी जापानी संगठन निहोन हिंडा क्यो जैसी, नोबेल शांति पुर स्कार 2024 पाया ऐसी।
साथियों बात अगर हम नोबेल शांति पुरस्कार 2024 की करें तो, साल 2024 के नोबल शांति पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है। इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर अमेरिकी परमाणु बम हमलों के पीड़ितों के संगठन निहोन हिडांक्यो को दिया जाएगा। संगठन को परमाणु हथियारों के विरुद्ध उनके काम के लिए दिए जाने का फैसला किया गया है। यह संगठन दुनिया को विनाशकारी हथियारों से मुक्त कराने के प्रयास में लगा हुआ है। बढ़ते तनाव के बीच शांति पुरस्कार नार्वे नोबेल समिति के अध्यक्ष जाॅर्गन वात्ने फ्रिदनेस ने जापानी संगठन को पुरस्कार देने की घोषणा करते हुए कहा कि नोबेल समिति उन सभी जीवित बचे लोगों को सम्मानित करना चाहती है, जिन्होंने शारीरिक पीड़ा और दर्दनाक यादों के बावजूद, शांति के लिए आशा और जुड़ाव पैदा करने के लिए अपने अनुभवों का उप योग करने का विकल्प चुना है। हिदान्क्यों की हिरोशिमा शाखा के अध्यक्ष तोकोयूकी मिमाकी को जब पुरस्कार की खबर मिली तो उनकी आंखें खुशी से भर आईं। उन्होंने जोर से कहा, क्या यह सच है? विश्वास नहीं हो रहा। इस साल नोबेल शांति पुरस्कारों की घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब दुनियाँ के अनेक हिस्सों खासकर मध्य पूर्व, यूक्रेन और सूडान में भीषण संघर्ष चल रहा है। निहोन हिडांक्यो की स्थापना साल 1956 में हिरोशिमा और नागा साकी में अमेरिकी परमाणु बम हमलों से प्रभावित लोगों ने की थी। इन लोगों को जापानी में हिबाकुशा के नाम से जाना जाता है। इस संगठन का पूरा नाम जापान ए और एच-बम पीड़ित संगठनों का परिसंघहै। जापानी में इसे छोटा करके निहोन हिडांक्यो कर दिया।यह सबसे बड़ा और सबसे इसका मिशन परमाणु हथियारों के विनाशकारी न तीजों के बारे में जागरूकता बढ़ाना रहा है।
नोबेल समिति ने कहा है कि निहोन हिदान्क्यो ने हजारों गवाहियां उपलब्ध कराई हैं। प्रस्ताव और सार्वजनिक अपीलें जारी की हैं। साथ ही विश्व को परमाणु निरस्त्रीकरण की आवश्यकता की याद दिला ने के लिए संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न शांति सम्मेलनों में वार्षिक प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं। इसका मिशन परमाणु हथियारों के विनाशकारी नती जों के बारे में जागरूकता ब ढ़ाना रहा है। नोबेल समिति ने कहा है कि निहोन हिदान्क्यो ने हजारों गवाहियां उपलब्ध कराई हैं। प्रस्ताव और सार्व जनिक अपीलें जारी की हैं। साथ ही विश्व को परमाणु निरस्त्रीकरण की आवश्यक ता की याद दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न शांति सम्मेलनों में वार्षिक प्रतिनि धिमंडल भेजे हैं।
