एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
गोंदिया। वैश्विक स्तर पर बीतें माह 23 जुलाई 2024 को घोषित हुए बजट पर पूरे दुनियां की नजरें लगी हुई थी क्योंकि भारत में विनियोग क रने वाले हर व्यक्ति को बजट में अपना लाभ ढूंढने की फित रत थी, यह होना भी चाहिए क्योंकि हर देश अपने बजट के माध्यम से इन्वेस्टर को आक र्षित करता है परंतु मैं कर वि शेषज्ञ होने के अहमियत से करीब 25 वर्षों से बजट पर नजर रखता हूं व विश्लेषण करता हूं। बजट में अनेक प्रो विजंस ऐसे होते हैं जो मोटे तौर पर हमें बहुत फायदा मि लता हुआ दिखता है, परंतु अगर हम उस संशोधित प्रोवि जंस के अंदर जाकर उसका विश्लेषण करने जाएंगे तो फिर असलियत का पता चलता है, जो बीती 23 जुलाई 2024 को मोटे तौर पर लाॅन्ग टर्म कैपिटल गेन के 20 पर्सेंट टैक्स को घटकर 12.5 पर्सेंट किया गया था तो बजट के तुरंतबा द इसकी वाहवाही शुरू हो गई थी, एक नजर में मैंने भी इंटरव्यू में इसे अच्छा कदम बताया था। परंतु मैंने जब सेक्शन पूरा संशोधन पढ़कर विश्लेषण किया तो जोर का झटका धीरे से जरूर लगा। जो दुकान प्राॅपर्टी सोना इत्या दि खरीदने बेचने का व्यापार या मजबूरी में कुछ काम से अपनी संपत्ति बेचते हैं तो उन्हें कैपिटल गेन से राहत में छूट से भी अधिक कर का भुगता न करना होगा। क्योंकि वित्त मंत्री ने इंडेक्सेशन सिस्टम को समाप्त कर दिया है, जिसे मैं नीचे पैराग्राफ में पूरे विश् लेषण से प्रस्तुत करूंगा। उ धर मीडिया में वित्त सचिव का बयान आया कि 2001 से पहले वाली संपत्ति पर इंडे क्सेशन सिस्टम लागू रहेगा। याने जिसकी पैतृक संपत्ति है उसपर इंडेक्सेशन शुरू रहेगा। दूसरी ओर जो रियल एस्टेट का व्यापार करते हैं उन को बहुत टैक्स देना पड़ेगा। अभी बजटसत्र में एक सांसद सीए राघव चड्ढा ने भी कहा कि इंडेक्सेशन से इन्वेस्टर को प्रोत्साहन मिलता है परंतु यह हटाने से इन्वेस्टर हतो त्साहित होगा। उन्होंने पूरे उदाहरण के साथ समझाया। मेरा मानना है कि अधिकतम व्यक्ति जो टैक्स सिस्टम के जानकार हैं वे सांसद महोद य के विचारों से सहमत हुए होंगे। इसलिए इंडक्सेशन समाप्त करने से रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट गिरेगा, प्राॅपर्टी का अंडर वैल्यूएशन बहुत ब ढ़ेगा, जिससे काला धन रिय ल एस्टेट में फिर क्रिएट होगा, ऐसा विचार संसद में राघव चड्ढा ने व्यक्त किया था, जिस से अनेक लोग सहमत होंगे। चूंकि बजट 2024 में इंडेक्से शन खत्म, प्राॅपर्टी और सोने में इन्वेस्ट करने वालों को जोर का झटका लगा इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, बजट 2024 में रियल स्टेट व सोने में इन्वेस्ट करने वालों को बाहर से खुश कर अंदर से जोरदार झटका। केंद्रीय बजट 2024 प्रस्तावित कैपिटल गेन परसेंट लाभ दे कर इन्वेस्टर्स को जोर का झटका धीरे से!
