निजीकरण के खिलाफ 13 को आन्दोलन की सामूहिक घोषणा करेंगें रोडवेज के कर्मचारी संगठन

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(राकेश कुमार) लखनऊ। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में निजीकरण की आहट और निजीकरण के सम्बंध में जारी कुछ निर्देशों के उपरान्त निगम के कर्मचारी संघ और सदस्यों मे आक्रोश बढ़ रहा है। निजीकरण के विरोध में परिवहन निगम के लगभग समस्त संगठन एक मंच तैयार कर वृहद आन्दोलन के मूड में नजर आ रहे है। उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राकेश के सिंह ने इस निजीकरण के खिलाफ एक बड़ी बैठक बुलाई है। 13 नवम्बर को होने वाली इस बैठक में परिवहन निगम के कर्मचारी संगठन यूपी रोडवेज इम्पलाईज यूनियन, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद, उ.प्र. रोडवेज मजदूर सभा, सेन्ट्रल रीजनल वर्कशाप कर्मचारी संघ और श्रमिक समाज कल्याण संघ के अध्यक्ष एवं महामंत्री आमंत्रित किए गए है। राकेश सिंह के अनुसार परिवहन निगम के निजीकरण के विरोध में लगभग सभी संगठन एक मत है। सभी संगठन इस मनमाने और कर्मचारी विरोधी प्रयास के खिलाफ सड़क पर उतरने को तैयार है।
उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने बताया कि संघ के अधिवेशन के दौरान प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्री गणों ने रोड़वेज कार्मिकों उत्थान और संरक्षण का पूरा आश्वासन सदन को दिया था। इसके उपरान्त निगम प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों की छोटी-छोटी समस्याओं का निपटारा करने की जगह ऐसा कुचक्र रचने का प्रयास शुरू कर दिया गया है कि चंद दिनों मे ही परिहवन निगम निजीकरण की चपेट में आ जाएगा। निगम के समस्त कर्मचारी संगठनों से मौखिक वार्ता में इस प्रयास का हर स्तर पर विरोध का निर्णय लिया जा चुका है। इस पर अंतिम मुहर 11 को संगठनों की सामूहिक बैठक में लगेंगी। इससे पूर्व उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी का पहली बैठक प्रांतीय कार्यालय बस स्टेशन चारबाग में की गई। जिसने नव- निर्वाचित प्रांतीय पदाधिकारियों और सम्मानित सदस्यों ने प्रतिभाग किया बैठक में प्रांतीय अधिवेशन के बारे में सभी कार्यकारिणी पदाधिकारियों से विस्तृत जानकारी ली गई। संगठन की प्रांतीय कार्यकारिणी ने सरकार द्वारा रोडवेज को निजी करण करने का विरोध किया और यह प्रस्ताव पास हुआ रोडवेज कर्मचारी संघ द्वारा इस निजीकरण का विरोध पुरजोर तरीके से किया जाएगा। दीपावली जैसे पर्व में भी निगम प्रबंधन की अनदेखी से निगम कार्मिकों को किसी तरह का कोई प्रोत्साहन और बोनस तक नहीं दिया गया। इसके कारण कार्मिकों में भारी रोष व्याप्त है। रोडवेज के संविदा कार्मिकों को महंगाई के अनुसार प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत वेतन वृद्धि का नियम है। लेकिन पिछले सात सालों में पिछले वर्ष संघ के आन्दोलन के उपरान्त 6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई। इसका भी संघ पुरजोर विरोध कर रहा है। संघ के अनुसार संविदा कार्मिकों की निर्धारित वेतन बढ़ोत्तरी और नियमितीकरण के मुद्दे पर वह मुखर स्वरूप् अख्तियार करेगी।
रोडवेज कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह, महामंत्री सत्यनारायण यादव कार्यकारणी अध्यक्ष चतर सिंह, संगठन मंत्री त्यागी, रमाकांत सचान, प्रदेश प्रभारी संविदा मोहम्मद नसीम, प्रदेश मीडिया प्रभारी रजनीश मिश्रा, प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक कुमार भदोरिया, प्रदेश उपाध्यक्ष भानु प्रसाद तिवारी, लखनऊ क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष राकेश कुमार माली, क्षेत्रीय मंत्री श्रीसुधीर और सभी प्रदेश के क्षेत्रीय मंत्री शामिल हुए। बैठक में निर्णय लिया गया रोडवेज का निजी नियंत्रण नहीं होने देंगें। बैठक में निगम कार्मिकों के खून पसीने से खरीदी गई जमीनों का सौदा न किए जाने, राज्य कर्मचारियों की अपेक्षा 21 प्रतिशत कम महंगाई भत्ते का संशोधन करते हुए निगम कार्मिकों को 38 प्रतिशत महंगाई भत्ता राज्य कार्मिकों की भांति तत्काल उपलब्ध कराया जाए। रोडवेज कर्मचारी संघ के सम्मेलन के उपरान्त प्रमुख सचिव परिवहन द्वारा 25 प्रतिशत निगम की बसों और 75 प्रतिशत अनुबंधित बसों वाला आदेश तत्काल वापस लिया जाए। यात्रियों और कर्मचारियों के जीवन रक्षा और सुविधायुक्त यात्रा के लिए निगम बेड़े में तत्काल 4000 बसें खरीदी जाए ताकि इनके संचालन से होने वाली आय से निगम एवं निगम कार्मिकों के हित सुरक्षित हो सके। निगम के संविदा कार्मिकों का नियमितीकरण करने के साथ 10 प्रतिशत वार्षिक वेतन वृद्धि लागू की जाए। निगम की कर्मचारी विरोधी नीतियों का उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ पुरजोर विरोध करता है। विरोध में पूरे प्रदेश में आंदोलन की रणनीति तैयार की जा रही है।

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