मेरा भारत महान – एक तीर से दो निशान – मेक इन इंडिया प्रथम स्थान, चीन को भारी नुकसान!

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी – वैश्विक स्तरपर भारत के रक्षा, रेल, शिक्षा, दूरसंचार प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रानिक्स सहित करीब करीब सभी क्षेत्रों में बढ़ते वर्चस्व और सफलताओं के नए-नए आयामों के अध्याय जोड़ते हुए तेजी से आगे बढ़ रहा है जिससे अनेक विकसित देशों के विनियोग कर्ता व कंपनियों द्वारा भार तीय भूमि पर विनियोग करने का मन बनाना स्वभाविक है, तो वहीं अनेक देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ती जा रही है जिसका उदाहरण हम ब्रिटे न के रूप में ले सकते हैं, प्रस् तावित मुक्त व्यापार समझौते के लिए दोनों देशों के बीच बात चीत का 11 दौर पूरा हो चुका है एफटीए पर बातचीत 12वां दौर 7 अगस्त से दिल्ली में होना है। 11वें दौर की वार्ता जुलाई में लंदन में हुई थी। जिससे एफटीए की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ी है क्योंकि जिस तरह से भारत अपने लक्ष्य आत्मनिर्भर भारत की ओर तेजी से बढ़ रहा है उसके लिए कुछ कठोर कुछ साफ्ट निर्णय भी नीति निर्धा रकों को लेने में गुरेज नहीं होना चाहिए, क्योंकि भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देना है जो आत्मनिर्भर भारत के निर्णय में मील का पत्थर सा बित होगा। परंतु कई क्षेत्रों में आज भी आयात अधिक है मसलन, एक रिपोर्ट के मुता बिक 2017 के बाद कुल लेप टाप आयात का 75 प्रतिशत सिर्फ चीन से लाया जा रहा था।
वहीं बात साल 2022 की करे तो सिर्फ 9 महीनों में ही भारत ने 5 बिलियन डालर का आयात कर चुका था इसमें 73 प्रतिशत चीन का हिस्सा था। रिपोर्ट के मुता बिक 2023 के अप्रैल- जून तिमाही में ही भारत ने लेपटाप, टेबलेट और पीसी पर करीब 20 बिलियन डालर खर्च कर चुका है। देखा जाए तो पिछ ले साल के मुकाबले इस तिमाही में 6.25 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इसलिए भारत सरकार के इस कदम से चीन को भारी आर्थिक नुकसान होगा। वहीं देश के मेन्यूफेक्चरिंग कंपनियों को इसका जबरदस्त फायदा होगा और देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार भी बचा रहेगा। हलांकि सरकार ने ये साफ कर दिया है कि ये पूरी तरह से बैन नहीं है। कुछ स्थिति मेंआयात करने की अनुमति होगी, बता दें गुरुवार दिनांक 3 अगस्त 2023 को विदेश व्यापार महानिदेशक कार्यालय द्वारा जारी अधिसूचना मैं लैप टाप पीसी और आईटी हार्ड वेयर उत्पादों में तत्काल प्रभाव से आयात प्रतिबंधित लगाया गया है जो 31 अक्टूबर 2023 तक माल क्लियर कर 1 नवंबर 2023 से इसके आयात पर लाइसेंस की आवश्यकता बताई गई है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जान कारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे मेरा भारत महान एक तीर से दो निशाने मेक इन इंडिया प्रथम स्थान चीन को भारी आर्थिक नुकसान।
साथियों बात अगर हम विदेश व्यापार महानिदेशक द्वारा जारी अधिसूचना की करें तो, भारत सरकार ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बढ़वा देने और सुरक्षा कारणों से भारत में टैबलेट, लैपटाप, और कम्प्यूटर के आयात पर बैन लगा दिया है। जानकारी के मुताबिक अगर कोई कंपनी उन समानों को आयात करना चाहती है तो इसके लिए भारत सरकार से स्पेशल पर मिशन लेना होगा और इससे संबंधित सारी जानकारी सरकार को देनी होगी। सर कार के इस कदम से भारत में काम कर रहे बड़ी कंपनियां जैसे एप्पल, एचपी, लेनेवो, सेमसंग, आसुस, एसर सहित अन्य कंपनियों पर गहरा असर होगा. वहीं इससे देश में इन इलेक्ट्रोनिक समाना को बना ना होगा। इससे लोगों को कई तरह के फायदे होंगे और पहले के मुकाबले ये सस्ता मिलेगा।
