हमारे बुजुर्ग अनुभव का खजाना हैं

RAJNITIK BULLET
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(एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी) वर्ष 1958 में कवि स्व0 प्रदीप कुमार रचेता उन्हीं के स्वर में गाया गीत, देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान कितना बदल गया इंसान, आया था तब संसार शायद इतना नहीं बदला था परंतु वर्तमान परिपेक्ष में यह गीत पूरी तरह से सटीक बैठ रहा है जो इंसानी फितरत पर प्रहार कर रहा है। हर क्षेत्र में इंसान की मानसिकता तो बदल गई है परंतु अपने घर, परिवार सहित अपने बड़े बुजुर्गों के प्रति भी आज के इंसान का की मानसिकता बदल गई है पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव बढ़ता जा रहा है संयुक्त परिवार अब टूटकर एकला चलो की राह पर चल पड़े हैं इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों की तकलीफों, सुविधाओं, अनुभवों और शासकीय सम्मान सुविधाओं पर चर्चा करेंगे।
साथियों बात अगर हम वरिष्ठ नागरिकों, बड़े बुजुर्गों के सम्मान की करें तो, हम सभी के घरों में कोई न कोई ऐसे बुजुर्ग व्यक्ति होते हैं, जो हमसे बहुत प्यार करते हैं। घर में बुजुर्गों का होना भगवान का आर्शीवाद होता है। बुजुर्गों के इसी प्यार और सम्मान को जाहिर करने हर साल वरिष्ठ नागरिक दिवस, बड़े बुजुर्ग सम्मान दिवस, माता दिवस, पिता दिवस सहित अनेकों ऐसे दिवस मनाए जाते हैं जिसमें बुजुर्गों की देखभाल करने की प्रेरणा दी जाती है। ऐसे दिन हमें बड़े बुजुर्गों के सम्मान, अधिकार और उनके दिखाए हुए मार्गदर्शन पर चलने की प्रेरणा देता है। इस दिन को खूबसूरत बनाने के लिए हम अपने घर में रहने वाले अपने माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी और दूसरे सीनियर के साथ वक्त बिताएं, इससे अच्छा उपहार उनके लिए कुछ नहीं हो सकता है, उनके साथ बैठें खुलकर उन्हें बोलने दें, उनकी जिंदगी के किस्से सुनें, उनके अनुभवों से सीख लें, उनके बताई गई बातों पर अमल करें और उन्हें ढ़ेर सारा प्यार दें. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वृद्धावस्था उम्र का वो पड़ाव होता है जहां न कोई बोलने वाला होता है न कोई सुनने वाला। युवाओं की जिंदगी रफ्तार के साथ भाग रही होती है, ऐसे में घर में बुजुर्ग अकेलेपन का शिकार होते हैं। आज सीनियर सिटीजन डे के मौके पर हमने कुछ हसीन पल अपने घर में बुजुर्गों से साथ बिताएं हैं।
साथियों बात अगर हम वर्तमान परिपेक्ष की करें तो आधुनिक समाज में सभी देख रहे हैं कि वरिष्ठ नागरिक अकेले पड़ते जा रहे हैं। रोजगार और आर्थिक प्रगति की दौड़ में बच्चे मां-बाप से अलग रहने पर मजबूर हैं, इस वजह से कई बार बुजुर्ग कुंठिक हो जाते हैं, और समय के साथ बदलाव स्वीकार नहीं कर पाते हैं। लेकिन बदलाव प्रकृति का नियम है, इसलिए वरिष्ठ नागरिकों को भी अपने सुरक्षित जीवनयापन और अधिकार के लिए जागरूक रहने की जरूरत है। जैसा कि सामाजिक विचारक जेम्स गारफील्ड ने कहा भी है कि- यदि वृद्धावस्था की झुर्रियां पड़ती हैं, तो उन्हें हृदय पर मत पड़ने दो. कभी भी आत्मा को वृद्ध मत होने दो।
साथियों बात अगर हम बड़े बुजुर्गों के बारे में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट की करें तो रिपोर्ट के अनुसार, अगले तीन दशकों में, दुनिया भर में वृद्ध व्यक्तियों की संख्या दोगुनी से अधिक होने का अनुमान है, जो 2050 में 1.5 बिलियन से अधिक हो जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय निकाय ने कहा कि कोरोनो वायरस महामारी ने मौजूदा असमानताओं को बढ़ा दिया है, पिछले तीन वर्षों में वृद्ध व्यक्तियों के जीवन पर सामाजिक आर्थिक, पर्यावरण, स्वास्थ्य और जलवायु संबंधी प्रभावों को तेज कर दिया है, विशेष रूप से वृद्ध महिलाएं जो वरिष्ठ नागरिकों का बहुमत बनाती हैं। इस प्रकार, विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस जागरूकता फैलाने, चुनौतियों को उजागर करने और संबोधित करने और वरिष्ठ नागरिकों के मील के पत्थर का जश्न मनाने के लिए एक अवसर और अनुस्मारक दोनों के रूप में कार्य करता है।
