जान जोखिम में डालकर सबको उजाला, खुशियां देने वाले अपमान, शोषण के अंधेरे में -रीना त्रिपाठी

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(सन्तोष उपाध्याय)
सरोजीनी नगर। राज्य सरकार की हठधर्मिता के कारण अक्सर कर्मचारियों को हड़ताल में जाना पड़ता है। इस मौके पर रीना त्रिपाठी अध्यक्ष (महिला प्रकोष्ठ सर्वजन हिताय संरक्षण समिति) ने कहा कि आज विशेष तौर पर अपनी जान और जीवन का जोखिम लगाकर काम करने वाले बिजली कर्मचारियों को सरकार को न्यूनतम सुविधाएं तो प्रदान करनी ही चाहिए। बिजली जैसे संवेदनशील मुद्दों पर यदि वहां काम करने वाले कर्मचारी अपने न्यूनतम जीवन निर्वाह के लिए अपने आत्म गौरव की रक्षा के लिए और अपने से ऊपर तैनात अधिकारियों के द्वारा प्रताड़ना की शिकायत यदि मंत्री स्तर पर करते हैं और संघर्ष समिति जैसे जुझारू और ईमानदार संगठन के माध्यम से बिजली मंत्री के द्वारा समझौते होते हैं तो उसे लागू भी किया जाना चाहिए और बिजली मंत्री मुकर जाते हैं। मजबूर कर्मचारी यदि हड़ताल पर ना जाए तो क्या करें? एक तरफ सरकार सबका साथ और सबका विकास करने की बात कहती है दूसरी तरफ अपने ही मातहत काम करने वाले कर्मचारियों से दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है एक तो उन्हें न्यूनतम सुविधाओं से वंचित रखा जाता है बड़े अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है। संगठन के माध्यम से काम किए जाने पर रोक लगाई जाती है और यदि हड़ताल शांतिपूर्ण तरीके से कर्मचारी करते हैं तो उनके ऊपर राष्ट्रद्रोह की धाराएं लगाई जाती है। बिजली कर्मचारी यदि एकजुटता दिखाते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हैं और अपने ऊपर काम करने वाले जिद्दी हट धर्मी और शोषण कारी चेयरमैन को हटाने की मांग करते हैं तो इस मांग को पूरा ना करके सरकार कोर्ट जाती है और आनन फानन बिजली कर्मचारियों के खिलाफ वारंट जारी कराती है.. शांतिपूर्ण प्रदर्शन जैसे लोकतांत्रिक अधिकार का हनन करने का हर संभव प्रयास किया जाता है। निश्चित रूप से हास्यास्पद और उत्तर प्रदेश की जनता और सरकार के लिए दुखद बात है। कर्मचारियों के साथ पुलिस द्वारा शोषण पूर्ण रवैया उनके घर वालों को धमकी तथा कर्मचारियों का शोषण करने में कोई कोर कसर छोड़ी नहीं जा रही है इसके बावजूद भी बिजली कर्मचारियों के साहस और एकता की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। सोचने की बात है ऐसी नौबत आती क्यों है कि कर्मचारियों को हड़ताल पर जाना पड़े? अधिकारी कर्मचारी और नेता क्या इन तीनों में सामंजस्य नहीं स्थापित किया जा सकता। क्या दिन-रात अपने जीवन को जोखिम में डालने वाले कर्मचारियों के मान सम्मान और सुरक्षा के लिए उनके द्वारा मांगी गई मांगों को सम्मान पूर्वक पूरा नहीं किया जा सकता? वादा और समझौता करके मुकरती सरकार है और यदि शोषण के खिलाफ आवाज मुखर की जाती है तो उसको दबाने के लिए सारे षड्यंत्रकारी तरीके अपनाए जाते हैं। इस शोषण और दमनकारी प्रवृत्ति के खिलाफ सरकार, ऊर्जा मंत्री और बड़े अधिकारियों की घोर निंदा करती हूं।

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