एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी – गोंदिया। वैश्विक स्तर पर दुनियां में हर देश ने तेजी से बढ़ती प्रौद्योगिकी, विकास से बढ़ते डिजिटाइजेशन ने शारीरिक श्रम को विशाल स्तरपर कम कर मानसिक श्रम को बढ़ा दिया है जिसमें अनेक प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक एप्स और वेबों ईद का जवाब पत्थर से देने का काम कर दिया है जिसमें माननीय जीव का ध्यान भटक सा गया है और अपने ही उलझन में उल झते हुए गुम सा हो गया है। दूसरी ओर बढ़ते मानवीय विवादों वह बढ़ाती अपनीं ख्वाहिशें,लग्जरी जिंदगी झूठी शान को दिखाने के चक्कर में बड़बोलापन शब्दों बयानों वाक्यों के गिरते स्तर तथा परिवार में बढ़ते विवादों की खाई को और चैड़ा करते जा रहे हैं, जहां अब समय आ गया है कि अब आदि- अनादि काल से हमारे बड़े बुजुर्गों के उपरोक्त हानियों में गुणकारी टाॅनिक मौन एका ग्रता को अपनाएं जो हमारे जीवन की सफलता का सच्चा सूत्र है। चूंकि मन एकाग्रता से विवेक जागृत होता है, जिस में निर्णायक क्षमता सर्वोत्तम होती है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, मन एकाग्रता से क्रोध का दामन, आत्मिक बल, निर्मल बुद्धि, समस्याओं का समाधान व मस्तिष्क में एकाग्रता होने को रेखांकित करना जरूरी है। साथियों बात अगर हम मौन व एकाग्रता के लाभों की करें तो, मौन रहने में बड़ी ताकत है, रह कर देखें तब हमको इसके फायदों के बारे में ज्ञान होगा। मौन रहने के फायदे इस प्रकार है – (1) सकारात्मक सोच के लिए जीवन में मौन रहने की सलाह दी जाती है। (2)मन को शांति मिलती है और शक्ति बढ़ती है। (3) मौन से आंतरिक और मानसिक शक्ति मिलती है। (4)इससे व्यक्ति लंबे समय तक तनाव रहित बना रहता है। (5)मौन रहने से क्रोध मिटता है। (6) मौन की शक्ति बड़े से बड़े अहंकार को धूल में मिला देती है (7) स्मरण शक्ति और सोचने की शक्ति बढ़ती है। (8) नई मानसिक ऊर्जा प्राप्त होती है और बड़े संघर्ष शुन्य हो जाते हैं। (9) इस उपाय से मन की चंचलता को नष्ट किया जा सकता है। (10) घरेलू लड़ाई-झगड़े बिल्कुल खत्म हो जाते हैं और अपने आप पर काबू पाने की शक्ति बढ़ती है। मौन रहने के क्या लाभ होते हैं? कहते हैं कि जो समझदार होता है, वह कम बोलता है और कई बार मौन रहकर भी वह संवाद साध लेता है। अनुभव बताता है कि मौन कई बार बहुत बड़ी परेशानियों से बचा सकता है। इसके विपरीत अगर कोई आदत से मजबूर होकर एक के बदले दस जवाब देता है और कहता है कि मैं चुप क्यों रहूं, किसी से दबकर क्यों रहूं? तो वह बहुत बड़ी मुसीब त में फंस सकता है। मौन की अपनी, अनुपम अभिव्यक्ति होती है, जो किसी भाषा की मोहताज नहीं होती। अक्सर लोग वाणी के विराम को ही मौन समझते हैं। लेकिन कि सी व्यक्ति के मन में संकल्पों की उथल-पुथल हो रही हो, किसी अन्य व्यक्ति के प्रति उसके मन में द्वेष भावना का ज्वार-भाटा उठ रहा हो, या उसके भीतर कोई और वास ना धधक रही हो, तो क्या यह मौन कहा जाएगा? कहते हैं कि पानी-सा रंगहीन नहीं होता मौन, आवाज की तरह इसके भी हजार रंग होते हैं। मन और वाणी, दोनों का शांत होना ही पूर्ण मौन कहा जाता है। मुख के मौन को बाह्य मौन कहा जाता है तथा मन का मौन अंतः मौन। एक कहा वत है कि मीठा बोलना जित ना सुखकारी है, उतना ही कम बोलना भी लाभकारी है। पर हमें यह समझ भी होनी चा हिए की जहां मौन रहना चा हिए, वहां बोलकर अपने लिए झमेला कभी खड़ा नहीं कर ना है। मौन हमारे मस्तिष्क के सभी स्नायुओं और इंद्रियों को संयमित रखता