चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले पहले हम हिंदुस्तानी,चंदा मामा अब दूर के नहीं टूर के हैं – चांद पर स्टेशन बनाने की तैयारी में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं हम हिंदुस्तानी
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तरपर सारी दुनियां की नजरें 23 अगस्त 2023 को सांध्य 6.04 बजे चंद्रयान-3 के अंतरिक्ष के दक्षिणी ध्रुव पर नजरें लगी हुई थी चांद पर सफल लैंडिंग के साथ ही भारत ने इतिहास रच दिया है, चंद्रमा की सतह पर साफ्ट लैंड हुआ। देशभर में चंद्रयान-3 की कामयाबी के जश्न का माहौल है। पूरे देश और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की टीम को बीते चार साल से इस गौरवान्वित पल का ही इंतजार था। चांद के दक्षिणी ध्रुप पर लैंड करने वाला भारत पहला देश बन गया है। इसके पीछे इसरो टीम की कड़ी मेहनत और प्रतिज्ञा है, जिन्होंने अपनी जिंदगी के चार साल चांद पर तिरंगा फहराने में लगा दिए। उनकी जिंदगी के हर क्षण में मून मिशन रहा। जिस तरह भारत बहुत आत्म विश्वा स के साथ 2019 में चंद्रयान -2 के असफल होने के कार णों पर ध्यान देकर अध्ययन कर उससे सीख लेकर चंद्र यान-3 पर काम करने और उसे पूर्ण सफल होने का दावा कर रहा था, यह वह उन्होंने करके दिखा दिया है।
चंद्रयान-3 के दक्षिणी द्द्रुव पर सफलता से लैंडिंग करने वाले विश्व में पहले हम हिंदुस्तानी! अब और भी आगे चांद पर स्टेशन बनाने की तैयारी सूरज पर उतरने में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं हम हिंदुस्तानी। स्पेस क्षेत्र में भारत के नए-नए आयाम रचने का एक सफल भारत अमेरिका साझा रोडमैप भी आर्टेमिस समझौता से बना है इसमें 25 देश पहले से ही हैं भारत 26 वन देश होगा जिसमें जिसेमाननीय पीएम ने के अमेरिका दौरे पर किया गया है। अब हम फक्र से कहते हैं नासा प्लस इसरो चांद पर मानवीय बस्ती पक्की हालांकि आर्टेमिस में रूस और चीन शामिल नहीं है परंतु इसके बाद भी भारत का फायदा ही होने वाला है क्योंकि भारत का आज स्पेस क्षेत्र में रुतबा बढ़ गया है क्योंकि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है क्योंकि इस चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हुई है। भारत अब अंतरिक्ष में पहुंचने वाला चैथा व दक्षिणी ध्रुव में पहुंचने वाला पहला देश बन गया है और नासा इसरो की साझेदारी भी आर्टेमिस के माध्यम से हुई है इसलिए आज हम पीआईबी में उपलब्द्द जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, चांद पर स्टेशन बनाने की तैयारी में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं हम हिंदुस्तानी। नासा प्लस इसरो इक्वल टू चांद पर मानवीय बस्ती पक्की।
साथियों बात अगर हम चंद्रयान-3 के चांद पर सफल लैंडिंग की करें तो,भारत ने इतिहास रच दिया है। चंद्र यान-3 ने चांद के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है। चंद्रयान-3 के साथ ही भारत चांद के साउथ पोल पर यान उतारने वाला पहला देश बन गया है, जबकि चांद के किसी भी हिस्से में साफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत दुनिया का चैथा देश है। भारत से पहले अमेरिका, सोवियत संघ (अभी रूस) और चीन ही चांद पर साफ्ट लैंडिंग कर पाए हैं।
चंद्रयान-3 की सफल साफ्ट लैंडिंग को पीएम ने साउथ अफ्रीका से वर्चुअली देखा। सफल लैंडिंग के बाद पीएम ने इसरो और देश को बधाई दी।
