एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर खुशियों या सकारात्मक परिस्थितियों में तो हर व्यक्ति जीवन जीनें को आतुर रहता है, परंतु सृष्टि का यह नियम है कि हमेशा ऐसा नहीं होता, जीवन का चक्र घूमते रहता है। यदि आज सकारात्मक परिस्थितियां हैं तो कल नका रात्मक परिस्थितियां भी आ नी ही है! जिससे हमें मुकाब ला कर आगे बढ़ना है और स्थितियों पर परिस्थितियों से निपट कर सफलता के झंडे गाड़कर इतिहास रचना है। जो खुद में स्थिर होते हैं, हर परिस्थितियों से लड़ते हैं, वही अपने जीवन में इतिहास रखते हैं। क्योंकि जब हम निर्भीकता से विपत्तियों का मुकाबला करने के लिए कटिबद्ध होंगे त्योहिं विपत्तियां दुम दबाकर भाग खड़ी होगी। इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से विभिन्न विचारों को समाहित करते हुए चर्चा करेंगे आओ परिस्थितियों से लड़ कर इतिहास रचें।
साथियों बात अगर हम मानवीय जीवन में परीक्षा की घड़ी की करें तो अनुकूल प रिस्थितियों में तो सभी सटी कता से जीवन यापन करने और अपने आप को सुदृढ़ और सुलझा हुआ कहने लगते हैं परंतु असली व्यक्तित्व और स टीकता का पता तो तब चलता है जब विपरीत परि स्थितियों में भी स्थिरता के से मुकाबला कर उन्हें अनुकूल बनाकर इतिहास रचते हैं। असल में हमें विपरीत परिस्थि तियों में हिम्मत रखना और जिंदगी में जो भी परिस्थिति यां हो उसका डटकर सामना करना हमारी जिंदगी में जो भी समस्या हो उन समस्याओं का हल निकालना और उन सम स्याओं का हल निकालते और लड़ते-लड़ते मर जाना बेह तर है। किसी भी समस्या से भागना नहीं चाहिए विकट परिस्थितियों में जूजते रहेंगे तो हमारी समस्याओं का हल अपने आप निकलता रहेगा और आने वाली पीढ़ी के लिए समस्याओं का निराकरण भी लाएंगे और हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए आदर्श भी बनेंगे जो लोग समस्याओं से लड़ते हैं और उसका हल निकालते हैं और डरते नहीं है, वही लोग महान हैं।
साथियों बात अगर हम सटीक कहावत मानव परि स्थितियों का दास होता है और उस दास शब्द को अ स्वीकार करने की करें तो, मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकलने के लिए हमें सर्वप्रथम उन वजहों को समझने का प्रयास करना चाहिए जिनके चलते ये परिस्थितियाँ पैदा हुईं हैं जिसपर पर बारिकी से नजर रखते हुए सब्र के साथ परिस्थितियों का सामना क रने का प्रयास करना चाहिए, जो परिस्थितियाँ हमा रे बस में ना हों उनके लिए अधिक चिंतित हम ना हों।
वे समय के साथ खुद ब खुद सामान्य हो जाएँगी। हर हालत में धैर्यवान बने रहकर ईश्वर अल्लाह (समय) पर भरो सा करना चाहिए। समय से बलवान कोई नहीं। चाहे कित नी भी मुश्किल परिस्थिति हो समय बीतने के साथ-साथ मुश्किल से मुश्किल परिस्थि तियों को बदलकर सामान्य होते देर नहीं लगतीं। कितना भी गहन अंधकार वाली रात्रि हो कुछ पलों में सूर्योदय अव श्यंभावी है।
साथियों वह नियति हो या फिर परिस्थिति कोई फर्क नहीं पड़ता और जीवन में अच्छे और बुरे दोनों वक्त आते हैं। जिस तरह से हम अच्छे वक्त को संभालना बचपन से जानते हैं, उसी तरीके से हमें बुरे वक्त को भी संभालना सीखना चाहिए किस तरीकेसे हम इनको संभाले कि यह परिस्थितियां कभी भी हमारे जीवन में ऐसी परिस्थिति ना क्रिएट करें की हम टूट कर बिखर जाएं यदि टूट कर बिखर भी जाएं तो स्वयं को जोड़कर पुनःखड़ा होने की हिम्मत अपने अंदर रखनी चाहिए। जीवन में जीवन से ज्यादा कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं होता परंतु अक्सर देखा जा ता है कि इंसान छोटी-छोटी बातों को लेकर के भी आत्म हत्या कर लेता है या फिर कोई ऐसा कदम उठा लेता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं करते इन्हीं सब से निप टने के लिए हमें स्वयं को मा नसिक रूप से सबल बनाना होता है।
साथियों बात अगर हम विपरीत परिस्थितियों को हावी ना होने देने की करें तो, जब भी हम अपने जीवन में कम जोर होते हैं, चाहे वह कम जोरी शारीरिक होआर्थिक हो या मानसिक हो उस वक्त हमारा मन दुर्बल होता है तथा हम परिस्थितियों से संघर्ष करने में कमजोर होते हैं।
