(मो. रिजवान) प्रयाग राज। इलाहाबाद में लगातार हो रही आत्महत्याओं पर सरकार और प्रशासन के गैरजिम्मेदाराना रवैये के खिलाफ बृहस्पतिवार को दिशा छात्र संगठन की ओर से हिन्दी विभाग के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया।
दिशा छात्र संगठन के अविनाश ने बताया कि पिछले दो दिनों में इलाहाबाद शहर में दो नौजवानों ने आत्महत्या कर ली है। इलाहाबाद विश्व विद्यालय के शोध छात्र संजय पटेल ने परसो आत्महत्या कर ली और कल बड़ी बगिया में रह कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले नीलू मौर्य ने जिन्दगी की जगह मौत को चुन लिया। न तो इन घटनाओं पर कोई चर्चा हो रही है और न ही किसी के लिए यह सवाल बन रहा है। पूरे देश में छात्रों-युवाओं में बढ़ती आत्महत्याएँ विकराल रूप लेती जा रही हैं। छात्रों का हब कहे जाने वाले शहर अब आत्महत्याओं के हब बन गये है। भविष्य की अनिश्चि तता से हताश, निराश छात्र आज जिन्दगी के बजाय मौत को चुनने के लिये मजबूर हैं। ये वे हत्याएँ हैं जिनका न कोई सुराग है, न ही सुनवाई। अकेले इलाहाबाद शहर में औसतन हर रोज एक छात्र आत्महत्या कर रहा है। पूरे देश की बात करें तो हर दो घण्टे में तीन छात्र आत्महत्या करने को मजबूर हैं। यह तो सरकारी आंकड़ों की बात हो गई इससे कई गुना ज्यादा घटनाएं सरकारी फाइलों तक पहुंच ही नहीं पाती है।
पूरी दुनिया की लगभग 18 प्रतिशत आबादी भारत में रहती है लेकिन विश्व में होने वाली कुल आत्महत्याओं में से एक तिहाई से ज्यादा आत्महत्याएं केवल भारत में ही होती है। इतने बड़े पैमाने पर आत्महत्याएँ! ये महज संख्याएँ नहीं हैं बल्कि उस देश की ये एक जीती- जागती तस्वीर है जिसे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतन्त्र होने का तमगा मिला है। जहाँ की 65 प्रतिशत आबादी युवा है। वहाँ पर इतने बड़े पैमाने पर सम्भावनाओं का विनाश हो रहा है, और जिसकी कहीं कोई सुनवाई नहीं क्यों ? क्योंकि इस लुटेरी मानवद्रोही पूँजीवादी व्यवस्था को मुनाफे से सरोकार है सम्भावनाओं से नहीं।
ऐसा नहीं है कि रोजगार नहीं है या दिया नहीं जा सकता। सवाल सरकारों की मंशा का है, जो कि साफ है, लगातार सरकारी विभागों के पदों की संख्या घटायी जा रही है। ज्यादा से ज्यादा काम संविदा और ठेके पर कराया जा रहा है और हर विभाग को बेचने की तैयारी हो रही है। प्राइवेट सेक्टर का कोई भरोसा नहीं कब तक रखा और कब लात मारकर बाहर कर दिया। यह पूरी स्थिति आने वाले
समय में इस संकट को और भी गहरा करने वाली है। हमारा मानना है कि खुद को खघ्त्म करना हल नहीं है आज जरूरत है कि इस पूरी लूट और अन्याय पर टिकी व्यवस्था के खघत्मे के बारे में सोचा जाये। प्रदर्शन में मयंक सिंह, आनन्द, अंशुरीश, अमित, सौम्या, नीशू, शिवा, अम्बरीश, धर्मराज सुरेश, रवि, सचिन आदि शामिल रहे।
दिशा छात्र संगठन ने सरकार व प्रशासन के खिलाफ किया प्रदर्शन
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