साथियों बात अगर हम माननीय पीएम के ब्रिक्स समिट से चंद्रयान-3 के लैंडिंग में वर्चुअली शामिल होने की करें तो., उन्होंने कहा जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं, तो जीवन धन्य हो जाता है। ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं, राष्ट्र जीवन की चिरिं जीव चेतना बन जाती हैं। ये पल अविस्मरणीय है। ये क्षण अभूतपूर्व है। ये क्षण, विकसित भारत के शंखनाद का है। ये क्षण, नए भारत के जयघोष का है। ये क्षण, मुश्किलों के महासागर को पार करने का है। ये क्षण, जीत के चंद्रपथ पर चलने का है। ये क्षण, 140 करोड़ धड़कनों के साम र्थ्य का है। ये क्षण, भारत में नई ऊर्जा, नया विश्वास, नईं चेतना का है। ये क्षण, भारत के उदयी मान भाग्य के आह्वान का है। अमृतकाल की प्रथम प्रभा में सफलता की ये अमृतवर्षा हुई है। हमने धरती पर संकल्प लिया, और चाँद पर उसे साकार किया। और हमारे वैज्ञानिक साथियों ने भी कहा कि इंडिया इज नाउ आन द मून हम अन्तरिक्ष में नए भारत की नई उड़ान के साक्षी बने हैं। हमारे वैज्ञानिकों के परिश्रम और प्रतिभा से भारत, चंद्रमा के उस दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा है, जहां तक दुनियां का कोई भी देश नहीं पहुंच सका है। अब आज के बाद से चाँद से जुड़े मिथक बदल जाएंगे, कथानक भी बदल जाएंगे, और नई पीढ़ी के लिए कहा वतें भी बदल जाएंगी। भारत में तो हम सभी लोग धरती को माँ कहते हैं और चाँद को मामा बुलाते हैं। कभी कहा जाता था, चंदमामा बहुत दूर के हैं। अब एक दिन वो भी आएगा जब बच्चे कहा करेंगे- चंदा मामा बस एक टूर के हैं। मैं इस समय ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका में हूँ। लेकिन, हर देशवासी की तरह मेरा मन चंद्रयान महा अभियान पर भी लगा हुआ था। नया इतिहास बनते ही हर भारतीय जश्न में डूब गया है, हर घर में उत्सव शुरू हो गया है। हृदय से मैं भी अपने देशवासियों के साथ, अपने परिवारजनों के साथ उल्लास से जुड़ा हुआ हूँ। मैं टीम चंद्रयान को, इसरो को और देश के सभी वैज्ञानिकों को जी जान से बहुत-बहुत बद्दाई देता हूँ, जिन्होंने इस पल के लिए वर्षों तक इतना परिश्रम किया है। उत्साह, उमंग, आनंद और भावुकता से भरे इस अद्भुत पल के लिए मैं 140 करोड़ देशवासियों को भी कोटि-कोटि बधाइयाँ देता हूँ! चंद्रयान महाअभियान की ये उपलब्धि, भारत की उड़ान को चन्द्रमा की कक्षाओं से आगे ले जाएगी। हम हमारे सौरमण्डल की सीमाओं का सामर्थ्य परखेंगे, और मानव के लिए ब्रह्मांड की अनंत संभावनाओं को साकार करने के लिए भी जरुर काम करेंगे। हमने भविष्य के लिए कई बड़े और महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं। जल्द ही, सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिए इसरो आदित्य एल-1 मिशन लांच करने जा रहा है। इसके बाद शुक्र भी इसरो के लक्ष्यों में से एक है। गगनयान के जरिए देश अपने पहले मानव स्पेस फ्लाइट मिशन के लिए भी पूरी तैयारी के साथ जुटा है। भारत बार-बार ये साबित कर रहा कि स्काई इस नष्ट द लिमिट। साइंस और टेक्नो लाजी, देश के उज्ज्वल भविष्य का आधार है। इसलिए आज के इस दिन को देश हमेशा हमेशा के लिए याद रखेगा। यह दिन हम सभी को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। ये दिन हमें अपने संकल्पों की सिद्धि का रास्ता दिखाएगा। ये दिन, इस बात का प्रतीक है कि हार से सबक लेकर जीत कैसे हासिल की जाती है। एक बार फिर देश के सभी वैज्ञानिकों को बहुत-बहुत बद्दाई और भविष्य के मिशन के लिए ढेरों शुभकामनाएं।