समिति ने प्रशस्ति पत्र में कहा कि इन ऐतिहासिक गवाहों ने व्यक्तिगत कहानियों के आधार पर, अपने अनुभवों के आधार पर शैक्षिक अभि यान चलाकर, तथा परमाणु हथियारों के प्रसार और उप योग के विरुद्ध तत्काल चेता वनी जारी करके, विश्वभर में परमाणु हथियारों के विरुद्ध व्यापक विरोध उत्पन्न करने और उसे सुदृढ़ करने में मदद की है। इसमें कहा गया है कि हिबाकुशा हमें अवर्णनीय का वर्णन करने अकल्पनीय के बारे में सोचने तथा परमाणु हथियारों के कारण होने वाले अकल्पनीय दर्द और पीड़ा को समझने में मदद करता है। इसमें आगे कहा गया कि एक दिन, हिबाकुशा इतिहास के गवाह के रूप में हमारे बीच नहीं रहेंगे। लेकिन स्मरण की एक मजबूत संस्कृति और निरंतर प्रतिबद्धता के साथ, जापान में नई पीढ़ियां इस तबाही के गवाहों के अनुभव और संदेश को बढ़ा रही हैं। वे दुनियाँ भर के लोगों को प्रेरित और शिक्षितकर रहे हैं। इस तरह वेपरमाणु निषेध को बनाए रखने में मदद कर रहे हैं, जो मानवता के लिए एक शांतिपूर्ण भविष्य की पूर्व शर्त है।नोबेल समिति ने परमाणु हथियारों के खिलाफ वैश्विक विरोध उत्पन्न करने और उसे बनाए रखने के उनके अटूट प्रयासों के लिए निहोन हिडां दक्यो की प्रशंसा की। जापान में परमाणु बम विस्फोटों को लगभग 80 साल बीत जाने के बावजूद भी परमाणु हथियार दुनियाँ के लिए खतरा बने हुए हैं। यह पुरस्कार वैश्विक शांति के लिए बढ़ते खतरों की एक सख्त याद दिलाता है। समिति ने कहा कि परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। जैसे-जैसे नए खतरे सामने आ रहे हैं, उनके इस्तेमाल के खिलाफ मानदंड दबाव में है।
साथियों बात अगर हम अभी वर्तमान में शुरू युद्धों के आगाज की करें तो, मिडिल ईस्ट से लेकर रूस और यूक्रेन तक जंग ही जंग हो रही है। ऐसे में सबकी नजर इस बात पर थी है कि शांति का नोबेल पुरस्कार इस बार किसे मिलेगा। दरअसल, दुनिया पूरी तरह से परमाणु हथियारों मुक्त हो, इसके लिए यह संस्था पूरी दुनिया में काम करती है। यही वजह है कि इजरायल हिज बुल्लाह जंग और रूस यूक्रेन युद्ध के बीच इस संस्था को नोबेल शांति पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया ग या है, यह संगठन हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बम विस्फोटों के पीड़ितों का प्रति निधित्व करता है। नोबेल स मिति की मानें तो इस संस्था को परमाणु मुक्त दुनियाँ की वकालत करने और परमाणु युद्ध की भयावहता पर उसके काम के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया है।
नाॅर्वेजियन नोबेल समिति ने निहोन हिडानक्यो को यह प्रतिष्ठित सम्मान दिया है। 1956 में बना निहोन हिडान क्यो जापान में परमाणु बम हमलों में बचे लोगों का सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली संगठन है, इसका मिशन परमाणु हथियारों के विनाशका री मानवीय परिणामों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना रहा है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि संगठन, सेवा, स मितियां हो तो ऐसी-जापानी संगठन निहोन हिंडाक्यों जैसी-नोबेल शांति पुरस्कार 2024 पाया ऐसी। पूरी दुनियाँ में परमाणु हथियारों के विनाश कारी नतीजों की जागरूकता बढ़ाने का इनाम मिला,नोबेल शांति पुरस्कार 2024।
मिडिल ईस्ट से लेकर रूस-यूक्रेन तक जंग ही जंग में संभावित परमाणु हमले के साए में, नोबेल शांति पुर स्कार 2024 निहोन हिंडाक्यो को देना सटीक निर्णय है।
मिडिल ईस्ट से लेकर रूस-यूक्रेन तक जंग ही जंग में संभावित परमाणु हमले के साए में, नोबेल शांति पुरस्कार 2024 निहोन हिंडाक्यो को देना सटीक निर्णय
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