दिल्ली सरकार ने छठ पूजा के लिए 25 करोड़ रुपये आवंटित किए, 1100 घाटों पर होगी पूजा

RAJNITIK BULLET
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Oct 14, 2022
दिल्ली सरकार ने छठ पूजा के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। दिल्ली में छठ पर्व को लंबे समय के बाद भव्य तरीके से मनाया जाएगा। दिल्ली में कोरोना वायरस महामारी के कारण बीते दो वर्षों से इस पर्व का बड़े स्तर पर आयोजन नहीं किया गया है। दिल्ली सरकार ने इस वर्ष 1100 घाटों पर पूजा की जाएगी।
दो वर्षों बाद होगा सामान्य आयोजन

केजरीवाल ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण लोगों के दो साल तक अपने घरों में फंसे रहने के बाद छठ पर्व भव्य तरीके से मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में महामारी के कारण यह त्योहार सार्वजनिक रूप से नहीं मनाया गया। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने लोगों से जश्न मनाते हुए मास्क पहनने तथा सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि संक्रमण की तीव्रता बेशक कम हो गई है, लेकिन महामारी अब भी बरकरार है। कृपया कोविड अनुकूल व्यवहार अपनाएं और मास्क पहनें। जुर्माना भले ही हटा दिया गया है, लेकिन कृपया नियमों का पालन करें। मुख्यमंत्री ने डिजिटल माध्यम से मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि 2014 में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार बनने के बाद से यह त्योहार व्यापक पैमाने पर मनाया जाने लगा है।

1100 छठ घाटों पर होगी ये सुविधा

केजरीवाल ने कहा कि हमारे सत्ता में आने से पहले तक सरकार 69 घाटों पर तैयारियों के लिए 2.5 करोड़ रुपये की निधि आवंटित करती थी, लेकिन अब यह बजट बढ़कर 25 करोड़ रुपये हो गया है और 1,100 घाटों पर छठ का पर्व मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने इन घाटों पर शौचालय, एम्बुलेंस, प्राथमिक उपचार तथा बिजली (पावर बैकअप) उपलब्ध कराने जैसी तैयारियां की हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस सुरक्षा पर ध्यान दे रही है और विभिन्न स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। केजरीवाल ने कहा कि लोगों को कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप से राहत दिलाने तथा देश के विकास एवं प्रगति के लिए छठी मैया से प्रार्थना करने का अनुरोध किया।

ऐसा होता है छठ महापर्व

छठ पर्व का आयोजन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक आयोजित होता है। इस वर्ष छठ पर्व का आयोजन 28-31 अक्टूबर तक किया जाएगा। छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। दूसरे दिन खरना होता है। तीसरे दिन संध्याकालीन अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को जल से अर्घ्य दिया जाता है। इसी के साथ महापर्व का समापन होता है, जिसमें व्रतधारी 36 घंटे तक व्रत रखते है।

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