अमेरिका ने इस्पात अल्युमिनियम उत्पादों पर तो भारत ने सेब अखरोट बादाम पर अतिरिक्त आयात शुल्क घटाया

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भारत अमेरिका दिल मिलन – जब दिल मिलते हैं तो, सीमा आयात सहित सभी बंधनों में ढील एक स्वाभाविक प्रक्रिया है
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तरपर जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 के बाद यह जग जाहिर हो गया है, कि भारत अमेरिका दोनों वैश्विक महाशक्तियों की जोड़ी के रूप में बनकर उभर रहा है जिसको रेखांकित करना जरूरी है। इसकी नीव हमारे पीएम के अमेरिका दौरे में ही पड़ गई थी, क्योंकि जिस तरह से आधिकारिक सम्मान हमें मिला उसे पूरी दुनियां ने रेखांकित किया। जवाबी मेजबानी में जब भारत ने सभी देशों सहित अमेरिका को अतिथि देवो भवः का अपनी पारंपरिक पीढ़ीयों की प्रथाओं से नवाजा तो, पूरे लाव लश्कर सहित आए अमेरिकी राष्ट्रपति गदगद हो उठे। इसी का नतीजा है कि उन्होंने जी20 के नेतृत्व की तारीफ की और यहां से वियतनाम जाने के बाद वहां भी भारत की तारीफ में कसीदे पड़े और हर इवेंट की तारीफ भी की तो, यहां से संदेश पूरी दुनियां में गया कि भारत अमेरिका के दिल मिल गए हैं। उस पर भी सोने पर सुहागा इंडिया मिडल ईस्ट यूरोप इकोनामिक कारिडोर की नींव भी अमेरिका ने रख दी जिससे भारत के लिए अव सरों के दरवाजे खुल गए और विस्तारवादी देश को एक तीर से दो निशान लगे, पहला चीनी कारिडोर की काट मिल गई, दूसरा महाश क्तिशाली देश से दोस्ती और दिल मिलने की पक्की आहट से विस्तारवादी और आतंक वादी देश को बहुत बड़ा झटका लगा है। चूंकि भारत के महाशक्ति बनने की ओर कदम बढ़ गए हैं क्योंकि भारत और अमेरिका के दिल मिल गए हैं जिस पर जिसका रिजल्ट हमें देखने को मिल रहा है कि अमेरिका ने स्पात अल्युमिनियम के उत्पादों पर भारत के लिए अतिरिक्त सीमा शुल्क कम कर दिए हैं तो जवाब में भी दिलेरी दिखाकर भारत में भी सेब अखरोट और बादाम पर अतिरिक्त सीमा शुल्क को 20 प्रतिशत कम कर दिए हैं। जब सफलता से दोस्ती और दिल का परवाना चढ़ता है तो स्वाभा विक रूप से विपक्ष को भी बोलने का अवसर और शाब्दिक बाण चलाने का मौका मिल जाता है, इसलिए विपक्ष खासकर बड़ी पार्टी ने इस अतिरिक्त 20 प्रतिशत सीमा शुल्क कम करने की आलोचना कर कहा है कि इससे घरेलू किसानों को नुक सान होगा और बाहरी मुल्क को खुश करने और घरेलू घाटे को अंजाम दिया जा रहा है। जबकि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सहित सीमा शुल्क अधिकारियों ने कहा इससे कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। चूंकि सीमा शुल्क घटाने का दौर शुरू हो गया है, तो दोस्ती से दिलों का परवाना भी खूब प्रगाड़या होकर रंग लाएगा, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सह योग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत अमेरिका का दिल मिलन- जब दिल मिलते हैं तो सीमा आयात सहित सभी बंधनों में ढील होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।
