(राममिलन शर्मा) राय- बरेली। जिले की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था में अब तक क्षेत्रीय स्तर के सीएचसी और पीएचसी ही थे लेकिन अब जनपद का राणा बेनी माधव जिला अस्पताल भी भ्रष्टाचार की सीढियां चढ़ने लगा है। यहां वर्षों से तैनात स्टाफ आम जनमानस से तो तीखे तेवरों में बात करता ही है इसके साथ-साथ पत्रकारों से भी बात करने में उन्हें एलर्जी होती है। जिला अस्पताल की महिला डाक्टर निर्मला साहू का कहना तो यहां तक है कि पत्रकार क्या कोई नेता मंत्री है जो उसकी बात को सुनें।
यह है मामला-
बुधवार को एक प्रसव पीड़िता ऊंचाहार से रेफर होकर जिला अस्पताल रायबरेली के लिए पहुंची जहां पर उसे काफी देर तक बेड पर तो लिटाए रखा गया लेकिन भर्ती नहीं किया गया था और वहां पर मौजूद स्टाफ द्वारा उसे तरह-तरह के अनहोनी जैसी घटनाएं हो जाने के बारे में बताया जाने लगा, जिससे प्रसव पीड़िता की धड़कन भी बढ़ने लगी। बाद में काफी विनती करने के बाद मरीज को भर्ती किया गया।
महिला डाक्टर के दिखे तीखे तेवर-
रायबरेली जिला अस्पताल में उपरोक्त मरीज को भर्ती करने के कुछ ही देर बाद रात्रि की ड्यूटी पर तैनात महिला डाक्टर निर्मला साहू ने उसी प्रसव पीड़िता को यह कहकर वहां से रेफर कर दिया कि पत्रकारों का नाम सुनना भी उन्हें पसंद नहीं। जबकि वह प्रसव पीड़िता एक पत्रकार की भाभी थी तो स्वाभाविक है कि डाक्टर साहिबा को वह और उसके मित्र अपना परिचय तो जरूर देंगे। लेकिन जिला अस्पताल रायबरेली का पूरा प्रबंधन ऐसी गैर जिम्मेदाराना हरकत से हमेशा से सुर्खियों में रहा है और आज भी पत्रकार के परिवार की प्रसव पीड़िता को रात में ही बार- बार गैर जिम्मेदाराना जवाब दे देकर आखिरी में उसे रात में ही बिना संबंधित जांच कराए ही यह कहकर रेफर कर दिया कि हम इसका इलाज नहीं कर सकते हैं।
घबराए परिजनों ने प्राइवेट अस्पताल का लिया सहारा-
जिला अस्पताल की महिला डाक्टर निर्मला साहू के द्वारा मरीज को समझाने के बजाय तीखे तेवर से प्रसव पीड़िता और उसके परिजनों में घबराहट हुई इसी बीच महिला डाक्टर ने भर्ती करने के कुछ ही देर बाद रेफर कर दिया जबकि मामला ऐस गंभीर नहीं था, जिसके बाद प्रसव पीड़िता के घबराए परिवारीजनो को जिले के एक प्राइवेट अस्पताल का सहारा लेना पड़ा। अंत में पीड़िता का रात में प्रसव पूर्ण हुआ।
आश्चर्य करने की बात यह है कि आखिर राणा बेनी माधव जिला अस्पताल में सरकारी डाक्टर क्या धन उगाही के लिए बैठे हुए हैं क्योंकि आशा बहुएं बताती हैं की सीएचसी से लेकर जिला अस्पताल तक पहुंचने से पहले यदि कुछ पैसे डाक्टरों को या नर्स को दे दिए जाए तो मरीज को घर के परिजनों के जैसी व्यवस्थाएं दे दी जाती हैं। परंतु उपरोक्त अव्यवस्थाओं के कारण पत्रकार के परिवार को डाक्टर निर्मला साहू के द्वारा भड़काया गया और इस दौरान प्रसव पीड़िता की धड़कनें भी तेज हो गई और तरह-तरह के व्यंग्य कसते और उदाहरण देते हुए डाक्टर निर्मला साहू ने मरीज को जबरदस्ती रेफर कर दिया। आखिर सरकार द्वारा जिला अस्पताल में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के बावजूद रायबरेली जिला अस्पताल की यह महिला डाक्टर ताने मारकर आखिर क्यों मरीज और उसके परिजनों को अचरज में डालती हैं? आखिर इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन होगा। आखिर पीड़ित के परिवार को अधिक पैसा देकर अन्य प्राइवेट अस्पताल में प्रसव क्यों कराना पड़ा? खैर इन सबके बावजूद मरीज को भर्ती करने के कुछ ही देर बाद बिना जांच किए आखिर प्रसव पीड़िता को रेफर क्यों कर दिया गया। सुविधाओं से युक्त जिला अस्पताल में डाक्टरों के तीखे रवैए के चलते लोग प्राइवेट अस्पताल की तरफ ही भागते हैं।
डिप्टी सीएम के निर्देशों का नहीं दिखा असर-
कुछ ही दिन पूर्व डिप्टी सीएम/स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने रायबरेली का दौरा किया था और चिकित्सा व्यवस्था पर लंबा-चैड़ा भाषण देकर गए थे जो कि अखबारों की सुर्खियां भी बना। सुर्खियां बटोरने के कुछ ही दिन बाद जिला अस्पताल की महिला डाक्टर का यह रवैया स्वास्थ्य मंत्री के आदेशों की अवहेलना लगता है। स्वास्थ्य मंत्री तो यहां तक कहते हैं कि अस्पताल में मौजूद डाक्टरों के द्वारा मरीज को अपने परिवार का सदस्य समझ कर ही इलाज करना चाहिए और हर संभव उसे सकारात्मक सांत्वना देनी चाहिए लेकिन यहां ऐसा नहीं होता है।
पत्रकार के फोन पर भड़की डाक्टर निर्मला साहू, मरीज को हाथ लगाने से भी किया इंकार
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