एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
वैश्विक स्तरपर मानवीय बौद्धिक क्षमता का विकास खुद मानव बहुत तेजी से करता जा रहा है जिसके बलपर मानव चांद तक पहुंच गया है। उससे बढ़कर अब वहां मानवीय रहवासी कालोनी बनाने की ओर अग्रसर है। वाह रे! मानवीय बुद्धि का कमाल! परंतु यही मानवीय जीव इस धरापर कई ऐसे काम करता है जिससे समाज उन्हें मूर्खों की श्रेणी में समाहित करता है, परंतु खुद माननवीय जीव अपने को मूर्ख समझने, मानने से इनकार करता है, और यह उपाधि देने वालों से वाद विवाद और झगड़े पर उतारू हो जाता है। याने मेरा मानना है इस खूबसूरत सृष्टि पर कोई अपने आपको मूर्ख मानने के लिए तैयार नहीं। हालांकि भले ही हर काम मूर्खता वाले करते रहते हैं, परंतु उसे अच्छाई की संज्ञा देकर अपने को बुद्धिमान मानते रहते हैं। यहां हम मानवीय जीव को सबसे पावरफुल कमजोर है, परंतु जब हम अपनी यह कमजोरियां महसूस कर लेंगे, तभी हम असल बुद्धिमान माने जाएंगे, क्योंकि आज बुद्धिमान व्यक्ति वह है जो असल मानवीय गुणों के बगीचे में गुणों की सुगंध के बीच रहता है। अवगुण रूपी दुर्गंध को फटकने नहीं देता। मेरा मानना है उसमें बुद्धिमता कूट -कूट कर भरी होती है। इसके विपरीत मैं मैं, बाप बड़ाई, खुद को योग्यता कद से बढ़ाकर हस्ती समझने वाले मनमुखों में दुर्गुणों की खान भरी रहती है फिर भी अपने को बुद्धिमान मानते हैं। इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे कि बुद्धिमान बनाम मूर्ख, फर्क साफ है, बुद्धिमान और मूर्ख को उनके मानवीय व्यक्तित्व, वाणी, गुणों और व्यवहार से ढूंढना आसान है।
साथियों बात अगर हम मूर्खों की करें तो संस्कृति में भी आया है, मूर्खम एव सः बुद्धिहीनम अस्तु। बुद्धिमत्ता का अभाव होना और समझने की क्षमता व योग्यता का अभाव होना की मूर्ख होने के श्रेणी में आता है। बस, हमें अंदाज से पता करना होता है कि कौन मूर्ख है और कौन विद्वान है। मूर्ख इतना भी मूर्ख नहीं होता कि सीधे-सीधे पकड़ में आ जाए। खुद को बुद्धिमान साबित करना ही सबसे बड़ी मूर्खता है। क्योंकि हम सभी जानते हैं हमारा बुधित्व ओर हमारा ज्ञान किसी से छिप नही सकता है। इसे उजागर करने के लिए किसी प्रकार से सबूतों की जरूरत नही पड़ती है। अगर हम एक बुद्धिमान व्यक्ति है, तो उसे साबित करने की कोई आवश्यकता ही नही पड़ती है। क्योकि बुद्धिमान व्यक्ति की पहचान हमेशा उनके बुद्धि रूपी कार्य से हो जाती है। ऐसे व्यक्ति जो अपने बुद्धि का बखान करते हो असल में वो एक मूर्ख प्राणी होतें है। क्योंकि बुद्धि, कौशल, ज्ञान कभी इनका बखान नहीं करना चाहिए क्योंकि ये सत्य के भांति होते है, जो लाख झूठ से छिपाए नहीं छिपते।
