शहीद करतार सिंह सराभा के शहादत दिवस पर दिशा छात्र संगठन की ओर से आयोजित की गयी श्रद्धांजलि सभा

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(मो0 रिजवान)
प्रयागराज। गदर आन्दो- लन के महान शहीद करतार सिंह सराभा के शहादत दिवस पर बुधवार 16 नवंबर को दिशा छात्र संगठन की ओर से हिन्दी विभाग के सामने श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान क्रान्तिकारियों के जीवन पर आधारित पुस्तक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। पुस्तक प्रदर्शनी में छात्रों की मुख्य रुचि भगतसिंह के लेखों और क्रान्तिकारी साहित्य में रही।
सभा की शुरुआत क्रान्तिकारी गीत ‘कदम मिलाओ साथियों, चलेंगे एक साथ हम’ और गगनभेदी नारों ‘करतार सिंह सराभा तुम जिन्दा, हो हम सब के संकल्पों में’ आदि से हुई।
करतार सिंह सराभा के जीवन पर बात रखते हुए दिशा छात्र संगठन के अनिल ने कहा कि करतार सिंह सराभा को हम इतिहास के गड़े मुर्दे उखाड़ने के मकसद से याद नही कर रहे है बल्कि हम इनको इसलिए याद कर रहे हैं कि इनके विचारों में आज भी वह ताकत है जो हमारे आज के संघर्षों में दिशा दिखाने का काम करती है। करतार सिंह सराभा का जन्म 24 मई 1896 को लुधियाना के पास सराभा नाम के गांव में हुआ था। बचपन में ही पिता की मृत्यु के बाद पालन पोषण की जिम्मेदारी दादा के द्वारा हुई। 16 साल की उम्र में करतार सिंह इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए। यहीं पर इनकी मुलाकात लाला हरदयाल से हुई और ये राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने लगे। यहीं पर देश की आजादी के मकसद से गदर पार्टी का निर्माण किया गया। कृपाल सिंह की मुखबिरी की वजह से करतार सिंह गिरफ्तार हुए और आज ही के दिन 1915 में अंग्रेजों ने करतार सिंह को फाँसी दे दी थी।
करतार सिंह की विरासत पर बात रखते हुए अविनाश ने कहा कि करतार सिंह की विरासत और आज के समय में प्रासंगिकता को हम निरंतरता और परिवर्तन के द्वन्द में ही समझ सकते हैं। आज वह समाज नहीं हैं जिसमें करतार सिंह ने संघर्ष किया। आज औपनिवेशिक गुलामी से देश आजाद हो गया है। राजे-रजवाड़ों की शासन व्यवस्था धूल-धूसरित हो चुकी है। लेकिन फिर भी आज वह समाज नहीं बन पाया है जिसके लिए करतार सिंह मात्र 19 साल की उम्र में फाँसी के फन्दे को चूम लिए थे। आज भी हमारे देश में साम्प्रदायिक और जातिगत बटवारा मौजूद है। महंगाई ने मेहनतकश की जिन्दगी को तबाही के कगार पर ला खड़ा किया है। सांस्कृतिक प्रदूषण पूरे समाज का सांस्कृतिक पतन कर रहा है। महिलाएँ-बच्चियाँ सब अव्यवस्था की शिकार हो रही हैं। ऐसे में करतार सिंह को याद करने का मतलब यह है कि आज नौजवान उनके सपनों को अपनी आँखों से देखें और न्याय पर आधारित समाज के निर्माण के लिए एकजुट हों। कार्यक्रम का संचालन शिवा ने किया। इस दौरान अरुण, पवन, प्रांजल, अभिलांकर, मनीष, श्वेता, नीशू, सौम्या आदि मौजूद रहे।

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