(राममिलन शर्मा) रायबरेली। राष्ट्रीय फाइ लेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग के तत्वा वधान तथा एम्स एवं स्वयं सेवी संस्था पाथ के सहयोग से सोमवार को ब्लाॅक स्तरीय अधिकारियों को एएनएमटीसी कार्यालय में रुग्णता प्रबंधन और दिव्यांगता उपचार (एम एमडीपी) का प्रशिक्षण दिया गया। जिसके तहत उन्हें फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के बारे में बताया गया। जिला मलेरिया अधिकारी भीखूल्लाह ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होता है और यह ऐसी बीमारी है जो ठीक नहीं होती है। इ सका केवल प्रबंधन ही किया जाता है। उचित प्रबंधन और फाइलेरिया प्रभावित अंगों के व्यायाम करने से यह बीमारी नियंत्रित रहती है। इस बीमारी में लिम्फ नोड्स में सूजन आ जाती है। इस मौके पर फाइलेरिया कार्यक्रमके प्रभा री अनिल क्रिस्टोफर मैसी ने उपस्थित अधिकारियों से कहा कि फाइलेरिया रोगियों को एमएमडीपी किट ब्लाॅक स्तर सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, हेल्थ वेलनेस सेंटर पर कैंप लगा कर रोगियों को इसकी जानकारी देते हुए वित रित की जाए तथा फाइलेरि या रोगियों की लाइनलिस्टिंग समय-समय पर जिले पर भेजी जाए।
पाथ से डा. पूजा ने बता या कि फाइलेरिया प्रभावित पैरों को बहुत देर तक लटका कर नहीं रखना चाहिए। सोते समय पैरों के नीचे तकिया लगा लेनी चाहिए। महिलाओं को प्रभावित पैरों में पायल या बिछिया नहीं पहननी चाहिए। फाइलेरिया प्रभावित अंगों की नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए। उन्होंने प्रदर्शन कर के बताया कि किस तरह से फाइलेरिया प्रभावित अंगों की सफाई करनी चाहिए। डा. पूजा ने बताया कि कभी भी साबुन को फाइलेरिया प्रभावित अंगों पर सीधे नहीं लगाना चाहिए बल्कि फेना बनाकर हल्के हाथों से उसे अंगों पर लगाएं। उसके बाद धीरे-धीरे पानी डालें। साफ कपड़े से हल्के हाथों से पोंछें। अगर कोई घाव है तो एंटी फंगल क्रीम का उपयोग करें। इसके साथ ही व्यायाम करके दिखा या कि इस तरह से व्यायाम करके प्रभावित अंगों की सूजन को कम किया जा सकता।
इस मौके पर सहायक मलेरिया अधिकारी, एम्स से डा. आयुषी गोयल समस्त मले रिया निरीक्षक सहित ब्लाॅक स्तरीय चिकित्सा अधिकारी, बी.पी.एम, एच.ई.ओ, एच.एस, बी.सी.पी.एम, बी.एच.डबलू प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया।
एमएमडीपी को लेकर ब्लाॅक स्तरीय अधिकारियों को किया गया प्रशिक्षित
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