साथियों बात अगर हम इसरो और नासा के ताजा स्पेस मिशन की करें तो इसरो नसा का साझा स्पेश मिशन करने की भी योजना है। अमेरिका और भारत के बीच आर्टेमिस समझौते हुए हैं. इस समझौते के तहत दोनों भारत की स्पेस एजेंसी इसरो और अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा 2024 में ज्वाइंट एस्ट्रो नाट मिशन करेंगे। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंघान संस्थान, इसरो के बीच आर्टिमिस अकार्ड नाम का समझौता हुआ है, इस समझौते से भारत उन देशों में शामिल हो गया है, जो अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका के निकट सहयोगी हैं और उनसे तकनीक का भी आदान- प्रदान होगा। इस समझौते से इंडिया को बहुत फायदा पहुंचेगा। आर्टेमिस समझौता नियमों का एक समूह है, जिसका पालन देश स्पेस की खोज और उसका उपयोग करते समय करते हैं. ये नियम एक पुरानी संधि पर आधारित हैं जिसे बाह्य अंतरिक्ष संधि 1967 कहा जाता है, यह एक रोडमैप की तरह है जो देशों को स्पेस प्रोजेक्ट में एक साथ काम करने में मदद करता है।
एक अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान, इसरो के बीच आर्टिमिस नाम का समझौता है, इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ावा देना होगा, इससे भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा जो अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका के सहयोगी हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत को आर्टिमिस समझौते से बहुत फायदा हो सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इस समझौते से केवल फायदे ही फायदे हैं। इसके गहराई से विश्लेषण करना होगा और देखना होगा कि नुकसान पर फायदे भारी ही पडें। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के आर्ट मिस कार्यक्रम का हिस्सा है जिसमें नासा का प्रमुख लक्ष्य चंद्रमा पर इंसान को पहुंचाना है, इसमें नासा चंद्रमा पर इंसान की स्थायी उपस्थिति के लिए काम कर रहा है, इस समझौते में भविष्य के मंगल ग्रह के लिए अभियानों को भी शामिल किया है। आर्टिमिस का हिस्सा बनने के बाद भारत और अमेरिका चंद्रमा पर सुरक्षित और संधा रणीय अन्वेषण को सुनिश्चित करने के लिए आंकडे, तकनीक और संसाधय साझा कर एक दूसरे के सा काम करेंगे, चंद्र अभियानों के मदद होगी। दोनों देशों के बीच यह समझौता भारत के लिए बहुत बड़ा फायदे का सौदा हो सकता है। यह ऐसे समय पर हो रहा है जब भारत का इसरो अपने चंद्रयान 3 अभि यान का सफलता पूर्वक प्रक्षेपण किया है।
दोनों देश पहले ही चंद्रमा के अभियानों को लेकर एक दूसरे से सहयोग कर रहे हैं। लेकिन यह सहयोग केवल जानकारी साझा करने तक ही सीमित था। लेकिन अब दोनों देश चंद्रमा के लिए संसाधन और तकनीक आदि भी साझा करेंगे।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विजयी विश्व तिरंगा प्यारा – अब चांद है हमारा। चंद्रयान-3 – असफलता में सफलता ढूंढने वाले हम हिंदुस्तानी। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले पहले हम हिंदुस्तानी। चंदा मामा अब दूर के नहीं टूर के हैं – चांद पर स्टेशन बनाने की तैयारी में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं हम हिंदुस्तानी।
चंद्रयान- 3 – असफलता में सफलता ढूंढने वाले हम हिंदुस्तानी
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