विश्व डायबिटीज दिवस (14 नवंबर) पर विशेष
(राममिलन शर्मा)
रायबरेली। डायबिटीज (मधुमेह) जिस साइलेंट किलर भी कहा जाता है। वर्तमान में स्वास्थ्य समस्याओं में यह एक आम समस्या है। यह एक प्रकार का मेटाबालिक डिसार्डर है जो इंसुलिन की कमी के कारण होती है। खाने की गलत आदत और अनियमित दिनचर्या भी इसके होने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5 के आंकड़ों पर नजर डालें तो जनपद में 15 साल और उससे अधिक आयु के 7.4 फीसद पुरुष, और 8.3 प्रतिशत महिलायें अधिक स्तर या बहुत अधिक स्तर की डायबिटीज से ग्रसित हैं और इसके नियंत्रण के लिए वह दवाओं का सेवन कर रही हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि जब शरीर में पैन्क्रियास इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है तो शरीर में रक्त में ग्लूकोस की मात्रा बढ़ जाती है। इसी स्थिति को डायबिटीज कहते हैं। यह पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाती है लेकिन इसे नियमित दिनचर्या, खाने की सही आदत विकसित और नियमित दवाओं के सेवन से नियंत्रण में रखा जा सकता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताए कि सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेन्टर पर तथा हर रविवार आयोजित होने वाले मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेले में डायबिटीज की जांच निःशुल्क होती है। इसके अलावा ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस (वीएचएनडी) तथा शहरी स्वास्थ्य पोषण दिवस (यूएचएनडी) पर भी गर्भवती की डायबिटीज की जांच निशुल्क की जाती है।
डायबिटीज मुख्यतः दो प्रकार का होता है टाइप -1 और टाइप -2। टाइप-1 डायबिटीज में शरीर में इंसुलिन नहीं बन पाता है और बाहर से इंसुलिन देने की जरूरत होती है जबकि टाइप-2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन को सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता है। इस कारण शरीर में ग्लूकोस की मात्रा बढ़ जाती है।
इसके अलावा कुछ महिलाओं में गर्भावस्था में डायबिटीज हो जाती है जो कि प्रसव के बाद वापिस सामान्य हो जाती है।
प्री डायबिटीज एक ऐसी स्थिति होती है रक्त में शुगर का स्तर सामान्य से अधिक होता है लेकिन इसे डायबिटीज में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है।
कम्युनिटी मेडिसिन एम्स राय बरेली के प्रमुख डा. भोला नाथ बताते हैं कि डायबिटीज के मुख्य लक्षण हैं बहुत अधिक भूख एवं प्यास लगना, अधिक पेशाब आना, वजन बढ़ना या कम होना, अधिक थका हुआ महसूस होना, मुंह सूखना, चोट या घाव का देर से भरना, प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना आदि। यदि यह लक्षण दिखाई दें तो इन्हें नजरअंदाज न करें शीघ्र ही चिकित्सक से संपर्क करें।
डा. भोलानाथ बताते हैं कि डायबिटीज की वजह से शरीर के अन्य अंगों भी प्रभावित होते है जैसे- डायबिटिक डर्माड्रोम इसमें त्वचा पर चकत्ते पड़ जाते हैं। डायबिटिक रेटिनोपैथी इसे डायबिटीज के कारण आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। डायबिटिक नेफ्रोपैथी में डायबिटीज के कारण किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। डायबिटिक न्यूरोपैथी में नसों को नुकसान पहुंचता है। जिससे पैरों में सुई चुभने जैसी झनझनाहट होती है या चलने में परेशानी होती है। इसी तरह डायबिटिक कीटोएसीडोसिस में मेटा- बोलिक प्रोसेस में दिक्कत होती है।
इसके अलावा डायबिटीज के कारण मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। इसके कारण व्यक्ति को एन्जाइटी या डिप्रेशन हो जाता है।
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी डीएस अस्थाना बताते हैं कि डायबिटीज से बचाव के लिए आवश्यक है कि दिनचर्या को नियमित करें। प्रतिदिन व्यायाम या योग करें, कम से कम 30 मिनट टहलें, मीठा कम खाएं, हाई फाइबर एवं हाई प्रोटीन डाइट का सेवन करें, शक्करयुक्त रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट वाले आहार से परहेज करें, वजन कम करें, एल्कोहल, धूम्रपान, शर्बत, कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम का सेवन न करें। साथ ही विटामिन डी की कमी शरीर में न होने दें।