सरकार के इस फैसले घरेलू कंपनियों को फायदा होगा, क्योंकि लैपटाप, टैबलेट और पीसी का इंपोर्ट मार्केट फिर कुछ सालों में तेजी से बढ़ रहा था, इसमें चीन से आयात होने वाले सा मान का प्रतिशत सबसे ज्या दा था। सरकार के इस कदम से लोगों को सस्ते में अब ये इलेक्ट्रोनिक सामान मिलेंगे। दरअसल विदेश से लाने पर इन उपकरणों पर इंपोर्ट ड्यूटी लगा जाती थी जिसकी वजह से ये महंगा हो जाता था, लेकिन जब ये भारत में बनेंगे तो ये पहले के अपेक्षा सस्ता होगा और इसका फायदा लोगों को होगा।
साथियों बात अगर हम इस अधिसूचना के पांच प्रभावों की करें तो (1)अमेरिका और देशों से यूजर्स अपने रिश्तेदारों से मैकबुक या आईफोन को सस्ते दामों में मंगाते थे। ये बहुत जल्द अब बंद होने वाला है। आयात प्रतिबंधों के कारण अमेरिका में आपके रिश्तेदारों को सस्ते मैकबुक खरीदने में आपकी मदद करने में समस्या ओं का सामना करना पड़ सकता है। (2) यह संभावना है कि बाजार में नए लैपटॉप की कीमतें बढ़ सकती हैं। इसलिए, यदि आप नए लैप टाप पर एक लाख से अधिक खर्च करने की योजना बना रहे हैं, तो आपको उसी प्रोड क्ट के लिए बजट बढ़ाना पड़ सकता है। हालांकि, भारत में बिकने वाले अधि कांश लैपटाप और पर्सनल कंप्यूटर चीन में निर्मित या असेंबल किए जाते हैं। नए नियम से सरकार की योजना ये सब भारत में शिफ्ट करने की है। अगर ऐसा होता है तो इन गैजेट्स की कीमतें कम हो सकती हैं। (3) आफ लाइन स्टोर्स को लैपटॉप पर आकर्षक छूट देना बंद करने के लिए भी मजबूर कर सक ता है। बाहर से इंपोर्ट होने वाले लैपटाप और स्मार्टफोन पर आनलाइन और आफलाइन स्टोर ऑफर्स और सेल देते हैं। अगर यहीं प्रोडक्ट इंडिया में बनेंगे तो इनकी कीमत भले ही कम हो लेकिन स्टोर्स पर आपको डिस्काउंट और आफर नहीं मिलेगा (4) नए लैपटाप लान्च और उपलब्द्दता में देरी हो सकती है क्योंकि प्रत्येक उत्पाद को पंजीकृत करना एक लंबी प्रक्रिया होगी। इस बदलाव से प्रीमि यम लैपटॉप के स्पेयर पार्ट्स की आवाजाही में भी बाधा आ सकती है जिन्हें कंपनी की मदद के बिना मरम्मत करना मुश्किल है। कई कंप नियां इस प्रोसेस की वजह से अपने लैपटाप और फोन को देरी से लान्च कर सकती हैं। आम यूजर्स को नए प्रोड क्ट के लिए अब थोड़ा और इंताजर करना पड़ता सकता है। (5) ब्रांडों के पास देश में बेचने के लिए कम माडल हो सकते हैं, जिससे खरीदारों के लिए विकल्प कम हो जाएंगे। इसका असर कम कीमत वाले लैपटॉप सेगमेंट पर पड़ सकता है, क्योंकि ब्रांड अब आयात में कठिनाई वाले महंगे लैपटाप/टैबलेट लान्च करने पर विचार करेंगे। कंपनियां बजट सेगमेंट को थोड़ा कम कर सकती हैं।
साथियों बात अगर हम आईटी हार्डवेयर उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध की करें तो, गुरुवार को सरकार की ओर से एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई। विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजी एफटी) की अधिसूचना में कहा गया है कि इन सभी आयातों को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया है। ऐसे किसी भी आयात के लिए लाइसेंस की आवश्य कता होगी अपवाद के रूप में प्रति खेप केवल एक ऐसे उत्पाद के आयात के लिए छूट दी जाएगी। सरकार के इस कदम से एपल, डेल और सैमसंग जैसी कंपनियों को झटका लगेगा और उन्हें भार त में अपना विनिर्माण बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। भारत में मौजूदा नियम कंप नियों को स्वतंत्र रूप से लैप टाप आयात करने की अनुमति देते हैं, लेकिन नया नियम इन उत्पादों के लिए एक विशेष लाइसेंस को अनिवार्य करेगा जैसा की 2020 में देश में टीवी के शिपमेंट के निर्यात पर लगाया गया था।
