जम्मू कश्मीर हरियाणा महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों में चुनाव की बहार आई – सरकारों ने तरकीब लड़ाई- किसानों में बहारी छाई – अच्छी होगी वोट रूपी फसल कटाई

RAJNITIK BULLET
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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर दुनियाँ के सबसे बड़े लोक तंत्र भारत में करीब करीब हर महीने लोकतंत्र का महा पर्व लगा ही रहता है। कभी विधानसभा, विधान परिषद सांसद स्थानीय निकायों सं स्थाओं पंचायतों इत्यादि का चुनाव होते ही रहता, यही कारण है कि एक देश एक चुनाव नीति की और भारत के कदम बढ़ गए हैं। यदि उच्च स्तरपर जब रेवड़ियों स्कीमों छूटों उदार नीतियों की बौछार होने लगती है, हजारों लाखों करोड़ की योजनाओं की सौ गातें व उद्घाटन होने लग ता है तो मेरा मानना है कि जनता समझदार है कि कहीं चुनाव महापर्व तो नहीं आ गया है? यहां पर जनता का अनुमान सटीक फिट बैठता है कि बराबर इन राज्यों में चुनाव होना है, बस यही समय होता है, जब जनता की याद आती है व चावल प्याज तेल महाराष्ट्र हरियाणा की सबसे बड़ी फसलों में से एक है तो वही वह चावल व तेल भी चुनावी वाले राज्यों में से ही है। परंतु बता दें कि पारि स्थितिक स्थितियां व एविडेंस भी ऐसे उत्पन्न हो जाते हैं कि उपरोक्त फैसला नीतिगत पारिस्थितिक स्थिति योग्य बन जाते हैं जो रेखांकित क रने वाली बात है। आज हम यह बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि शनिवार दिनांक 28 सितंबर 2024 को चावल के निर्यात से प्रतिबंध को पूर्ण रूप से हटा दिया गया तो वहीं निर्यात शुल्क भी घटकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है वहीं कुछ दिन पूर्व प्याज निर्यात पर लगी रोक भी हटा दी गई थी व निर्यात शुल्क में 20 प्रतिशत घटा दिया गया था उसी तरह रिफाइंड तेल पर भी कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी गई थी तो ऐसी पारिस्थितिक स्थितियां उत्पन्न हुई, क्यों कि इनका स्टाॅक पर्याप्त मात्रा में जमा हो चुका था। चूँकि जम्मू कश्मीर हरियाणा महा राष्ट्र सहित कुछ राज्यों में चुनाव की बहार आई, सरकारों ने तरकीब लड़ाई, किसानों में बहारी छाई अच्छी होगीवोट कटाई, क्योंकि चावल और प्याज से निर्यात रोक हटाई, रिफाइन तेल आयात पर ड्यूटी बढ़ाई किसानों की आमदनी बढ़ाने खुशखबरी लाई, इस लिए आज हम मीडिया में उप लब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत सरकार ने किसानों पर सौगातो की बौछार बरसाई दीपावली की मिठाई या चुनाव में वोट रूपी फसल की कटाई। साथियों बात अगर हम चावल प्याज और रिफाइंड तेल आयात और निर्यात टैक्स परिवर्तन कर अप्रत्यक्ष रूप से किसानों को फायदा पहुंचा ने के संभावित कारणों के कयास लगाने की करें तो, हरियाणा विधानसभा के चुना व बिलुकल सिर पर हैं। 05 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 8 अक्टूबर को परिणाम हमारे सामने होंगे। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। उम्मीद है कि इसी साल नवम्बर में महाराष्ट्र विधान सभा के चुनाव भी कराये जा सकते हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र दोनों ही कृषि प्रधान राज्य हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने बीते कुछ हफ्तों मेंकिसानों को लाभ पहुंचाने वाले तीन अहम फैसले लिए हैं।