है। चुप रहने से वाणी और वाणी के साथ खर्च होने वाली मस्तिष्क की शक्ति संचित होती है। तभी तो कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने मुख और जबान पर संयम रखता है, वह अप नी आत्मा को कई संतापों से बचाता है। मौन में रहकर ही हम जीवन जगत के गूढ़ और सत्य पहलुओं का साक्षात्कार कर सकते हैं। जिस उत्तम धारणा से इतने लाभ प्राप्त होते हों, तो क्यों न हम उस को अपने जीवन का अंग बना लें? साथियों बात अगर हम मौन व एकाग्रता साधना से अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव की करें तो, मौन धा रण करना एक बड़ी साधना है यह हमारे सोचने समझ ने की शक्ति को बढ़ाता है इस लिए साधना के सभी पंथ मौन की महत्ता को स्वीकार करते है मनोविज्ञानी और क रियर विशेषज्ञ भी स्मरण श क्ति बढ़ाने एकाग्रता शांति और सकारात्मक सोच के लिए जीवन में मौन धारण करने की सलाह देते हैं जब हम कुछ समय मौन रहते तो स्वयं से बात करते हैं आत्म मंथन करते हैं इससे नयी मानसिक ऊर्जा प्राप्त होती हैघ् इस छोटे-से उपाय से आप अपने जीवन में बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
(1) नकारातमकता का दूर होना, हमारी जो संस्कृति है उसमें सिर्फ उत्पादकता की बात की जाती है हमेशा पूछा जाता है कि आपने अपने परि वार, समाज, देश के लिए क्या किया या आप अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं इस सवाल के मूल में एक ही तत्व रहता है – क्या किया जा सकता है? मौन हमें इससे आजादी दिलाता है कई बार यह एकांत ही बहुत ज्यादा उत्पादक हो जाता है। (2) क्या हम दस दिन तक मौन रहने के बारे में सोच सकते हैं? बहुत से लोगों के लिए यह पानी पर चलने जैसा है लेकिन विपासना के शिविर में यह होता है इसमें भाग लेने वालों को लिखने-पढ़ने तक की मनाही होती है वह एक-दूसरे से आइ कांटैक्ट भी नहीं कर सकते एक बार वैज्ञानिकों का दल विपासना के इस तरह के शिविर में शोध के लिए गया था उन्होंने पाया कि चुप रहने से हमारी संवेदनशीलता बढ़ने लगती है दृष्टि में, सोच में, भावनाओं में समाहित हो जाती है। (3) विद्वानों का मानना है कि हम निराशावादी इसलिए हो जाते हैं क्योंकि हम भविष्य में जीते हैं जो सिर्फ एक भ्रम है मौन हमें वर्तमान में लाता है जहां हम खुशी का अनुभव करते हैं मौन की मदद से ही हम भविष्य के भ्रम से निकल ने में कामयाब हो सकते हैं। (4) डाॅक्टरों की माने तो मौन एकांत में किसी प्राकृतिक स्था न पर टहलने का एक अलग आनंद है वैज्ञानिकों का मान ना है कि मौन से हमारे दिमा ग के उस हिस्से का विकास होता है जो हमारी याददाश्त को मजबूत करता है प्रकृति के करीब रहने से हमारी स्थान संबंधी याददाश्त तेज होती है विशेषज्ञ मानते हैं कि एकांत मौन में दिमाग शांत रहता है वह यादों को सहेजने का काम करता है। (5) एक्शन को मिलती है मजबूती मनो विश्लेषक केली मैकगोनिगल का मत है कि जब हम मौन रहते हैं तभी दिमाग में सका रात्मक विचार आते हैं जिसे बाद में हम अमल में लाते हैं इससे हमारे भीतर सकारात्मक प्रवृत्ति बढ़ती है। (6)जब कभी भी हम अपने बच्चों या प्रिय जनों पर सख्ती करते हैं तो बाद में पछताते हैं यह तभी होता है जब हम बिना सोचे- समझे यह करते हैं यहीं पर मौन काम करता है वह हमें जागरूक करता है सचेत कर ता है इससे हमारी गतिवि धियां हमारे नियंत्रण में रहती हैं जब हम जागरूक रहते हैं तब हमारे ऊपर हमारा नियंत्र ण रहता है किसी बाहरी चीज से हम प्रभावित नहीं होते यह शक्ति हमें मौन से मिलती है। (7)दिगाम भी तेज होता है शरीर का सबसे जटिल और ताकतवर हिस्सा दिमाग हैघ् जिस तरह से मांसपेशियों को कसरत करने से फायदा पहुंचता है, वैसे दिमाग को मौन से फायदा होता है मौन एक तरह से दिमाग की कस रत है मान लें कि आप किसी शांत जगह पर ध्यान के लिए बैठे और तभी आपको खुजली होने लगती है विशेषज्ञ मानते हैं कि आपको खुजली नहीं करनी चाहिए इससे आपको व्यवधान में भी ध्यान लगाने की आदत पड़ जायेगी इससे एकाग्रता बढ़ती है।
