मच्छर, गंदगी और जानवरों से होने वाले रोगों की रोकथाम के लिए चल रहा है अभियान

RAJNITIK BULLET
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(अजीत यादव) बहराइच। ‘सूअर-मच्छर-गंदा पानी, दिमागी बुखार की रचे कहानी’ , कचरा कचरे दानी में, सोयें मच्छरदानी में’ आदि स्लोगन के साथ संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान की रैली निकाली गयी । 19 अक्टूबर से चल रहे इस अभियान को गति प्रदान करने लिए जिलाधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने , जिलाधिकारी कार्यालय से जागरूकता वाहन रैली को हरी झंडी दिखा किया रवाना किया।
जन समुदाय में संचारी रोगों तथा दिमागी बुखार की रोकथाम व सही उपचार के प्रति जागरूकता लाने के लिए जनपद में 19 अक्टूबर से 17 नवंबर तक संचारी रोग नियंत्रण एवं दस्तक अभियान चलाया जा रहा है। बुधवार को जिलाधिकारी डॉ दिनेश चंद्र ने कहा कि आबादी के निकट सुअर बाड़ा, गंदा पानी व मच्छर संचारी रोगों के मुख्य वाहक होते हैं । इसके लिए जनपद के 13 विभागों को शामिल कर संचारी रोगों पर नियंत्रण के प्रभावी उपाय के लिए अभियान चलाया जा रहा है। उन्होने लोगों से शुद्ध पेय जल का उपयोग , मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी, हाथों की स्वच्छता के साथ-साथ कोविड प्रोटोकाल का पालन करने के लिए सुझाव दिया।
चिकित्सा अधिकारी डॉ0 सतीश कुमार ने बताया कि अभियान के दौरान दिमागी बुखार, डेंगू, मलेरिया, फाईलेरिया, कालाजार, चिकनगुनिया, टीबी आदि संचारी रोगों से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा । साथ ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर क्षय रोगियों व कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन भी करेंगे ।
डीएचईआईओ बृजेश सिंह ने बताया कि अभियान के दौरान नगर विकास विभाग द्वारा साफ-सफाई और दवाओं का छिड़काव किया जाएगा। पंचायती राज विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में नालियों की साफ सफाई तथा झाड़ियों की कटाई की जाएगी। साथ ही उथले हैंडपंपों की मरम्मत कर स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनि श्चित किया जाएगा। पशु पालन विभाग सुकर पालकों को आबादी से दूर सुअर बाड़ा बनाने के लिए संवेदीकरण करेगा । ,उद्यान विभाग द्वारा मच्छर रोधी पौद्दे लगाए जाएंगे तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग अति कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र संदर्भित करेगा।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जयंत ने बताया कि जापानीज इन्सेफ्लाइटिस यानि दिमागी बुखार मच्छरों के काटने से होती है । समय से इलाज न होने पर मृत्यु अथवा जीवन भर के लिए विकलांगता हो सकती है। इसकी शुरुआत धान के खेतों से होती है। धान के खेतों के भरे पानी में कीड़े मकौड़े उत्पन्न हो जाते हैं। जिसे सफेद रंग का जल पक्षी खाने पहुंचता है। जिसे मच्छर काट लेते हैं। जल पक्षी में ही जापानीज इन्सेफ्लाइटिस के वायरस पाये जाते हैं जो मच्छरों में प्रवेश कर जाते हैं । इसके बाद यदि कोई व्यक्ति धान के खेत में या आस पास खुले में शौच करने या किसी अन्य काम से पहुंचता है तो उसे यह मच्छर काट लेता है यहीं से जापानीज इन्सेफ्लाइटिस मानव के शरीर में पहुँच जाता है । वहीं जब यह मच्छर सूअर को काट लेता है तो वायरस सूअर के शरीर में तेजी से फैलते हैं । इसीलिए सुअर को आबादी से दूर रखने बात की जाती है।

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