साथियों बात अगर हम बजट 2024 में प्रस्तावित लाॅन्ग टर्म कैपिटल गेन को 20 से घटकर 12.5 परसेंट करने व इंडेक्सेशन लाभ को समाप्त करने को समझने की करें तो प्रस्तावित नई एलटीसी जी व्यवस्था वित्तमंत्री द्वारा इस सप्ताह की शुरुआत में पेश किए गए 2024-25 के केंद्रीय बजट में संपत्ति, सोना और अन्य गैर-सूचीबद्ध संप त्तियों पर एलटीसीजी की ग णना के लिए उपलब्ध इंडे क्सेशन लाभ को समाप्त कर दिया गया है, जबकि एलटी सीजी कर की दर को 20 पर्सेंट से घटाकर 12.5 पर्सेंट कर दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके परिणाम स्वरूप, रियल एस्टेट परिसंप त्तियों के विरुद्ध एलटीसी जी पर प्रभावी कर प्रभाव अधिकांश मालिकों के लिए अधिक होगा, खासकर उन लोगों के लिए जो पाँच साल से अधिक समय से संपत्ति रखते हैं। इंडेक्सेशन लाभ को हटा ने से रियल एस्टेट लेन देन पर कर का बोझ बढ़ेगा।
साथियों बात अगर हम बजट से पहले की इंडेक्शन व्यवस्था की करें तो, सोने पर कैपिटल गेन की अविध 36 महीने थी और प्राॅपर्टी पर एक अलग अवधि थी, इसके साथ ही नाॅन फाइनेंशियल एसेट्स स्टाॅक और बाॅन्ड पर अलग अवधि थी, लेकिन अब इनमें दो अवधियां लागू होंगी, जिसमें बाॅन्ड के ऊपर पहली 12 महीने के बाद लाॅन्ग टर्म कैपिटल गेन और गोल्ड व प्राॅपर्टी पर 24 महीनों के बाद लाॅन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। सरकार ने लाॅन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दर में बदलाव किया है, जिसमें इक्विटी, म्यूचुअल फंड और बाॅन्ड में निवेश करने पर टैक्स की दर को 10 से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया है।
जबकि सोना और प्राॅपर्टी में इसे 20 से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया है। हालांकि इसे सोचकर हम थोड़े समय के लिए खुश हो सकते हैं कि सरकार ने सोने और प्राॅपर्टी में लाॅन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को कम दिया है तो अब हम को कम टैक्स देना पड़ेगा, लेकिन असली कहानी इस के बाद शुरू होती है। क्यों कि अभी तक लोगों को सोने और प्राॅपर्टी को बचने पर इंडे क्सेशन का फायदा मिलता था, जिसको इस बार के बजट में खत्म कर दिया गया है। हम सोच रहे होंगे इंडेक्सेशन क्या होता है तो इसे भी समझते हैं। इंडेक्सेशन में महंगाई दर, प्राॅपर्टी की मरम्मत या इसके डेवलप मेंट में खर्च किए गए पैसे को आधार मानकर टैक्स में छूट मिलती है जिसके आधार पर लंबे समय तक किसी नाॅन फाइनेंशियल एसेट्स में पैसा लगाने वाले शख्स को उसे बेचने के बाद होने वाले मुना फे पर दिए जाने वाले टैक्स में छूट मिलती थी।
साथियों बात अगर हम इंडेकसेशन व्यवस्था को सम झने की करें तो, हालांकि ह मको प्राॅपर्टी पर इस टैक्स स्ट्रक्चर को समझने के लिए इंडेकसेशन को समझना बहुत जरूरी है। यह वह लाभ था, जो लाॅन्ग टर्म में प्राॅपर्टी बेचने पर हुए मुनाफे और महंगाई को एडजस्ट करता था। फिर प्राॅपर्टी पर टैक्स लगाया जाता था। इसे और सरल करें तो 10 साल पहले महंगाई कुछ और थी, लेकिन आज कुछ और है, ऐसे में महंगाई के हिसाब से इंडेक्सेशन प्राॅपर्टी पर हुए मुनाफे को एडजस्ट करता था और फिर टैक्स लगता था। हम सोच रहे होंगे इंडेक्सेशन क्या होता है? तो इसे भी समझ लीजिए, इंडे क्सेशन में महंगाई दर, प्राॅपर्टी की मरम्मत या इसके डेवल पमेंट में खर्च किए गए पैसे को आधार मानकर टैक्स में छूट मिलती है, जिसके आ धार पर लंबे समय तक किसी नाॅन फाइनेंशियल एसेट्स में पैसा लगाने वाले शख्स को उसे बेचने के बाद होने वाले मुनाफे पर दिए जाने वाले टैक्स में छूट मिलती थी।