साथियों बात अगर हम सरकार द्वारा अमेरिका से आयातित सेब अखरोट बादाम पर सीमा शुल्क कम करने की करें तो, अमेरिका और भारत के बीच छह लंबित डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) विवादों को परस्पर सहमत समाधानों के माध्यम से हल करने के लिए जून 2023 में लिए गए निर्णय को ध्घ्यान में रखते हुए भारतने अधिसूचना संख्या 53/2023 (कस्टम) के जरिए सेब, अखरोट और बादाम सहित अमेरिकी मूल के आठ उत्पादों पर देय अतिरिक्त शुल्क को वापस ले लिया है। अमेरिका ने 2018 में इस्पात और एल्युमिनियम उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाया था भारत ने 2019 में 28 अमेरिकी उत्पादों के आयात पर अतिरिक्त सीमा- शुल्क लगा दिया था। दोनों देशों के बीच अतिरिक्त शुल्क हटाने को लेकर सहमति बन गई है। वर्ष 2019 में अमेरिका के उत्पादों पर एमएफएन (सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र) शुल्क के अलावा सेब एवं अखरोट में से प्रत्येक पर 20 प्रतिशत और बादाम पर 20 रुपये प्रति किलोग्राम का अतिरिक्त शुल्क लगाया गया था, जो कि कुछ विशेष स्टील और अल्युमीनियम उत्पादों पर टैरिफ या शुल्क बढ़ाने के अमेरिकी सरकार के संरक्षण वादी उपाय के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के रूप में लगाया गया था। भारत द्वारा अमेरिकी मूल के उत्पादों पर लगाए गए ये अतिरिक्त शुल्क अब वापस ले लिए गए हैं क्योंकि अमेरिका अपवर्जन प्रक्रिया के तहत स्टील और अल्युमीनियम उत्पादों को अपने यहां बाजार पहुंच प्रदान करने पर सहमत हो गया है। सेब, अखरोट और बादाम पर देय एमएफएन (सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र) शुल्क में कोई कटौती नहीं की गई है, जो अभी भी अमेरिकी मूल के उत्पादों सहित सभी आया तित उत्पादों पर क्रमशः 50 प्रतिशत, 100 प्रतिशत और 100 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से लागू होता है। अमेरिकी सेब और अखरोट के आयात पर अतिरिक्त प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाए जाने से अन्य देशों को लाभ होने के कारण अमेरिकी सेब की बाजार हिस्सेदारी घट गई। यह अमेरिका के अलावा अन्य देशों से सेब के आयात में काफी वृद्धि होने से स्पष्ट हो जाता है, जो कि वित्त वर्ष 2018-19 के 160 मिलियन अमेरिकी डालर से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 290 मिलियन अमेरिकी डालर हो गया है। तुर्किये इटली, चिली, ईरान और न्यूजीलैंड नए परिदृश्य में भारत को प्रमुख सेब निर्या तक के रूप में उभर कर सामने आए, और इस तरह से एक समय अमेरिका के कब्जे वाले बाजार में अपनी हिस्सेदारी प्रभावकारी रूप से हासिल कर ली। इसी प्रकार अखरोट के मामले में भी भारत में आयात वित्त वर्ष 2018-19 के 35.11 मिलियन अमेरिकी डॉलर से काफी बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 53.95 मिलियन अमेरिकी डालर हो गया, और चिली एवं यूएई भारत को सर्वाधिक निर्यात करने वाले देश बन गए। पिछले तीन वर्षों में लगभग 233 हजार एमटी का बादाम आयात हुआ है, जबकि देश में उत्पादन केवल 11 हजार एमटी का हुआ है, और भारत आयात पर अत्यधिक निर्भर है। अतः अतिरिक्त शुल्क हटा देने से अब उन देशों के बीच उचित प्रतिस्प र्धा सुनिश्चित होगी जो भारत को इन उत्पादों का निर्यात कर रहे हैं। इस उपाय से देश के सेब, अखरोट और बादाम उत्पादकों पर कोई भीनकारात्मक असर नहीं होगा, बल्कि इसके परिणाम स्वरूप सेब, अखरोट और बादाम के प्रीमियम बाजार खंड में कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी जिससे हमारे भारतीय उप भोक्ताओं को प्रतिस्पर्धी कीम तों पर संबंधित बेहतर उत्घ्पाद मिलेंगे।
