अमेरिका के ‘अवगुण’ दिखाने वाली रिपोर्ट 18 मई को होगी जारी, US में मानवाधिकार कितने सुरक्षित हैं अब दुनिया को ये बताएगा भारत

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मई 14, 2022

सेंटर फॉर डेमोक्रेसी प्लूरलिस्म एंड ह्यूमन राइट्स एक रिपोर्ट जारी करने वाला है। जिसमें ये बताया जाएगा कि सुपरपावर मुल्क का दंभ भरने वाले देश में मानवाधिकार कितने सुरक्षित हैं? चीन के बाद एशिया में भारत ही एक मात्र ऐसा देश होगा जिसकी तरफ से अमेरिका को आइना दिखाने वाली रिपोर्ट जारी होगी।

आपको याद होगा कि यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की तरफ से इसी साल 12 अप्रैल को एक रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसमें दुनिया के 194 देशों में मानवाधिकारों की स्थिति की समीक्षा की गई। लेकिन इससे भी बड़ा मजाक ये है कि इस रिपोर्ट में अमेरिका ने खुद का एक बार भी जिक्र नहीं किया गया। लेकिन कभी-कभी इतिहास के सहारे सामने वाले को आईना दिखाना जरूरी होता है। अब ऐसा ही कुछ काम भारत की तरफ से किया जा रहा है। सेंटर फॉर डेमोक्रेसी प्लूरलिस्म एंड ह्यूमन राइट्स एक रिपोर्ट जारी करने वाला है। जिसमें ये बताया जाएगा कि सुपरपावर मुल्क का दंभ भरने वाले देश में मानवाधिकार कितने सुरक्षित हैं? चीन के बाद एशिया में भारत ही एक मात्र ऐसा देश होगा जिसकी तरफ से अमेरिका को आइना दिखाने वाली रिपोर्ट जारी होगी।

सेंटर फॉर डेमोक्रेसी प्लूरलिस्म एंड ह्यूमन राइट्स की तरफ से 18 मई को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में एक रिपोर्ट जारी की जाएगी। जिसमें अश्वेतों को सताकर मानवाधिकार पर लेक्चर देने वाले अमेरिका के मानवाधिकारों का जिक्र होगा। कांस्टीट्यूशन क्लब के स्पीकर हॉल में दोपहर के 11:00 से 12:30 की एक मीडिया इवेंट रखी गई है। जिसके बारे में कहा गया है कि यह पूरी तरह से एक मीडिया इवेंट है। कोई मेहमान नहीं होंगे। सबकुछ मीडिया पर ही निर्भर है। इसके साथ ही मीडिया से सहयोग की अपेक्षा की गई है। बताया जा रहा है कि चीन के बाद, भारत एशिया में एकमात्र देश है जिसने संयुक्त राज्य अमेरिका पर एक रिपोर्ट जारी करने का साहस किया है।

गौरतलब है कि अमेरिका ने विभिन्न देशों में मानव अधिकारों की स्थिति पर अपनी ताजा रिपोर्ट 12 अप्रैल को जारी की। लेकिन इसी साल न्यूयॉर्क के जॉन एफ कैनेडी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बाहर भारतीय मूल के एक सिख टैक्सी ड्राइवर के साथ मारपीट और पगड़ी उछालने की घटना सामने आई थी। इस घटना का जिक्र अमेरिका ने अपनी मानवाधिकार को लेकर जारी रिपोर्ट में कहीं नहीं किया था। ऐसे में अमेरिका को भी ये जानना चाहिए कि वो सरपंच बन कर दुनियाभर के देशों को मानवाधिकारों पर लेक्चर देता है। लेकिन अब ये बताने का वक्त आ गया है कि असल में खुद अमेरिका में मानवाधिकारों की स्थिति बहुत खराब है।

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