साथियों बात अगर हम इस कदम से आत्मनिर्भर भारत की ओर सशक्त कदम बढ़ने की करें तो, एक विशे षज्ञ के अनुसार सरकार का यह कदम झटका नहीं बल्कि देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने की कवायद है। उन्होंने कहा, इस कदम का मकसद भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देना है। उनके अनुसार इस कदम से डिक्सन टेक्नोलाॅ जीज जैसे कान्ट्रैक्ट मैन्युफैक् चरर्स को फायदा होने की उम्मीद है। कंपनी के शेयरों में सरकार के इस फैसले के बाद सात फीसदी से अधिक की तेजी दिखी। एक जान कार के अनुसार स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के अलावा इस कदम का उद्देश्य चीन से आपूर्ति को रोकना है, क्योंकि उसे ऐसे उत्पादों के जरिए हो रही डेटा चोरी से सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ी हैं। प्रतिबंध से भारत को केवल विश्वसनीय भागीदारों से ऐसे हार्डवेयर आयात करने में मदद मिलेगी। भारत की ओर से प्रतिबंधित उत्पादों में से आधे चीन से आते हैं, जिसके साथ दिल्ली के संबंद्दों में 2020 में सीमा संघर्ष के बाद से खटास आ गई है। उसके बाद भारत ने ड्रैगन से निवेश और व्यापार को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने प्रोत्साहन योजना के लिए आवेदन करने की समय सीमा बढ़ाईभारत सरकार ने आईटी हार्डवेयर विनिर्माण में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने के लिए कंपनियों के लिए दो अरब डालर के प्रोत्साहन योजना के लिए आवेदन करने की समय सीमा बढ़ा दी है जिसमें लैपटाप, टैबलेट, पर्सनल कंप्यू टर और सर्वर जैसे उत्पाद शामिल हैं। यह योजना वैश्वि क इलेक्ट्राॅनिक्स आपूर्ति श्रृंखला में एक पावरहाउस बनने की भारत की महत्वा कांक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है। भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में 2026 तक 300 अरब डालर के वार्षिक उत्पा दन का लक्ष्य रखा है। सर कार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मोबाइल फोन जैसे उत्पादों पर पहले भी उच्च कर लगाने जैसे कदम उठाए हैं। साथियों बात अगर हम इस अधिसूचना के प्रभावों की करें तो, भारतीय बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि लाइसेंसिंग व्यव स्था का मतलब होगा कि हर नए लैपटाप और टैबलेट के माडल के लिए अब ग्राहकों को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। बता दें कि भारत में अगले कुछ महीनों में फेस् िटव सीजन शुरू हो जाएगा जब इन उत्पादों की बिक्री आमतौर पर बढ़ जाती है। ऐसे में आयात पर रोक का असर कीमतों को भी प्रभावित कर सकता है। कुछ प्रोडक्ट्स महंगे भी हो सकत हैं। डीजी एफटी की ओर से जारी अद्दि सूचना में हालांकि इस कदम का कोई कारण नहीं बताया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि पीएम की सरकार अपनी मेक इन इंडिया योजना के तहत स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना चाहती है इसलिए आयात पर सख्ती बरती जा रही है। अगर स्थानीय स्तर पर सरकार की मंशा के अनु रूप इलेक्ट्राॅनिक उत्पादों का विनिर्माण शुरू हो जाता है तो देर से ही सही पर कीमतों में नरमी से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत में लैपटॉप टेबलेट और पीसी के आयात पर बैन – 1 नवंबर 2023 से लाइसेंस जरूरी। मेरा भारत महान- एक तीर से दो निशान -मेक इन इंडिया प्रथम स्था न, चीन को भारी नुकसान! भारत में जब लैपटाप टेबलेट पीसी बनेंगे तो अपेक्षाकृत सस्ते होंगे और विदेशी मुद्रा के भंडा र में जबरदस्त इजाफा होगा।

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