साथियों बात अगर हम इंडक्शन के लाभ को एक उदाहरण से समझने की करें तो, इंडेक्सेशन का आधार वर्ष शुरुआत में 1981-82 को आधार वर्ष माना गया था, लेकिन टैक्स देने वालों को 1 अप्रैल 1981 से पहले खरी दी गई संपत्तियों का मूल्यांक न करवाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था, इसलिए सरकार ने आधार वर्ष को 2001 में बदलने का फैसला किया ताकि मूल्यांकन सही तरीके से किया जा सके और उस समय इंडेक्सेशन को 100 माना गया अभी 20 24-25 का इंडेकसेशन 36 3 है। इसे एक उदाहरण से समझिए। अगर हमने कोई प्राॅपर्टी साल 2001 में 10 लाख रुपये की खरीदी और साल 2024-25 में हम इसे 90 लाख रुपये में बेचते हैं तो इस तरह हमारा 80 लाख रुपये का मुनाफा या कहें कि कैपि टल गेन हुआ है। इस कैपिटल गेन पर लाॅन्ग टर्म कैपिटल गैन टैक्स लगता है। जिसमें हम 80 लाख रुपये में से इंडेक्सेशन को घटा देते थे तो हमको उसके बाद वाली रकम पर टैक्स भरना होता था, लेकिन इस बार के बजट में वित्तमंत्री ने जो किया है, उसके बाद एक्सपर्ट्स ये मान रहे हैं कि अब ये पहले के मुकाबले ज्यादा देना होगा। आई समझते हैं कैसे निकालते हैं इंडेकसेशन, साल 2001- 02 में इंडेक्सेशन 100 था, जोकि 2024-25 में बढ़कर 363 हो गया। ऐसे में साल 2001 के 10 लाख रुपये को साल 2024-25 के लागत मुद्रास्फीति सूचकांक से गुणा करके साल 2001-02 के ला गत मुद्रास्फीति सूचकांक से भाग करते हैं और जो रकम आती है उसको बेची गई रक म से घटाया जाता है, जोकि हमारी इंडेक्सेशन रकम होती है और इसको बेची गई रकम से घटाने के बाद जो राशि आती है, उसपर लाॅन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स दिया जाता है। 10,00,000 – 363/100 = 3,630,000 यह इंडेक्सेशन रकम हुई। 80,000,00 3,63 0,000 = 4,370,000 पर पहले 20 फीसदी टैक्स देना होता है जोकि 874,000 हो ता था, अब सरकार ने इंडेक्से शन को खत्म कर दिया है तो ऐसे में 80 लाख पर 12.5 परसेंट की दर से टैक्स देना पड़ेगा जोकि 10 लाख रुपये बनेगा। यानी इस नए सिस्टम से अब हमको पहले से अधिक टैक्स देना पड़ेगा।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि केंद्रीय बजट 202 4 – प्रस्तावित कैपिटल गेन परसेंट लाभ देकर इन्वेस्टर्स को जोर का झटका धीरे से! बजट 2024 इंडेक्सेशन व्यवस्था खत्म-प्राॅपर्टी और सोनें में इन्वेस्ट करने वालों को जोर का झटका बजट 2024 में रियलस्टेट व सोने में इन्वेस्ट करने वालों को बा हर से खुश कर, अंदर से जो रदार झटका-इंडेक्सेशन स माप्त कर टैक्स का फटका।
बजट 2024 में रियलस्टेट व सोने में इन्वेस्ट करने वालों को बाहर से खुश कर, अंदर से जोरदार झटका – इंडेक्सेशन समाप्त कर टैक्स का फटका
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