व्यापारी ने पुलिसकर्मी पर लगाया प्रताड़ित करने का आरोप

RAJNITIK BULLET
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(प्रेम चंद श्रीवास्तव)
ऊंचाहार, रायबरेली।
पुलिस की प्रताड़ना से क्षुब्ध युवक ने जब अपनी समस्या पत्रकारों को बताई और खबर प्रकाशित हुई तब पीड़ित के बयान में आरोपी सिपाही ने पत्रकार पवन कुमार गुप्ता को फोन करके कहा आपका यह तरीका ठीक नहीं है। गौरतलब यह है कि आखिर खबर प्रकाशित होने के बाद आरोपी सिपाही द्वारा पत्रकार को फोन करने का का उद्देश्य क्या था.? यदि फोन किया भी तो सिपाही के इस शब्द ष्यह तरीका ठीक नहीं हैष् का क्या अर्थ निकाला जा सकता है.? क्या पत्रकार को अब यह समझ लेना चा हिए कि पीड़ित की तरह उसे भी डराया और धमकाया जा रहा है।
अवगत हो कि यह मामला ऊंचाहार कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत पटेरवा गांव का है, रघुनाथपुर पटेरवा गांव निवा सी बीनू अग्रहरि जो कि गांव -गांव घूमकर किराना और गल्ला का सामान बेचता है। उसने बीती मंगलवार को बताया कि उसका अपने सगे भाई (विपक्षी) से पुस्तैनी जमीन को लेकर विगत कुछ वर्षों से विवाद चल रहा है और यह मामला माननीय न्यायालय में विचाराधीन है।
बावजूद इसके विपक्षी उसे आए दिन परेशान करते हैं और घर में उसके आने जाने के मार्ग को अवरूद्ध करते हैं, जिसकी शिकायत पीड़ित व्यापारी बीनू अग्रहरि कई बार ऊंचाहार कोतवाली में कर चुका है। पीड़ित व्यापारी बीनू ने फोन पर अपनी समस्या को बताया है कि वह आईजी आरएस पोर्टल पर भी अपनी शिकायत दर्ज करा चुका है, परंतु उसकी शिकायत को आज तक संज्ञान में नहीं लिया गया है।
अब अपने सगे भाई राज कुमार अग्रहरि की साजिश से पीड़ित व्यापारी बीनू को पुलिस से कोई मदद नहीं मिल रही, बल्कि हल्का के सिपाही द्वारा उसे प्रताड़ित किया गया। पीड़ित ने बताया कि उसके विपक्षी राजकुमार अग्रहरि द्वारा उसे हर दिन परेशान किया जा रहा है, साथ ही उस पर छेड़छाड़ जैसे संगीन आरोप लगाकर फंसाने की धमकी दी जा रही है। पीड़ित ने इस बात की शिकायत (एनटीपी सी बहेरवा चैकी के) हल्का इंचार्ज से भी की परंतु पीड़ित का आरोप है कि हल्का क्षेत्र के सिपाही संतोष यादव ने उसके विपक्षियों से पैसा ले कर उसे रास्ते भर बाल नोंचते और पीटते हुए थाने में ले गया और बंद कर दिया। बाद में उसका 151 में चालान कर दिया गया। पीड़ित ने कहा कि हमारी तरफ से दिये गये प्रार्थना पत्र पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उल्लेख नीय यह भी है कि इस समय बहेरवा (एनटीपीसी) चैकी में तैनात कुछ सिपाही के किर दारों पर क्षेत्र में अच्छा खासा विरोध भी प्रकट हो रहा है। जल्द ही इन सिपाहियों के विरुद्ध ग्रामीण और सामाजि क कार्यकर्ता लामबंद होने की तैयारी भी कर रहे हैं। अब पीड़ित अपने ऊपर हुए जुल्म पर न्याय की मांग कर रहा है। उसने कहा कि विपक्षी गण उसे फंसाने की साजि श रचने की बात कह रहे हैं और हल्का क्षेत्र के सिपाही ने भी घूस लेकर सिर्फ एक पक्षीय कार्रवाई की है और मुझे (पीड़ित बीनू) पर 151 का चालान कर दिया, जबकि कम से कम शांति भंग की धाराओं में दोनो पक्षों का चा लान होना चाहिए था। कोत वाली प्रभारी ऊंचाहार अनिल सिंह ने कहा कि यदि पुलिस की कार्यवाही से पीड़ित ना खुश था तो घटना वाले दिन ही हमसे बताना चाहिए था, पीड़ित को रात में ही घर भेज दिया गया था और फिर भी यदि वह हमें प्रार्थना पत्र दे तो हम आरोपी सिपाही का बयान लेकर उचित कार्यवाई करेंगे।
सिपाही संतोष यादव ने पत्रकार को डराने/धमकाने के अंदाज में फोन पर कहा कि उक्त ब्यापारी के उत्पीड़ न की खबर जब जन सामना वेबपोर्टल पर प्रकाशित हुई तो ऊंचाहार थाना क्षेत्र की एनटीपीसी चैकी में तैनात और पीड़ित के बयान में आ रोपी सिपाही संतोष यादव ने पत्रकार पवन कुमार गुप्ता को फोन पर कहा कि आप का यह तरीका ठीक नहीं है। धारा 151 का चालान कोत वाल और दरोगा करते हैं हम नहीं। अब उच्च अधिकारियों को ध्यान देने की बात यह भी है कि सिपाही संतोष यादव ने फोन पर यहां तक कहा कि अगर हम तुम्हारे पीड़ित पर छेड़खानी का मुकदमा लिख देते तो तुम्हारा पीड़ित, खुद पीड़ित ही नहीं रहता। इसलिए तुम्हारा यह तरीका ठीक नहीं है।
सिपाही संतोष यादव के द्वारा पत्रकार को समझाए जा रहे इस तरीके का, ठीक तरीका क्या है.?
यह उच्च अधिकारियों औ र रायबरेली पुलिस अधीक्षक अभिषेक अग्रवाल को समझ कर, इसका निष्कर्ष निकाल ना चाहिए कि सिपाही के इन शब्दों में पत्रकार को डराया जा रहा है या धमकाया जा रहा है या इन शब्दों का और भी कुछ मतलब हो सकता है। ऊंचाहार में तैनात सिपाही के फोन पर इस तरह सवाल ज वाब करने से इतना जरूर तय हो गया है कि वर्दी की हनक से राह चलते कभी भी कोई भी प्रताड़ित हो सकता है।

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