ये फैसले चुनावी दृष्टिकोण से एक पार्टी के नजरिए से कितने फलदायी साबित होंगे, यह तो वक्त ही बताएगा, मगर इतना तो यह है कि किसानों को इनका लाभ जरूर मि लेगा। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों पर नजर आर्थिक रूप से देखा जाए तो इस साल तेल-बीज की फसल अच्छी होने की उम्मीद है, और वैश् िवक कीमतें भी कम हैं। इसी के चलते अगस्त में खाने के तेलों की महंगाई दर माइनस 0.86 प्रतिशत रही है। कहा जा सकता है कि प्रकृति अथवा कायनात मेहरबान है, इसके अलावा, महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भी यह कदम राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राज्य देश का दूसरा सबसे बड़ा सोयाबीन व प्याज तथा हरियाणा व महाराष्ट्र चावल के भी बड़े उत्पादक है। साथियों बात अगर हम 28 सितंबर 2024 को चावल निर्यात बैन व 10 प्रतिशत टैक्स हटाने की करें तो सरकार ने शनिवार को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगे पूर्ण प्रतिबंध को हटा दिया। इसके साथ, इस पर 490 डाॅलर प्रति टन का न्यून तम मूल्य तय किया और इसे निर्यात शुल्क से भी छूट दे दी है। घरेलू आपूर्ति को बढ़ा वा देने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर 20 जुलाई, 2023 से प्रतिबंध लगा दिया गया था। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजी एफटी) ने अधिसूचना में कहा, गैर-बासमती सफेद चावल (अर्ध-मिल्ड या पूर्ण रूप से मिल्ड चावल, चाहे पाॅलिश किया हुआ हो या नहीं) के लिए निर्यात नीति को प्रति बंधित से मुक्त में संशोधित किया गया है, जो तत्काल प्रभाव से और अगले आदेश तक लागू रहेगा। यह 490 अमेरिकी डाॅलर प्रति टन के एमईपी (न्यूनतम निर्यात मूल्य) के अधीन है। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है कि जब देश में सरकारी गोदामों में चावल का पर्याप्त भंडार है और खुदरा कीमतें भी नियं त्रण में हैं। सरकार ने गैर- बासमती सफेद चावल को निर्यात शुल्क से छूट दे दी है, जबकि उसना चावल पर शुल्क घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले राजस्व विभाग ने शुक्रवार को जारी एक अधिसूचना में कहा कि उसने ब्राउन राइस और धान पर निर्यात शुल्क भी घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। चावल की इन किस्मों के साथ -साथ गैर बासमती सफेद चावल पर निर्यात शुल्क अब तक 20 प्रतिशत था। अधि सूचना में कहा गया है कि नई दरें 27 सितंबर, 2024 से प्रभावी हो गई हैं। इसी महीने सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को समाप्त कर दिया था। देश ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल- जुलाई के दौरान 18.9 करोड़ डॉलर मूल्य का गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात किया है। पिछले वित्त वर्ष (2023 -24) में यह 85.25 करोड़ डाॅलर था। भारत सरकार ने अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरत को पूरा कर ने और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर निर्यात की अनुमति दी। भारत से गैरबासमती चावल खरीदने वाले मुख्य देशों में बेनिन, बांग्लादेश, अंगोला, कैमरून, जिबूती, गिनी, आइवरी कोस्ट, केन्या और नेपाल शामिल हैं।
ईरान, इराक और सऊदी अरब मुख्य रूप से भारत से बासमती चावल खरीदते हैं। एक अधिसूचना में, वित्त मंत्रा लय के तहत राजस्व विभाग ने कहा कि उसने भूसी (भूरा चावल), और भूसी वाले चावल (धान या खुरदरे) पर निर्यात शुल्क भी घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। साथियों बात अगर हम किसानों की आमदनी बढ़ाने कृषि उत्पादों को परिस्थितिक जन्य लाभ देने की करें तो किसानों की आमदनी बढ़ाने और देश के कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार में और मज बूती दिलाने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। बासमती चावल के निर्यात पर लगी न्यूनतम मूल्य सीमा को हटाकर सरकार ने किसानों और निर्यातकों को राहत दी है। साथ ही रिफाइंड तेल पर ड्यूटी बढ़ाने और प्याज के निर्यात पर से रोक हटाने जैसे फैसलों से कृषि क्षेत्र में एक नई दिशा देने की कोशि श की गई है। उल्लेखनीय है कि आने वाले महीनों में हरियाणा के साथ-साथ महा राष्ट्र में भी चुनाव होने हैं, ऐसे में सरकार के इस फैस ले से इन राज्यों के स्थानीय किसानों को बड़ा फायदा मिलने वाला है।

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