बीते कुछ महीनों से आवश्यक वस्तुओं और ईंधन के मूल्य में लगातार हो रही वृद्धि के कारण के आम लोगों के घर का बजट पूरी तरह से गड़बड़ा गया है और समाज का लगभग हर वर्ग इससे परेशानी महसूस कर रहा है। जहां एक ओर सब्ज़ियों के दाम आसमान छू रहे हैं।
उन्होंने कहा ‘‘मैं अपने ग्राहकों को बाइक से दूध पहुंचाने जाता हूं। कुछ महीने पहले मैं पेट्रोल पर केवल 100 रुपए प्रतिदिन खर्च करता था, जबकि आज यह खर्च बढ़ कर 160 रुपए प्रतिदिन तक पहुंच गया है। मैं चाहता हूं कि पेट्रोल के दाम कम हों। चंडीगढ़ के एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी बलदेव चंद ने कहा कि महंगाई ने उनके घर के बजट को बहुत प्रभावित किया है। वे कहते हैं ‘‘ मेरी पेंशन एक अच्छा हिस्सा पहले ही मेरी और मेरी पत्नी द्वारा ली जाने वाली दवाईयों पर खर्च हो रहा था। आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों ने हमें सभी गैर-जरूरी खर्चों पर रोक लगाने के लिए मजबूर कर दिया है। पिछले एक महीने में सीएनजी की कीमत में हुई 10 रुपये प्रति किलो की वृद्धि के कारण ऑटो और कैब चालकों ने 18 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की धमकी दी है।
दिल्ली ऑटो रिक्शा संघ के महासचिव राजेंद्र सोनी ने कहा सीएनजी अब 69 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक दर पर मिल रही है। हम सरकार से सीएनजी पर 35 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से सब्सिडी देने की मांग करते हैं ताकि हम जि़ंदा रह सकें। अगर हमारी मांगें पूरी नहीं की गईं तो हम 18 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बाज़ार में सब्ज़ी बेचने वाली कामिनी पटेल का कहना है कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि से ग्राहक और विक्रेता दोनों प्रभावित हुए हैं। कामिनी ने कहा ‘‘पहले मैं रोज़ाना 1500 रुपये तक कमा लेती थी लेकिन अब आमदनी 1000 रुपये से भी नीचे आ गई है। लोग महंगी सब्जि़यां खरीदने से कतरा रहे हैं। कोविड-19 महामारी के कारण घाटे में चल रहे होटल और रेस्तरां मालिकों का कहना है कि गैस सिलिंडर और अन्य वस्तुओं की कीमतों में हुई वृद्धि ने कोविड महामारी के बाद व्यापार को एक ओर झटका दिया है। होटल और रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ ईस्टर्न इंडिया के अध्यक्ष सुदेश कुमार पोद्दर का कहना है एलपीजी के वाणिज्यिक सिलिंडर की कीमतों के साथ-साथ सभी आवश्यक वस्तुओं की कुल दरों में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
ग्राहकों को खोने के डर से रेस्टोरेंट अपनी वस्तुओं के दाम बढ़ाने में असमर्थ हैं, लेकिन खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है। मुबंई में रहने वाले एक वित्तीय सलाहकार दीपक सहिजवाला ने कहा जब तक यूक्रेन संकट जारी रहेगा, ईंधन की कीमतों में वृद्धि होती रहेगी। भारत के लिए उच्च मुद्रास्फीति चिंता का विषय है। सरकार के पास एकमात्र उपाय है कि वह ईंधन को जीएसटी के दायरे में लेकर आये। इससे खुदरा स्तर पर कीमतों में काफी कमी आएगी।