(मो मुर्तजा)
महराजगंज रायबरेली। सरकार चाहे जितना दावा कर ले किसानों की उन्नति हो रही और आर्थिक विकास हो रहा है। पर दीमक की तरह लगे बिचैलिया जहां किसानों के हक मार रहे हैं। वही बेबस किसान लुटते हुए चले जा रहे हैं सरकार द्वारा धान खरीद केंद्र बनाए गए हैं जिनमें किसान अपना धान जा कर बेचे लेकिन किसानों को धान बेचना उतना ही कठिन है जितना रेगिस्तान में फूल खिलना। जानकारी के अभाव में किसान बिचैलियों के माध्यम से फस जाते हैं और अपने खून पसीने की कमाई उन्हें सौंप देते हैं। इस समय किसानों का धान तैयार है जिसका बिचैलिए खूब लाभ उठा रहे हैं महराजगंज तहसील क्षेत्र के चंदापुर में स्थित एक गल्ले की दुकान है जहां पर आपको अनाज के अलावा गिट्टी मौरंग सीमेंट की दुकान सहित और कई अन्य सामान बिकते हुए नजर आ जाएंगे पहली नजर में आपको लगेगा यह दुकाने हैं लेकिन इनकी आड़ में चलता है दलाली का लंबा खेल। किसान जिनके पास जानकारी नहीं होती और कभी-कभी ऐसे घरेलू मामले उनके फंस जाते हैं जिनमें उनको आर्थिक जरूरत पड़ जाती है यहीं से शुरू होता है खेल। चंदापुर में स्थित अरुण कुमार गुप्ता की दुकान पर होता है लंबा खेल जहां रू19 से अधिक मे सरकारी रेट पर धान खरीदा जाता है वहीं पर क्षेत्र के भोले-भाले किसान अरुण कुमार को रू16 धान देने पर मजबूर हो जाते हैं पैसा उनको समय- समय पर थोड़ा थोड़ा दिया जाता है उसके बाद भी यह किसान धन्ना सेठ के कर्जदार ही बने रहते हैं। 20 कुंटल का लाइसेंस का दावा करने वाले अरुण सेठ ने सैकड़ों कुंतल धान अपने स्टोर में जमा कर रखा है आखिर इस पर कारवाई कब होगी।
गल्ले का खेल प्रशासन फेल
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