साथियों बात अगर हम मौन वह एकाग्रता को सभी मानवीय गुणों में सर्वोपरि की करें तो, मौन रहना सभी गुणों में सर्वोपरि है। मौन का अर्थ है संयम के द्वारा धीरे-धीरे इन्द्रियों तथा मन की कार्य पद्धति को संयमित करना। समस्त सिद्धियों के मूल में मौन ही है। जैसे निद्रा से उठने पर शरीर, मन एवं बुद्धि में नई स्फूर्ति दिखाई देती है वैसे ही मौन रहने पर सर्वदा वही स्फूर्ति शरीर के साथ मन एवं बुद्धि में बनी रहती है। ग्रह शांति के लिए मौन धारण कर मानसिक जप करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण नेश्रीमद्भग वत गीता में वाक्संयम को तप की संज्ञा दी है। मौनव्रत से गंभीरता आत्मशक्ति तथा वाकशक्ति में वृद्धि होती है। मौन से तात्पर्य है बिना दिखा वे के सेवा करना। मौन रह ना सभी गुणों में सर्वोपरि है। मौन का अर्थ है संयम के द्वारा धीरे-धीरे इन्द्रियों तथा मन की कार्यपद्धति को संय मित करना। समस्त सिद्धियों के मूल में मौन ही है। जैसे निद्रा से उठने पर शरीर, मन एवं बुद्धि में नई स्फूर्ति दिखाई देती है वैसे ही मौन रहने पर सर्वदा वही स्फूर्ति शरीर के साथ मन एवं बुद्धि में बनी रहती है। मौन रहने से आध्यात्मिक शक्तियों का विकास तो होता ही है,साथ ही शरीर में ऊर्जा भी संग्रहित होती है। प्रतिदिन कुछ समय मौन रहकर अपनी आत्मशक्ति का विकास कर अपनी आत्मा के निकट आंतरिक संवाद, ध्यान अवश्य करना चाहिए। अगर प्रतिदिन कुछ समय के लिए मौन व्रत न धारण कर पाएं तो सप्ताह में एक दिन कुछ समय के लिए अथवा माह में एक दिन मौन व्रत अवश्य रख ना चाहिए। नीति शास्त्रों में कहा गया है कि विद्वान चुप रहते हैं, समझदार बोलते हैं और अज्ञानी अकारण बहस करते हैं, इसलिए जीवन में अकारण वाद-विवाद की स्थि ति उत्पन्न होने पर कभी-कभी मौन धारण करना भी फायदेमंद रहता है। मौन धारण करने से न केवल आ ध्यात्मिक लाभ है, बल्कि मनो वैज्ञानिक, वैज्ञानिक और ज्यो तिषीय लाभ भी हैं। मौन धारण कर हम अपनी ऊर्जा को बिखरने से रोकते हैं जिस के कारण आवश्यक कार्यों के लिए ऊर्जा संचित हो जाती है। अक्सर देखा गया है, जो लोग जरूरत के समय ही बोलते हैं अथवा अधिकांश समय मौन धारण कर लेते हैं, वे अपने विचारों और शब्दों पर नियंत्रण रखने में परिपक्व हो जाते हैं, जिसके कारण किसी भी प्रकार की नकारा त्मक ऊर्जा से मन दुःखी नहीं होता है। मौन के द्वारा क्रोध पर भी नियंत्रण पाया जाता है तथा वाणी दोष से भी ब चा जा सकता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मौन एकाग्रता सफ लता का सच्चा सूत्र है।
मौन एकाग्रता से विवेक जागृत हो ता है जिसमें निर्णा यक क्षमता सर्वोत्तम होती है। मौन एका ग्रता से क्रोध का दमन, आ त्मिक बल, निर्मल बुद्धि सम स्याओं कासमाधान व मस्तिष्क में एकाग्रता होने को रेखांकित करना जरूरी है।
मौन एकाग्रता से क्रोध का दमन,आत्मिक बल,निर्मल बुद्वि समस्याओं का समाधान व मस्तिष्क में एकाग्रता होने को रेखांकित करना जरूरी
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