साथियों बात अगर हम बुद्धिमान की करें तो, वे ज्यादातर समय खुद से बात करते हैं। यह संभवतः सबसे अच्छा बौद्धिक रूप से संपन्न अनुभव है। वे ऐसे अवसर देखते हैं जहाँ दूसरों को दोष दिखाई देते हैं, हम जितने अधिक बुद्धिमान होंगे हममें अपनी क्षमताओं को कम करने की प्रवृत्ति होगी। वे अकेलेपन का शिकार होते हैं और वास्तव में स्वयं की महान भावना के कारण अकेले रहने का आनंद लेते हैं। एक बुद्धिमान व्यक्ति जितनी बार अपनी जिंदगी में ‘हाँ’ नहीं बोलता उससे ज्यादा बार वो ‘ना’ बोलता है। वे हृदयहीन नहीं हैं, उन्होंने सिर्फ अपने हृदय का कम उपयोग करना सीखा है। वे सिर्फ दूसरो को समझाते ही नही बल्कि उनसे सीखना भी पसंद करते है। एक बुद्धिमान व्यक्ति के सारे फैसले दूरदर्शी सोच पर होते है न की वर्तमान की उसकी स्थितियों पर। वे सबसे पहले अपने दिमाग से सोचते है फिर अपने दिल से। वे लोगों से ज्यादा ‘विचारों’ पर चर्चा करते हैं। बुद्धिमान लोगों को गपशप करना पसंद नहीं है, वे विचार और नवाचारों के बारे में बात करना पसंद करते हैं। इसलिए, वे हर किसी के साथ दोस्ती नहीं करते। वे खुद को जरूरत से ज्यादा महत्व देना बंद कर देते हैं। एक बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा दूसरों की परेशानी हल करने के बारे में सोचता है बुद्धिमान लोग अपनी जिम्मेदारियों से पीछा बिल्कुल नही छुड़ाते है। बुद्धिमान लोग दूसरे लोगों को जीवन में बढ़ने में मदद करते हैं, वे दूसरों को अपनें से आगे निकलने से डरते नहीं हैं। जो लोग कम बात करते हैं। जो लोग दिखावा नहीं करते। जो लोग बात करते समय दूसरों को बाधित नहीं करते हैं। जो लोग दूसरे के सुझावों को चुपचाप सुनते हैं। जो लोग अपने परिवार के मुद्दों में दोस्त और पड़ोसी के हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देते हैं। जो लोग अपनी पीठ पीछे दूसरों के बारे में बुरा नहीं बोलते हैं। जो लोग दूसरों को अपना काम करने के लिए मजबूर नहीं करते हैं। जो लोग किसी को प्रभावित करने के लिए ऋण नहीं लेते हैं। जो लोग कठिन जिम्मेदारियों को लेते हैं। जो लोग सेलेब्स, स्पोर्ट खिलाड़ियों और राजनेताओं के लिए नहीं लड़ते हैं। जो लोग सलाह नहीं देते हैं जब तक कोई उनसे नहीं पूछे। जो लोग विपणन रणनीतियों में नहीं फंसते हैं। जो लोग केवल किसी की सुंदरता के जाल में नहीं फंसते है, जो लोग ब्रेक- अप और विफलताओं के बाद अगली चीज के लिए कदम रखते हैं। जो लोग किसी व्यक्तिगत जीवन पर चर्चा करने में अपना समय बर्बाद नहीं करते हैं। जो लोग सोशल मीडिया पर अपना पूरा समय बर्बाद नहीं करते हैं। जो लोग इस बारे में परवाह नहीं करते हैं कि लोग उनके बारे में उनकी पीठ पर या जो भी सामाजिक प्लेटफार्मों पर बात करते हैं। जो लोग अचानक प्रतिक्रिया नहीं करते हैं, लेकिन सही समय पर। जो लोग किसी के शब्दों में नहीं फंसते। जो लोग दूसरों को देखकर अपनी जीवन शैली नहीं बदलते हैं। जो लोग अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन का मिश्रण नहीं करते हैं। जो लोग कमाई और पैसे खर्च करने के बीच संतुलन बनाए रखते हैं मेरी नजर में वास्तविक बुद्धिमान व्यक्ति होते हैं। विश्व भर में कोई भी विद्वान कभी भी बुद्धिहीन या फिर मूर्ख श्रेणी के किसी भी इंसान को उसकी सीमितता का ना तो अहसास होने देता है और ना ही कभी कराने का प्रयास करता है। इसके साथ ही एक और तथ्यपरक सत्य यह है कि सृष्टि के समस्त जीवों में प्रकृति ने जो स्वाभाविक बौद्धिक क्षमता दी है उसमें बढ़ोत्तरी अभ्यास के द्वारा ही संभव है विविध उपागमों के द्वारा ऐसा ही एक उपागम विलोम है।