साथियों बात अगर हम भारत में बड़े बुजुर्गों वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान की करें तो, यहां सौहार्द्रता पूर्वक बड़े बुजुर्गों का सम्मान दुनिया से अपेक्षाकृत बहुत अच्छा किया जाता है फिर भी पाश्चात्य संस्कृति का कुछ असर पढ़ते जा रहा है जबकि कुछ राज्यों के सीएम के ट्वीट भी आए, उड़ीसा सीएम ने लिखा, वरिष्ठ नागरिक अपनी सूझ बूझ, ज्ञान और अनुभव की बदौलत हमारे सामज को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ऐसे में विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस पर उनके द्वारा झेली गई कठिनाइयों को स्वीकार कर उन्हें प्यार, देखभाल और सम्मान देने का संकल्प करें, जिसके वे हकदार हैं। गोवा के सीएम ने भी लोगों से सूझबूझ और प्यार करने के लिए वरिष्ठ नागरिकों के प्रति आभार जताने का आह्वान किया।
साथिया बात अगर हम पहले और अभी के जमाने में बुजुर्गों के सम्मान की तुलना करें तो, एक समय था जब बुजुर्ग को परिवार पर बोझ नहीं बल्कि मार्गदर्शक समझा जाता था और बुजुर्गों की तुलना घर की छत से की जाती थी जिसके आश्रय में परिवार के सभी सदस्य सुरक्षित महसूस करते थे, लेकिन आज वही छत अपनी सुरक्षा की तलाश में भटक रही है। टूटते संयुक्त परिवार, निज स्वार्थ की बढती भावना, नैतिक और सामजिक जिम्मेदारियों का अवमूल्यन जैसे अनेक कारण हैं जिनके कारण बुजुर्गों को आज परिवार में वो अहम स्थान नही मिल रहा जिनके वो असल में हकदार हैं।
साथियों आधुनिक जीवन शैली, पीढ़ियों के विचारों में भिन्नता आदि के कारण आजकल की युवा पीढ़ी निष्ठुर और कर्तव्यहीन हो गई है जिसका खामियाजा बुजुर्गों को भुगतना पड़ता है। बुजुर्गों का जीवन अनुभवों से भरा पड़ा होता है, उन्होंने जीवन में कई धूप-छाँव देखे होते हैं, हमें उनके अनुभवों को जीवन में अपनाना चाहिए।
साथियों बात अगर हम वरिष्ठ नागरिकों को मिली शासकीय सुविधाओं और सम्मान की करें तो (1) बुजुर्गों की देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (2) वरिष्ठ मेडिक्लेम पालिसी (3) राष्ट्रीय वायोश्री योजना (4) वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना (5) वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष (6) वयो श्रेष्ठ सम्मान (7) रिवर मार्गेज योजना (8) पहली अखिल भारतीय टोल फ्री हेल्पलाइन (9) प्रधानमंत्री वय वंदन योजना (10) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना।
साथियों वरिष्ठ नागरिकों को इनमें भी मिलती है छूट- टैक्स में छूट- 60 साल या उससे अधिक आयुवाले वरिष्ठ नागरिकों को आयकर विभाग के द्वारा टैक्स में छूट दी जाती है। हवाई यात्रा में छूट- 60 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले वरिष्ठ नागरिकों को सभी सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के द्वारा टिकट पर 50 फीसदी तक की छूट दी जाती है। रेल यात्रा में छूट- भारतीय रेलवे के द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को रेल यात्रा पर विशेष सुविधाओं के साथ ही टिकट में 40- 50 फीसदी तक की छूट दी जाती है, बस यात्रा में छूट-वरिष्ठ नागरिकों को सुविधा देने के लिए राज्य सरकार बस के किराए में कुछ छूट और बैठने के लिए आरक्षित सीट देती हैं। ब्याज में छूट- रिटायरमेंट के बाद वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज सहित बैंक की कई योजनाओं में छूट दी जाती है। बीमा में छूट-वरिष्ठ नागरिकों को बीमा कंपनियों के द्वारा भी छूट दी जाती है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आओ वरिष्ठ नागरिकों बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें। हमारे बुजुर्ग अनुभव का खजाना है। हमारे समाज में वरिष्ठ नागरिक उस पुराने पेड़ की तरह होते हैं जिसके हम हरे-भरे तने हैं। यदि वृद्धावस्था की झुर्रियां पड़ती है तो उन्हें हृदय पर मत पढ़ने दो कभी भी आत्मा को वृद्ध मत होने दो सराहनीय विचार है।

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