अतः अमेरिकी सेब, अखरोट और बादाम भी अन्य सभी देशों की तरह ही समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करेंगे। इस के अलावा, डीजीएफटी ने अपनी अधिसूचना संख्या 05/2023 दिनांक 8 मई 2023 के तहत भूटान को छोड़ सभी देशों से होने वाले आयात पर 50 रुपये प्रति किलोग्राम का एमआईपी (न्यून तम आयात मूल्य) लागू करके आईटीसी (एचएस) 0808 1000 के तहत सेब आयात नीति में संशोधन किया। अतः यह एमआईपी अमेरिका और अन्य देशों (भूटान को छोड़) से आने वाले सेब पर भी लागू होगा। यह उपाय कम गुणवत्ता वाले सेबों की डंपिंग के साथ-साथ भारतीय बाजार में होने वाले किसी भी तरह के अत्यधिक प्रतिस् पर्धी मूल्य निर्धारण से संरक्षण करेगा।
साथियों बात अगर हम अतिरिक्त 20 प्रतिशत सीमा शुरू को वापस लेने पर विपक्ष की आलोचना की करें तो, बड़ी पार्टी की युवा नेत्री ने आयात शुल्क हटाने के बाद देश के सेब किसानों के बजा य अमेरिका में सेब उत्पादकों की मदद करने का आरोप लगाया।
बाढ़ से हुई तबाही की समीक्षा करने के लिए हिमाचल प्रदेश में मौजूद नेत्री ने समाचार मीडिया में बताया कि अमेरिका से आने वाले सेब पर टैरिफ कटौती के केंद्र सरकार के कदम से राज्य के किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। आगे कहा शिमला में सेब की खरीद की कीमतें बड़े उद्योगपतियों द्वारा कम कर दी गई हैं। जब सेब उत्पादक यहां पीड़ित हैं, तो किसकी मदद की जानी चाहिए? वे, या अमेरि का में किसान? मीडिया के हवाले से रिपोर्ट आई कि अमेरिकी सेब और अखरोट पर 20 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ शुल्क कम करने के भारत सरकार के कदम ने कश्मीर के फल उत्पादकों को निराश कर दिया है और उत्पादन में गिरावट, खराब मूल्य निर्धारण और अन्यकारकों के कारण वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उनका सामना करना, उत्पादकों के बीच डर यह है कि अब उच्च गुणवत्ता वाले अमेरिकी फल कम दरों पर भारत में आयात किए जाएंगे, परिणाम स्वरूप स्था नीय उपज बाजार हिस्सेदारी खो देगी। आगे कहा यह आश्चर्यजनक खबर है कि भारत सरकार ने संयुक्त राज्य अमेरिका से आयातित सेब, अखरोट और बादाम पर अतिरिक्त आयात शुल्क हटाने का फैसला किया है। इस तरह के असामयिक निर्णय से न केवल कश्मीर के लगभग सात लाख सेब उत्पादक परि वारों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। समय के साथ व्यापार से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लाखों अन्य लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका से आयातित सस्ते दाम वाले सेब या सूखे फल स्पष्ट रूप से प्रतिस्पर्धी बाजार में कश्मीरी उपज के मुकाबले अधिक मजबूत होंगे। कश्मीर वैली फ्रूट ग्रोअर्स डीलर्स यूनियन के अध्यक्ष ने अमेरिकी सेब पर आयात कर कम करने के सरकार के फैसले का विरोद्द किया क्योंकि इसका कश्मीरी सेब पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। भारत में प्राथमिक सेब उत्पादक क्षेत्र कश्मीर है।
हालाँकि वास्तव में, हम सरकार से स्थानीय उत्पादकों को समर्थन देने के लिए आया त शुल्क बढ़ाने का आग्रह कर रहे थे, लेकिन इसके विपरीत हुआ। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत अमेरिका के दिल मिले अतिरि क्त सीमा शुल्क घटाने पर सहमति बनी अमेरिका ने इस् पात अल्युमिनि यम उत्पादोंपर तो भारतने सेब अखरोट बादाम पर अति रिक्त आयात शुल्क घटाया। भारत अमेरिका दिल मिलन – जब दिल मिलते हैं तो, सीमा आयात सहित सभी बंद्दनों में ढील एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।

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