अतः ऐसी स्थिति में हमारे ऊपर परिस्थितियों को हम हावी होने देते हैं यदि हम चाहते हैं कि हमारे ऊपर परि स्थितियां हावी ना हो तो हम को अपने आप को मानसिक रूप से बहुत सफल बनाए रखना होगा। जिंदगी में कहीं बार ऐसे पड़ाव, वक्त आता हैं कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं समझ में ही नहीं आता, उस परिस्थितियों में हमको सब्र रखना हैं, खुद से बातें करना हैं, खुद को एकांत में लाने का प्रयास क रना चाहिए, क्योंकि यहीं वह समय हैं जब हम खुद कों समझ सकते हैं, हमारे अंदर रहा सामर्थ्य को पहचान सकते हैं, हमारी क्षमता को समझ सकते हैं, और जरूरी हैं सकारात्मक बने रहना। प्रतिकूल परिस्थितियों में अगर हमारा अपने दिल और दिमाग पर काबू है तो हमको किसी की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी तो सबसे पहले हमको स्ट्रांग रखने के लिए अपने दिल और दिमाग को अपने काबू में रख ना पड़ेगा अगर वह काबू में आ गए तो हम किसी भी परि स्थिति का सामना कर पाएंगे।
साथियों बात अगर हम खुद के अनुसार परिस्थितियों को बदलकर इतिहास रचने की करें तो, हमें ऐसे व्यक्ति बननां है जो परिस्थितियों के अनुसार खुद नही बल्कि खुद के अनुसार परिस्थितियों को बदल डाले इसलिए पुनः प्रयास करें और तब तक करते रहें जब तक हम उस परि स्थिति को बदल न दे। हमें अपनी परिस्थिति को सुधारने का भरसक प्रयत्न करना और उसके मार्ग में आने वाले संक टों का धैर्यपूर्वक मुकाबला क रना चाहिए, पर यदि प्रयत्नों के बावजूद हमारी आकाँक्षा और इच्छाओं के अनुसार हमा री परिस्थिति में किसी अज्ञात कारणवश शीघ्र वाँछित परिव र्तन या सुधार नहीं होता है, तो हमें घबराकर प्रयत्नों को नहीं छोड़ देना चाहिए बल्कि दुगने उत्साह के साथ हमें अपने उद्देश्य-प्राप्ति में जुटे रहना चाहिए। ऐसे समय में हमें अपने आत्म मित्र एवं हित चिंतकों से इस विषय में परा मर्श और मार्गदर्शन प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए संभव है उनकी सूझबूझ और सहा यता से हमारे संकट का निवा रण हो जाए। समस्या को हम अपने परिवार के सदस्यों के सन्मुख उपस्थित कर उन की सलाह भी ले सकते है। इस प्रकार हमें कहीं न कहीं से ऐसे प्रेरक विचार मिल जायेंगे, जिनके द्वारा हम अप नी परिस्थितियों को बदल सकेंगे।
साथियों जीवन एक संग्राम है। इसमें वही व्यक्ति विजय प्राप्त कर सकता है, जो या तो परिस्थिति के अनुकूल अप ने को ढाल लेता है या जो अपने पुरुषार्थ के बल पर परि स्थिति को बदल देता है। हम इन दोनों में से किसी भी एक मार्ग का या समयानुसार दोनों मार्गों का उपयोग कर जीवन-संग्राम में विजयी हो सकते हैं। परिस्थितियां बनती -बिगड़ती रहती है। ऐसे में विपरीत परिस्थितियों से कभी नहीं घबराएं। उनके साथ ताल-मेल बिठाएं और मन में धैर्य को स्थान दे। अपने अंदर करुणा, दया, प्रेम, आत्मीयता एवं सहानुभूति जैसे सद्गुणों का विकास करें। सात्विक विचारों के साथ-साथ सोच को सकारात्मक बनाएं सत्कर्म को बढ़ावा देपरिस्थितियां अपने आप अनुकूल बनती च ली जाएगी। विकट परिस्थि तियां हमारे संघर्ष को और पक्का करती हैं। स्वयं पर विश्वास रख कर आगे बढ़े, हर समय आप रो नहीं सकते हैं। हमको उन परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करना होगा। धीरज धर्म, मित्र, अरु नारी। आपतिकाल परखिए चारीघ्रामायण की इस चैपाई को हम अहर्निश ध्यान में रख ते हुए आने वाली हर मुसीबत का निर्भीकता और दृढ़ता के साथ सामना कर सकते है। आप देखेंगे कि ज्यों ही हम विपत्तियों का मुकाबला करने के लिए कटिबद्ध होंगे, त्यों ही विपत्तियाँ दुम दबाकर भाग खड़ी होंगी, संकटों के सब बादल छँट जाएंगे और परि स्थिति निष्कंटक होकर हमारे लिए अनुकूल हो जायगी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि, जीवन में अच्छे और बुरे दोनों वक्त आते हैं। आओ परिस्थितियों से लड़कर इतिहास रचें। स्थितियों परि स्थितियों से निपटकर सफल ता के झंडे गाड़कर इतिहास रचना है। हर परिस्थिति का सामना करने के लिए मनुष्य कोमानसिक मजबूती और संतुलित विचारधारा चाहिए।
हर परिस्थिति का सामना करने के लिए मनुष्य को मानसिक मजबूती और संतुलित विचारधारा चाहिए
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