साथियों बात अगर हम राजा अकबर और बीरबल की पौराणिक कथा महामूर्खों को कैसे खोजें? की करें तो सुनकर हमें हंसी आ जाएगी। अकबर और बीरबल सभा मे बैठ कर आपस में बात कर रहे थे। अकबर ने बीरबल को आदेश दिया कि मुझे इस राज्य से 5 मूर्ख ढूंढ कर दिखाओ। बादशाह का हुक्म सुन बीरबल ने खोज शुरू की। एक महीने बाद बीरबल वापस आये लेकिन सिर्फ 2 लोगों के साथ। अकबर, मैने तो 5 मूर्ख लाने के लिये कहा था। बीरबल- जी हुजुर लाया हूँ, मुझे पेश करने का मौका दिया जाये। अकबर- ठीक है। बीरबल- हुजुर यह पहला मूर्ख है। मैने इसे बैलगाड़ी पर बैठ कर भी बैग सिर पर ढ़ोते हुए देखा और पूछने पर जवाब मिला कि कहीं बैल के ऊपर ज्यादा भार ना हो जाए, इसलिये बैग सिर पर ढो रहा हूँ। इस हिसाब से यह पहला मूर्ख है। दूसरा मूर्ख यह आदमी है जो आप के सामने खडा है। मैने देखा इसके घर के ऊपर छत पर घास निकली थी। अपनी भैंस को छत पर ले जाकर घास खिला रहा था। मैने देखा और पूछा तो जवाब मिला कि घास छत पर जम जाती है तो भैंस को ऊपर ले जाकर घास खिला देता हूँ। हुजुर, जो आदमी अपने घर की छत पर जमी घास को काटकर फेंक नहीं सकता और भैंस को उस छत पर ले जाकर घास खिलाता है, तो उससे बड़ा मूर्ख और कौन हो सकता है। अकबर और तीसरा मूर्ख? बीरबल जहाँपनाह अपने राज्य मे इतना काम है। पूरी नीति मुझे संभालनी है, फिर भी मैं मूर्खों को ढूढ़ने में एक महीना बर्बाद कर रहा हूँ इसलिये तीसरा मूर्ख मैं ही हूँ। अकबर और चैथा मूर्ख? बीरबल- जहाँपनाह पूरे राज्य की जिम्मेदारी आप के ऊपर है। दिमाग वालों से ही सारा काम होने वाला है। मूर्खों से कुछ होने वाला नहीं है, फिर भी आप मूर्खों को ढूंढ रहे हैं। इसलिए चैथे मूर्ख जहाँपनाह आप हुए। अकबर और पांचवा मूर्ख? बीरबल- जहाँ पनाह मैं बताना चाहता हूँ कि दुनिया भर के काम धाम को छोड़कर, घर परिवार को छोड़कर, पढाई लिखाई पर ध्यान ना देकर, यहाँ पूरा ध्यान लगा कर और पाँचवें मूर्ख को जानने के लिए जो इसे पढ़ रहा है वही पाँचवा मूर्ख है। इससे बड़ा मूर्ख दुनिया में कोई नहीं। मूर्ख व्यक्ति की पहचान उसकी वाणी से होती है, और एक बुद्धिमान व्यक्ति की पहचान उसके मौन से।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मूर्खम एव सःबुद्धिहीनम अस्तु। बुद्धिमान बनाम मूर्ख, फर्क साफ है। बुद्धिमान और मूर्ख को उसके मानवीय व्यक्तित्व, वाणी, गुणों और व्यवहार से ढूंढना आसान है।
बुद्धिमान बनाम मूर्ख, फर्क साफ है
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