आइडीए राउंड को लेकर मीडिया कार्यशाला आयोजित

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22.16 लाख की आबादी को फाइलेरियारोधी दवा खिलाने का लक्ष्य, सभी विद्यालयों एवं कालेजों में बूथ लगाए जाएंगे
(राममिलन शर्मा)
अमेठी। राष्ट्रीय फाइ लेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 10 से 28 फरवरी तक सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलेगा जिसके तहत लोगों को फाइलेरियारोधी दवा आइवरमेक्टिन, डाईइ- थाइल कार्बामजीन और एल्ब ेन्डाजोल खिलाई जाएगी। इसी क्रम में बृहस्पतिवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान मे स्वयं सेवी संस्था सेंटर फार एडवो केसी एण्ड रिसर्च (सीफॉर) के सहयोग से मीडिया संवेदी करण कार्यशाला आयोजित हुई। मुख्य चिकित्सा अधि कारी डा. अंशुमान सिंह ने कहा कि अभियान को सफल बनाने मे सभी मीडिया कर्मियों का सहयोग अपेक्षित है। आप सभी जन-जन तक यह संदेश अवश्य पहुंचाएं कि फाइलेरिया रोधी दवा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सामने ही खानी है और यदि उस समय आप उपस्थित नहीं हैं तो आशा कार्यकर्ता से मांगकर खा लें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जनपद में 22.16 लाख की आबादी को फाइलेरियारोधी दवा खिलाने का लक्ष्य है। ये दवा दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार को छोड़कर सभी को खानी है। अभियान के तहत 1783 टीमों के द्वारा घर-घर जाकर दवा का सेवन कराया जाएगा हर टीम में दो सदस्य होंगे, लगभग 304 सुपरवाइजर द्वारा कार्य का पर्यवेक्षण किया जाएगा। प्रत्येक टीम हर दिन कम से कम 25 घरों का भ्रमण कर दवा का सेवन कराएगी।
राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. राम प्रसाद ने कहा कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामा न्यतः हाथी पाँव के नाम से जाना जाता है। इसके मुख्य लक्षण पैरों व हाथों में सूजन (हाथीपांव), पुरुषों में हाइड्रो सील (अंडकोश का सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन है। फाइलेरियारोधी दवा सेवन के बाद कुछ ,व्यक्तियों में जी मितलाने, चक्कर आना और उल्टी आने की समस्या हो सकती है। इससे घबराने के जरूरत नहीं है। इसका मतलब है कि शरीर में फाइ लेरिया के परजीवी मौजूद थे और फाइलेरियारोधी दवा सेवन के बाद शरीर में फाइलेरिया पर जीवियों की मृत्यु होने के परिणामस्वरूप यह प्रतिक्रिया हुई है। सभी सीएचसी पर कुल 26 रैपिड रिस्पान्स टीम (आरआरटी) बनाई गई है जो प्रतिकूल प्रतिक्रिया होने पर तुरंत आवश्यक सहयोग करेगी।
जिला मलेरिया अधिकारी डा. शेषधर द्विवेदी ने कहा कि हम सामान्य हैं तो हम दवा क्यों खाएं। यह एक भ्रम है क्योंकि संक्रमण के बाद फाइलेरिया के लक्षण 10 से 15 साल बाद दिखाई देते हैं और तब तक हम जाने अन जाने रोग के प्रसार मे सहयोग करते हैं। फाइलेरियारोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और उच्च गुणवत्ता की हैं तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित हैं। सभी को ध्यान रखना होगा कि खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है।
इस अभियान में सहयोगी संस्थाए भी सहयोग कर रहीं है जैसे सीफार संस्था के सहयोग से जनपद में फाइ लेरिया पेशंट प्लेटफार्म के माध्यम से स्वास्थ्य कर्मियों व अन्य हितधारकों के साथ मिल कर और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से समुदाय में जन जागरूकता के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रहीं हैं। पीसीआई के द्वारा प्रधानों, कोटेदारों और विद्या लयों में फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने के लिए जन जागरूकता कर रहे हैं और बूथ लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं । पाथ संस्था पूरे अभियान की माॅनि टरिंग और सुपरविजन कर रही है। कार्यशाला में फाइले रिया मरीज। अल्पना ने अपने अनुभवों को साझा किया।
इसी के साथ हितधारक कोटेदार धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि वह आईडीए अभियान में अपना सहयोग करते हुए इसकी जानकारी अपनी दुकान के सूचनापट पर लिखेंगे और फाइलेरिया पेशेंट प्लेटफार्म के सदस्यों के साथ मिलकर लोगों को दवा खाने के लिए राजी करेंगे। कार्यक्रम के अंत में अभि यान की तैयारियों को लेकर मीडिया के प्रश्नों के जवाब भी दिए गए। इस मौके पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. संजय शर्मा, सहायक मले रिया अधिकारी सुशील कुमार, जिला मलेरिया इकाई के सदस्य, मुख्य चिकि त्साअधि कारी कार्यालय के कर्मचारी, स्वयंसेवी संस्था सीफर, पाथ, पीसीआई के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में पत्रकार बंधु मौजूद रहे।

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